महिलाओं में कैंसर के लक्षण : जागरूकता-बचाव

अनियमित दिनचर्या और एल्कोहल जैसे नशीले पदार्थों के सेवन का प्रयोग बढ़ने के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसमें महिला रोगियों की संख्या पुरुषों की अपेक्षा काफी अधिक है। इसकी समुुचित रोकथाम के लिए महिलाओं में जागरूकता लाना अत्यावश्यक है, ताकि वे शुरुआती समय में ही इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकें।

जानलेवा बीमारी कैंसर की रोकथाम के लिए भारत में पिछले दशकों से चल रहे प्रयास अब भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से पार पाने के लिए लगातार हो रहे शोध एवं अनुसंधानों के बीच कैंसर के मामलों और इससे होने वाली मौतों के आंकड़े साल दर साल डरावने होते जा रहे हैं। शोध संस्थानों के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हुए आशंका जता रहे हैं कि भारत में 2025 तक कैंसर से होने वाली मौतों के आंकड़े में 12.8% तक की बढ़ोत्तरी होगी।

कैंसर एक मल्टी फैक्टोरियल बीमारी है, जिसके जोखिम कारकों में अन्य कारणों के साथ-साथ तम्बाकू उत्पादों, एल्कोहल का उपयोग एवं अस्वस्थकर आहार, निष्क्रिय जीवनशैली तथा वायु प्रदूषण प्रमुख कारण हैं। विभिन्न प्रकाशित अध्ययनों में सामने आया है कि एल्कोहल का सेवन ओरल केवेटी, फेरिंक्स, लेरिंक्स, इसोफेगस, कोलेरेक्टम, लीवर व महिलाओं में स्तन कैंसर के साथ जुड़ा है। एल्कोहल का हानिकारक उपयोग बीमारी और मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण हैं और यह कैंसर सहित कई बीमारियों से जुड़ा है।

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार वर्ष 2020 में देश में कैंसर मामलों में मौतों की अनुमानित संख्या 13 लाख 92 हजार 179 हैं। वर्ष 2025 में मौतों का यह आंकड़ा 15 लाख 69 हजार 793 तक पहुंचने की आशंका जताई गई है।

महिलाओं में कैंसर के मामले लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट 2020 पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के कैंसर रजिस्ट्री डाटा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 से 2020 के दौरान देश में स्तन कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2016 में देश में स्तन कैंसर के 1,73,028 मामले सामने आए थे जो वर्ष 2020 में बढ़कर 2,05,424 हो गए। इसी तरह वर्ष 2016 में स्तन कैंसर से हुईं कुल मौतों की संख्या 68,863 थी, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 71,062 हो गई।

कैंसर के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए सरकार निचते स्तर पर जाकर काम कर रही है लेकिन इसके अपेक्षित परिणाम फिलहाल नहीं मिले हैं। आम गैरसंचारी रोगों (कॉमन नॉन कम्युनिकेबल डिसीज) अर्थात डायबिटीज, हायपरटेंशन तथा कैंसर की रोकथाम, नियंत्रण एवं जांच के लिए देश में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत जनसंख्या आधारित पहल प्रारम्भ की गई। इस पहल में 30 साल की आयु से अधिक के व्यक्तियों को उनकी एनसीडी जांच के लिए टारगेट किया जाता है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों में तीन आम कैंसरों अर्थात् मुख, स्तन और गर्भाशय की स्क्रीनिंग कर लक्षित लोगों की जांच की जाती है। यह सारे प्रयास इसलिए किए जा रहे हैं ताकि समय रहते कैंसर को पकड़ा जा सके और सही समय पर उपचार करके रोगी की जान के जोखिम को कम किया जा सके। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए शोध, अनुसंधान, अधोसंरचना निर्माण और संसाधनों पर भारत सहित विश्व के अनेक देश मोटी रकम खर्च कर रहे हैं लेकिन जागरूकता इसकी रोकथाम का सबसे बड़ा माध्यम है। इसी उद्देश्य से कैंसर को लेकर जागरूकता लाने के लिए 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

क्या है कैंसर?

