दूसरी भूल
यतींद्र और शैलजा के विवाह की यह दसवीं वर्षगांठ थी। सुबह के आठ बज रहे थे। मौसम खुशगवार था। आसमान में घिरे हुए हल्के-हल्के बादल जैसे सूरज को इधर-उधर झांकने का अवसर ही नहीं देना चाहते थे, इसलिये बाहर लॉन में भी प्रकाश केवल देखने भर को था। सुहानी और…