आपका विचार ही आपका संसार है

मीना चार दिन से बीमार थी। न उसे भूख रहीन प्यास। नींद भी न रही। अच्छी भली थीसेहत भी ठीक थीचार दिन में ही सूख गई। रंग भी काला पड़ गया था।

कितने वैद्य आएपर उसकी बीमारी का कारण नहीं ढूंढ पाए। माता पिता भी चिंता में मरे जा रहे थे। बात यह थी कि अगले ही महीने मीना का विवाह होने वाला था। नदी पार के गाँव के ही एक लड़के से विवाह तय हुआ था। भय यह था कि यदि ससुराल पक्ष में इसकी बीमारी की सूचना पहुँच गईतो कहीं वे विवाह से ही इंकार न कर दें।

आज सुबह गुरूजी आए। माता पिता चरणों में पड़ गए और रोने लगे। गुरूजी ने सांत्वना दी। कहा– चिंता मत करोसब ठीक हो जाएगा। मुझे यह बताओ कि जिस दिन ये बीमार हुईउस दिन हुआ क्या था?

माता ने बताया– उस दिन शाम को यह अपनी सहेली विमला के साथ छत पर खेल रही थी। जब नीचे आई तो चेहरा उतरा हुआ था। बस तभी से बीमार है।

गुरूजी ने विमला को बुलाकर पूछा कि छत पर कुछ हुआ था क्या?

विमला बोली– हाँ गुरूजीजब हम खेल रहे थेतब सामने नदी के उस पार बहुत से ऊँटों का काफिला जा रहा था। उन सब पर बहुत सी रूई लदी थी। इसने पूछा कि ये इतनी रूई कहाँ जा रही हैमैंने मजाक में कह दिया कि तेरी ससुराल।

इसने पूछा कि वे इतनी रूई का क्या करेंगेतो मैंने कह दिया कि तुझसे धागा कतवाएँगे। बस यही बात है।

ओहतो यह बात है।कहते हुएगुरूजी ने विमला के कान में कुछ कहा और चले गए।

अगले दिन विमला मीना के पास आ कर बैठ गई। उधर गुरूजी ने नदी पार बहुत से पत्तों के ढेर में आग लगवा दी। जब आकाश में धुआँ ही धुआँ हो गयातब विमला बोली– मीना मीना देखतेरे ससुर के रूई के गोदाम में आग लग गई। सारी रूई जल कर राख हो गई।

मीना ने खिड़की से बाहर झाँका और वो धुआँ देखातो उसने लम्बी साँस ली और ठीक हो गई।

 एक विचार से रोग हो गयाएक विचार उपचार बन गयायही विचार का बल है।

आपका विचार ही आपका संसार है। विचार बदलते ही मन बदल जाता हैजीवन बदल जाता है। विचार बदलते ही सब बदल जाता है।

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