कैंसर में शरीर के भीतर कुछ अतिरिक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने की क्षमता रखती हैं। आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेफड़े, स्तन, मुंह, पेट, लीवर और गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले कैंसर शामिल हैं। तमाम शोधों में सामने आया है कि कैंसर से बचाव के लिए शुरुआती स्तर पर इसका निदान बहुत जरूरी होता है। आधुनिक निदान और उपचार की तकनीक कैंसर को हराने में सक्षम भी साबित हुई है।

महिलाओं में कैंसर के अधिक मामले

कैंसर व्यक्ति के जीवन का अंत नहीं है। प्रारम्भिक अवस्था में इसकी पहचान और उपचार जरूरी है। महिलाओं में कैंसर के मामले ज्यादा होने का सबसे बड़ा कारण है, इस बीमारी के संकेतों की अनदेखी करना। यदि महिलाएं अपनी सेहत और शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान दें, तो कैंसर से लड़ाई आसान हो सकती है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैंसर से लगभग 10 मिलियन मौतें होती हैं, जिनमें से 2.26 मिलियन मामले स्तन कैंसर के हैं।

स्तन कैंसर के कारण, लक्षण और उपाय

महिलाओं के लिए, स्तन कैंसर एक बड़ी समस्या है। स्तन कैंसर के मामले देर से पता लगाने के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है। जीन में म्यूटेशन की वजह से स्तन के कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है, डब्ल्यूएचओ द्वारा स्तन कैंसर के मामलों पर दुनिया भर में दिखाये आंकड़ों में, यह कहा गया कि यह महिलाओं में कैंसर का सबसे साधारण रूप है। अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में जागरूकता के लिए काफी कुछ करने की आवश्यकता है। स्तन कैंसर स्तन कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी है। आमतौर पर लोब्यूल्स और दुग्ध नलिकाओं में प्रवेश कर, वे स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। कुछ मामलों में, स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित कर सकता है।

स्तन कैंसर के कारक

जेनेटिक कारण (पारिवारिक  का इतिहास)

इठउ-1, इठउ-2 और झ53 जैसे जीनों में म्यूटेशन।

लम्बे समय तक अंतर्जात एस्ट्रोजेन के सम्पर्क में रहना।

समय से पहले पहला मासिक धर्म एवं देर से रजोनिवृत्ति।

गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना

अन्य कारणों में शराब का उपयोग, शारीरिक निष्क्रियता, अव्यवस्थित जीवनशैली, मोटापा और कम समय के लिए स्तनपान कराना शामिल हैं।

स्तन कैंसर होने का संकेत

स्तन कैंसर के मामलों में दिखाई देने वाला सबसे आम लक्षण  उसमें पड़ने वाली गांठें हैं। स्तन में गांठों की जांच की जानी चाहिए, चाहे गांठें कोमल ही क्यों न हों। स्तन के एक हिस्से या पूरे स्तन में किसी भी तरह की सूजन। हालांकि यह संक्रमण या गर्भावस्था जैसी स्थिति में भी हो सकता है, लेकिन स्तन की त्वचा में जलन जैसे अन्य लक्षण हैं या नहीं यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। स्तन की त्वचा में परिवर्तन भी स्तन कैंसर का एक संकेत हो सकता है। जैसे – जलन और त्वचा का लाल होना, त्वचा का मोटा होना, स्तन ऊतक की डिंपलिंग, त्वचा की बनावट में बदलाव, निप्पल में बदलाव। अगर अंडरआर्म में गांठ होती है, तो इसके स्तन से सम्बंधित होने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है। स्तन का ऊतक अंडरआर्म्स तक होता है।

बचाव

महिलाओं के जोखिम वाले कारकों को कम करने के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना, धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन न करना और सब्जियों, मछली और कम वसा वाले उत्पादों से भरपूर आहार करने जैसे जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ नियमित मैमोग्राम करना भी होता है।

सही खाने, पर्याप्त नींद लेने और नियमित रूप से व्यायाम करने जैसी स्वस्थ आदतों का पालन करने से कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। इसी तरह किसी भी तरह के बदलाव या किसी भी असामान्य लक्षण के बारे में तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।

– डॉ. मोनिका जैन

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