दूसरी भूल

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यतींद्र और शैलजा के विवाह की यह दसवीं वर्षगांठ थी। सुबह के आठ बज रहे थे। मौसम खुशगवार था। आसमान में घिरे हुए हल्के-हल्के बादल जैसे सूरज को इधर-उधर झांकने का अवसर ही नहीं देना चाहते थे, इसलिये बाहर लॉन में भी प्रकाश केवल देखने भर को था। सुहानी और…

अधिकार

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मुंबई से दिल्ली प्लेन का सफर मुझसे काटे नहीं कट रहा था। आज सुबह ही नीरा की बेटी शालिनी का फोन आया था। उसने रोते हुए कहा था, आंटी, मम्मी से मिलना है, तो जल्दी से आ जाइए। डॉक्टर ने कहा है, उनके पास अब अधिक समय नहीं है। शालिनी…

सुनहरी किरण

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रात के सन्नाटे में जीप धांय-धांय उड़ी जा रही थी...किरण ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठी थी। कांस्टेबल ओम प्रकाश गाड़ी चला रहा थे। पीछे की सीट पर उसकी अन्य दो सहकर्मी निद्रालीन थीं। किरण की वैसे भी अनिद्रा से पुरानी यारी थी, सो वह आगे की सीट पर…

परिपक्वता

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‘झाड़ू करके निकलना महारानी, और शाम के खाने की तैयारी भी ..’- चारू भाभी की कर्कश आवाज घर के बाहर तक सुनाई पड़ती थी। भाभी दनदनाती हुई अपने कमरे से निकली, लाल-काली कॉकटेल साड़ी, चमकदार हील की सैंडल और नेल आर्ट वाली उंगलियों में लटकी माइकल कोर्स की थर्ड कॉपी…

मस्तराम का कीमती खजाना

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राजा-महाराजाओं के जमाने की बात है। किसी गांव में मस्तराम नाम का एक युवक रहता था। वह था तो बहुत गरीब और उसे मुश्किल से ही भरपेट भोजन मिल पाता था। मगर फिर भी वह चिंता नहीं करता था और सदा हंसता-मुस्कराता रहता था। उसमें एक खास बात यह थी…

आपका विचार ही आपका संसार है

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मीना चार दिन से बीमार थी। न उसे भूख रही, न प्यास। नींद भी न रही। अच्छी भली थी, सेहत भी ठीक थी, चार दिन में ही सूख गई। रंग भी काला पड़ गया था। कितने वैद्य आए, पर उसकी बीमारी का कारण नहीं ढूंढ पाए। माता पिता भी चिंता में मरे जा रहे…

बहुत कीमती है अहंकार का पश्चाताप

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एक नगर में एक जुलाहा रहता था।वह स्वाभाव से अत्यंत शांत, नम्र तथा वफादार था।उसे क्रोध तो कभी आता ही नहीं था। एक बार कुछ लड़कों को शरारत सूझी।वे सब उस जुलाहे के पास यह सोचकर पहुँचे कि देखें इसे गुस्सा कैसे नहीं आता ? उन में एक लड़का धनवान…

घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है

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सबको पता है कि जीवन एक अस्थाई ठिकाना है लेकिन फिर भी पता नहीं किस बात का घमंड है। सबकी चाहत है की सारा ज़माना उनके क़दमों में हो पर उसके लिए अपना कोई ठिकाना तो हो। एक न एक दिन तुम्हारे शरीर को जल जाना है। हब सब इन्सान…

सोने की चिड़िया

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पाट पर बैठे राधेश्यामजी यह सब सुनकर हैरान रह गए। हर्षविभोर उनकी आंखों में स्नेह एवं आनंद के आंसू छलक आए। मन थमा तो सोचने लगे-यह देश सोने की चिड़िया इसलिए नहीं था कि यहां सोने के पहाड़ थे। यह देश सोने की चिड़िया इसलिए था कि यहां स्वर्ण-संस्कार थे। इस देश का मन भटक सकता है, आत्मा नहीं।

“फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान

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जब भी कोई नकारात्मकता अनुभव होती है इस कहानी को अवश्य पढ़ लेता हूँ । यह कहानी एक फूटे हुए घड़े की है जो किसान को अपना दुःख सुना रहा है। एक समय की बात है, जब किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह किसान प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर दूर…

निर्लिप्त कर्मयोग : त्याग की महानता

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  एक बार महर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन बन में जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ा घनी छाया वाला सेमर का वृक्ष देखा और उसकी छाया में विश्राम करने के लिए ठहर गये। नारदजी को उसकी शीतल छाया में आराम करके बड़ा आनन्द हुआ, वे…

फुंसियां…

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तुम एक रुग्ण मानसिक अवस्था हो और मुझे अब इस रुग्ण मानसिक अवस्था का हिस्सा और नहीं बनना। हमारे पास जीने के लिए एक ही जीवन होता है और मुझे अब यूं घुट-घुट कर और नहीं जीना। आज मैं स्वयं को तुमसे मुक्त करती हूं। एक बात और, मुझे अपने चेहरे पर उगी हुई फुंसियां अच्छी लगती थीं और वे सभी लोग अच्छे लगते थे जो उन फुंसियों के बावजूद मुझे चाहते थे, मुझसे प्यार करते थे। प्यार, जो तुम मुझे कभी नहीं दे सके।

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