आपका विचार ही आपका संसार है

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मीना चार दिन से बीमार थी। न उसे भूख रही, न प्यास। नींद भी न रही। अच्छी भली थी, सेहत भी ठीक थी, चार दिन में ही सूख गई। रंग भी काला पड़ गया था। कितने वैद्य आए, पर उसकी बीमारी का कारण नहीं ढूंढ पाए। माता पिता भी चिंता में मरे जा रहे…

सुबह का भूला

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आरुषि अभी तक सोफे पर पड़ी सुबक रही थी। आज उसे रह-रह कर रोना आ रहा था। साथ ही उसे पछतावा भी हो रहा था कि उसने अपने पिता समान स्वसुर पर घ्ाूरते रहने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उसने तो यह भी कहा था कि वे उसके साथ कुछ गलत करना चाहते हैं।

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