हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
काव्यक्षेत्र के तेजस्वी नक्षत्र माइकेल मधुसूदन दत्त

काव्यक्षेत्र के तेजस्वी नक्षत्र माइकेल मधुसूदन दत्त

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, व्यक्तित्व, साहित्य
0

 

भारतीय काव्य-क्षेत्र के तेजस्वी नक्षत्र माइकेल मधुसूदन दत्त का जन्म 25 जनवरी, 1824 को ग्राम सागरदारी (जिला जैसोर, बंगाल) में हुआ था। आजकल यह क्षेत्र बांग्लादेश में है। इन्हें 19 वीं सदी के रचनात्मक पुनर्जागरण का प्रणेता माना जाता है। इनके पिता श्री राजनारायण दत्त एक प्रसिद्ध वकील तथा माता जान्हवीदेवी एक प्रतिष्ठित जमींदार घराने से थीं।

बालपन से ही मधुसूदन तीव्र बुद्धि के थे। शिक्षा के प्रारम्भिक दौर में इन्होंने संस्कृत, बंगला एवं फारसी का अध्ययन किया। कविता के प्रति इनके मन में आकर्षण प्रारम्भ से ही था। 1837 में इन्होंने कोलकाता के हिन्दू कॉलिज में प्रवेश लिया, जहां शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी था।

कुछ समय में इन्होंने अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। इससे वहां भी इनकी प्रतिभा प्रकट होने लगी। कोलकाता के खुले एवं शिक्षित वातावरण में इनकी काव्य कल्पनाएँ अनन्त आकाश में उड़ने को व्याकुल हो उठीं। अब तक मधुसूदन दत्त के मन में सर्जना के अंकुर फूटने लगे थे। अंग्रेजी के प्रख्यात कवि शेक्सपियर, मिल्टन और बॉयरान के ये प्रशंसक थे। उनसे प्रभावित होकर ये अंग्रेजी में कविता लिखने लगे। विद्यालय में अध्यापकों तथा काव्य गोष्ठियों में प्रबुद्ध जनों की प्रशंसा से इनका उत्साह बढ़ता रहा। 1848 में ये मद्रास गये और वहाँ एक विद्यालय में अध्यापन करने लगे। वहीं इन्होंने अपनी सबसे लम्बी कविता ‘दि कैप्टिव लेडी’ लिखी।

मधुसूदन दत्त काव्य की बनी-बनायी लीक पर चलने के पक्षधर नहीं थे। उन्होंने भारतीय काव्य में पहली बार मुक्तछन्द का प्रयोग किया। इसके लिए उन्हें आलोचना और प्रशंसा दोनों ही मिलीं। मद्रास में ही इन्होंने गीतिकाव्य, त्रिपदी, चतुष्पदी एवं प॰च चरण कविताओं जैसे अनेक प्रयोग किये। नये-नये प्रयोगों के कारण इन्हें कविता का क्रान्तिकारी कहा जाता है।

इन्होंने परिवर्णी काव्य, सम्बोधि गीत, पत्रकाव्य, मुक्तछन्द, चित्रात्मक काव्य आदि में ऐसी नयी शैली प्रस्तुत की, कि सब ओर इनके काव्य की चर्चा होने लगी। वे अपनी कविता में कल्पनाओं का ऐसा भव्य संसार खड़ा करते थे कि उसे पढ़कर लोग दंग रह जाते थे।

1856 में वे कोलकाता वापस आ गये। यहाँ उन्होंने अनेक प्रसिद्ध अंग्रेजी कविताओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया। अंग्रेजों जैसी जीवन शैली अपनाने के लिए इन्होंने ईसाई मत स्वीकार कर लिया था; पर इनकी रचनाओं में भारत और भारतीयता का रंग ही प्रमुख रहा।

कोलकाता में मधुसूदन दत्त ने बंगला भाषा में कविताएँ लिखनी प्रारम्भ कीं। 1860 में लिखित ‘तिलोत्मा सम्भव’ इनकी पहली बंगला कविता थी। 1862 में वे कानून पढ़ने के लिए इंग्लैण्ड गये; पर इससे पूर्व उन्होंने संस्कृत, बंगला, तमिल, तेलगू आदि भारतीय भाषाओं में प्रचुर काव्य साहित्य रचा।

विदेश प्रवास में उन्होंने कानून के साथ-साथ फ्रेंच, जर्मन, हिब्रू आदि भाषाओं की काव्य कृतियों का भी अध्ययन किया। कविता के साथ-साथ उन्होंने अनेक नाटक एवं काव्य नाटक भी लिखे। इनमें शर्मिष्ठा, पद्मावती, कृष्णा कुमारी, मेघनाद वध, व्रजांगना, वीरांगना, तीरांगना आदि प्रमुख हैं।
उन्होंने आम आदमी द्वारा बोली जाने वाली सरल भाषा का प्रयोग किया। इससे इनका साहित्य जन-जन का साहित्य बन गया।

3 जुलाई, 1873 को दुनिया से विदा लेने से पूर्व वे भारतीय साहित्य के क्षेत्र में ऐसी समृद्ध परम्परा निर्माण कर गये, जो लम्बे समय तक लेखकों का मार्गदर्शन करती रही।

संकलन – विजय कुमार 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: indian poetmacheal madhusudan duttpoetpoetry

हिंदी विवेक

Next Post
दुनिया का सबसे शक्तिशाली भारतीय गणतंत्र

दुनिया का सबसे शक्तिशाली भारतीय गणतंत्र

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0