आत्मनिर्भर गांव बनाने में केशव सृष्टि का योगदान

कुछ साल पहले मुंबई की प्रसिद्ध सामाजिक संस्था केशव सृष्टि ने पालघर जिले के कुछ अति पिछड़े गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत की। आज वहां के 100 से ज्यादा गांवों का विकास हो चुका है। प्रधान मंत्री ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में केशव सृष्टि की इस पहल पर चर्चा की थी।

भारत एक प्राचीन राष्ट्र है। अपने हजारों वर्षों के स्वर्णिम इतिहास से आज हम विश्वगुरु बनने की प्रेरणा ले रहे हैं। हजारों वर्षों के कालखंड में से कुछ सौ वर्षों को अगर छोड़ दें, तो भारत सबसे सुखी, समृद्ध और विकसित राष्ट्र के रूप में प्रसिद्ध था। भारत विश्वभर की अध्यात्म से लेकर आधुनिकता तक की जिज्ञासाओं का समाधान करता रहा। ऐसे वैभव सम्पन्न गौरवशाली राष्ट्र की रचना के मूलभूत आधारस्तम्भ थे भारत के आत्मनिर्भर गांव, जिनका हम आज सपना देख रहे हैं। शहरीकरण की बाढ़ में गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। ग्रामवासी शहरों की जगमगाहट से आकर्षित होकर सम्पन्न होने की आस में स्थलांतर कर रहे हैं और गांव दुर्बल होते जा रहे हैं। जिनके आंगन में सुख खेलता है वे खोखले सुख की खोज करने दूर निकल गए हैं, वापसी का रास्ता भटक गए हैं। समय के साथ सुख की परिभाषा जो बदल गई है। ऐसी विकट परिस्थिति ने स्वाभाविक रूप से सामाजिक संस्थाओं का ध्यान आकर्षित किया और स्थाई हल निकालने की दृष्टि से ग्राम विकास संकल्पना ने जन्म लिया। ग्राम विकास कोई नई बात तो नहीं है, महात्मा गांधी ने भी ग्राम विकास के लिए बहुत कुछ कहा है। प्रश्न यह है कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी हमें ग्राम विकास क्यों करना पड़ रहा है? शायद इस विषय को एक नए दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है।

इस दिशा में मुंबई स्थित सामाजिक संस्था केशव सृष्टि ने प्रयास किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित और इसके संस्थापक प. पू. केशव बलिराम हेडगेवार जी के नाम से अपना परिचय प्राप्त करती केशव सृष्टि वैसे तो 1982 से विभिन्न सामाजिक कार्यों का निर्वहन कर रही है, परंतु ग्राम विकास विषय पर वर्ष 2017 से काम प्रारम्भ हुआ। इसका आधार बना मुंबई से 100 कि.मी. दूर डोंगरी पालघर के वनवासी गांवों में आयोजित दिवाली भेंट कार्यक्रम, जिसमें मुंबई से गए कुछ कार्यकर्ता वहां की परिस्थिति देखकर भौचक्के रह गए। मुंबई के इतने करीब आंखें नम कर देने वाली गरीबी और मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखकर कुछ करने का मन बना। खेती के लिए पानी की व्यवस्था करने के प्रथम उद्देश्य से कृषि और जल आयाम को लेकर केशव सृष्टि – ग्राम विकास योजना प्रारम्भ हुई। ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए चेक डैम बने, बेकार पड़े कुओं की मरम्मत कर उन्हें उपयोगी बनाया गया, पीने के पानी का समाधान निकला, विशेषज्ञों द्वारा किसानों का मार्गदर्शन होने लगा, और इसी के साथ बनती गई ग्राम विकास की एक मजबूत टीम।

वाड़ा तालुका से प्रारम्भ हुआ ग्राम विकास धीरे-धीरे विक्रमगढ़, जव्हार और मोखाडा तक पहुंचा। इस विस्तार में विस्तारकों की प्रमुख भूमिका रही जो पूर्णकालीन कार्यकर्त्ता हैं। वे सुनियोजित प्रवास करके गांववासियों को गांव की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित एवं सहायता करते हैं। संगठन निर्माण और कार्य के विस्तार के पीछे एक और अनोखा प्रयोग कारगर रहा जो शायद ग्राम विकास के सम्बंध में पहले कभी नहीं हुआ होगा। इसे नाम दिया गया, यूआरसी यानी अर्बन रूरल कनेक्ट। यूआरसी के माध्यम से गांवों के विकास के लिए शहरी युवा आगे आए और गांव गोद लेकर उनके विकास के लिए तन-मन-धन से जुट गए। वनवासी युवाओं के शहरी मित्र बने तो उनका भी उत्साह बढ़ा। इस गजब के ताल-मेल ने कई आयामों को जन्म दिया जैसे कृषि, जल, शिक्षण, संस्कार, पर्यावरण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, उद्योग, नेतृत्व विकास, किशोरी विकास, कोरोना के समय अक्षय सहयोग परियोजना आदि। विभिन्न विषयों पर काम करते-करते 42 गांवों से प्रारम्भ हुई ग्राम विकास की यात्रा आज 150 गांवों तक पहुंच गई है।

काम बढ़ा तो आर्थिक सहयोग की आवश्यकता भी बढ़ी। पारदर्शी परिणामोन्मुखी कार्य पद्धति और दृश्यमान परिवर्तन देख दानदाता आगे आए। सीएसआर के माध्यम से नामचीन कम्पनियों ने आर्थिक सहयोग किया जिससे काम को गति मिली। मिशन 2022 के अंतर्गत 15 अगस्त 2022 तक 10 से अधिक ग्राम आदर्श गांव बने। आदर्श गांव वे जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव न हो और गांव स्वयं को सक्षम बनाने के लिए सजक तथा सक्रिय हों। अब मिशन 2025 पर काम चल रहा है जिसके अंतर्गत विजयादशमी 2025 तक 100 आदर्श गांव तैयार होने हैं। वाड़ा, विक्रमगढ़, जव्हार, कासा और खोडाला तालुका मिशन 2025 के कार्यक्षेत्र हैं। अब ये स्वतंत्र केंद्र बन चुके हैं जो पहले वाड़ा केंद्र के अंतर्गत चलते थे। जो पहले विस्तारक थे वे आज इन स्वतंत्र केंद्रों के केंद्र प्रमुख हैं। अपने केंद्र के विकास के निर्णय अब वे स्वयं लेते हैं और मुंबई युवा के सहयोग से अड़चनों का निवारण हो जाता है। इतने बड़े काम की पृष्ठभूमि कई छोटे-बड़े बिंदुओं को ध्यान में रखकर तैयार हुई। केंद्रीय कार्यकारिणी, गांव प्रमुख, ग्राम समिति, उनकी नियमित बैठकें, गांव के विकास की चर्चा व क्रियान्वयन, गांव का विकास पत्र तैयार करना, चिंतन बैठकों में भाग लेना, विस्तारकों व केंद्रीय कार्यकर्ताओं का नियमित प्रवास व मार्गदर्शन, अभ्यास दौरे, नेतृत्व विकास शिविर आदि ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

मुंबई युवा एवं गांववासियों के सम्मिलित प्रयास से कुछ प्रमुख सामूहिक कार्यक्रम होते हैं जैसे 26 जनवरी को भारतमाता पूजन, बरसात में वृक्षारोपण, दिवाली पर पहला दीया गांव में, भगवान बिरसा मुंडा जयंती, स्वामी विवेकानंद जयंती पर क्रीड़ा महोत्सव, जन्माष्टमी, गणेशोत्सव, जिससे वर्षभर उत्साह बना रहता है। इस प्रकार उत्तम नियोजन, मार्गदर्शन और क्रियान्वयन के चलते वनवासी गांवों को स्वच्छ, सुंदर, सक्षम, शिक्षित, स्वावलम्बी एवं स्वाभिमानी बनाने का काम केशव सृष्टि ग्राम विकास योजना गत 5 वर्षों से कर रही है। एक और एक ग्यारह बनकर आज ग्रामीण व मुंबई युवा अपने गांव के विकास लिए मेहनत कर रहे हैं। डोंगरी पालघर भाग में सक्षम नेतृत्व के अभाव के कारण यहा अपेक्षित प्रगति नहीं हुई। इस समस्या का निदान युवाओं के नेतृत्व विकास गुणों को निखार कर करने का प्रयास चला है जिससे आज हजारों युवा जुड़े हैं। इनके नियमित नेतृत्व विकास शिविर होते हैं जिनमें मंझी हुई राजनैतिक हस्तियां वनवासी युवाओं का मार्गदर्शन करती हैं। किसी स्थापित ग्राम विकास मॉडल की नकल न करते हुए, बदलते समय के अनुरूप स्वयं को ढालकर, ग्राम विकास में एक नई दिशा निर्धारित करने का काम केशव सृष्टि ने किया है।

इस प्रवास के दौरान विभिन्न आयामों के अंतर्गत प्राप्त कुछ विशेष उपलब्धियां इस प्रकार हैं,

कृषि – जल – पर्यावरण

आत्मनिर्भर अन्नदाता योजना के अंतर्गत 380 किसानों की 365 एकड़ जमीन को सौर ऊर्जा के माध्यम से गांव के पास की नदी से पानी लाकर उपजाऊ बनाया गया है। ड्रिप इरीगेशन से पानी का अधिकतम उपयोग हो रहा है। इस योजना के कारण किसान वर्ष में 3 फसल ले पा रहे हैं और अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इसके फलस्वरूप स्थलांतर रुका है। ग्राम विकास योजना का पहला आदर्श गांव डोंगरीपाड़ा इसी योजना की देन है जिसकी आज देश भर में चर्चा है।

पर्यावरण के रक्षण तथा किसानों के हित के लिए वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से 111,000 विभिन्न फलों और बाम्बू के पौधे ग्राम विकास कार्यक्षेत्र में लगाए गए हैं।

शिक्षण – संस्कार

पांच केंद्रों में कुल 121 माधव संस्कार केंद्र चल रहे हैं जिनमें पहली से सातवीं के 3290 बच्चे संस्कारयुक्त शिक्षण स्कूल के औपचारिक शिक्षण से परे हंसते-खेलते-गाते प्राप्त कर रहे हैं।

चलती-फिरती विज्ञान की प्रयोगशाला के रूप में नॉलेज ऑन व्हील्स की रंग-बिरंगी गाड़ी 85 ग्रामीण स्कूलों और 20 माधव संस्कार केंद्रों पर जाकर 4492 बच्चों का ज्ञानवर्धन कर रही है। इससे वनवासी बच्चों को आधुनिक शिक्षण की झलक मिल रही है।

4 केंद्रों में 4 कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं जिनका लाभ 773 बच्चे अपना भविष्य उज्जवल बनाने के लिए उठा रहे हैं।

10वीं की परीक्षा का भय दूर करने के लिए तथा उचित मार्गदर्शन के लिए 100 से अधिक वनवासी बच्चों का 14 दिन का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया जिससे 10वीं के बच्चों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदला है।

स्वास्थ्य

प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव से जूझ रहे वनवासी भाग में 31 गांवों में स्वास्थ्य रक्षक दम्पत्ति उचित प्रशिक्षण देकर तैयार किए गए हैं जो अपने गांवों की स्वास्थ्य सम्बंधित सेवा कर रहे हैं। इसके परिणाम व्यापक एवं दूरगामी है।

स्टार हेल्थ कार्ड संकल्पना की मदद से 5 से 12 वर्ष के आयु के बच्चों की ऊंचाई, वजन, हीमोग्लोबिन, दंडघेर जैसे 4 मापदंडों के बल पर 4 स्टार दिए जाते हैं और सम्बंधित पोषक आहार भी बताया जाता है। इससे पालकों में अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ती है। 33 गांवों में 1069 बच्चों ने इसका लाभ लिया है।

पारिवारिक हेल्थ कार्ड, ग्राम स्वास्थ्य नक्शा और डिजिटल स्वास्थ्य लॉकेट जैसे क्रांतिकारी विषयों पर स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है जिससे वनवासी भाग का कायापलट सम्भव होगा।

उद्योग

प्रोजेक्ट ग्रीन गोल्ड के माध्यम से 20 गांवों की 600 से अधिक वनवासी महिलाओं व पुरुषों को बाम्बू हस्तकला का प्रशिक्षण दिया गया है जिससे वे 50 लाख रुपये का उद्योग कर पाए हैं। 96वीं मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस प्रकल्प का उल्लेख वीडियो के माध्यम से किया है। इन हस्त कलाकारों की नाबार्ड के साथ मिलकर कम्पनी भी बनने जा रही है।

प्रोजेक्ट मंगल फाइबर द्वारा केले के तने से निकले रेशों से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण 12 गांवों की 48 महिलाओं को दिया गया है, जिससे अब तक 2.78 लाख रुपये का उद्योग हुआ है।

प्रोजेक्ट जीविका के माध्यम से कपड़े की थैली, मास्क, स्कूल बैग आदि बनाने का काम 32 गांवों की 300 महिलाएं कर रही हैं जो अब तक 21 लाख रुपये का व्यापार कर चुकी हैं।

देशभर से लोग केशव सृष्टि के इस व्यापक ग्राम विकास मॉडल को देखने, समझने और अपने क्षेत्र में लागू करने की इच्छा से आते रहते हैं। 5 वर्षों में केशव सृष्टि के ग्राम विकास प्रकल्प ने एक बीज से वटवृक्ष का प्रवास पूर्ण किया है। 100 आदर्श गांव बनाना सरल नहीं है, किन्तु प्रारम्भ में 10 आदर्श गांव बनाना भी उतना ही कठिन था जितना आज 100 का आंकड़ा लग रहा है। जैसे 10 हुए वैसे 100 भी होंगे। आवश्यकता है समाज के सक्रिय सहभाग की। अगर काम 10 गुना बढ़ाना है तो संसाधन भी 10 गुना बढ़ाने होंगे। इसी दिशा में अब केशव सृष्टि प्रयास कर रही है। आप सबका राष्ट्रहित में समर्पित इस कार्य में स्वागत है। वंदे मातरम्।

– गौरव श्रीवास्तव

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