हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चंद्रशेखर आजाद, जो सदा आजाद रहे

चंद्रशेखर आजाद, जो सदा आजाद रहे

by हिंदी विवेक
in विशेष, व्यक्तित्व
0

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों में चन्द्रशेखर आजाद का नाम सदा अग्रणी रहेगा। उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को ग्राम माबरा (झाबुआ, मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनके पूर्वज गाँव बदरका (जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे; पर अकाल के कारण इनके पिता श्री सीताराम तिवारी माबरा में आकर बस गये थे। 

बचपन से ही चन्द्रशेखर का मन अंग्रेजों के अत्याचार देखकर सुलगता रहता था। किशोरावस्था में वे भागकर अपनी बुआ के पास बनारस आ गये और संस्कृत विद्यापीठ में पढ़ने लगे।

बनारस में ही वे पहली बार विदेशी सामान बेचने वाली एक दुकान के सामने धरना देते हुए पकड़े गये। थाने में हुई पूछताछ में उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतन्त्रता और घर का पता जेलखाना बताया। इस पर बौखलाकर थानेदार ने इन्हें 15 बेंतों की सजा दी। हर बेंत पर ये ‘भारत माता की जय’ बोलते थे। तब से ही इनका नाम ‘आजाद’ प्रचलित हो गया।

आगे चलकर आजाद ने सशस्त्र क्रान्ति के माध्यम से देश को आजाद कराने वाले युवकों का एक दल बना लिया। भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल, अशफाक, मन्मथनाथ गुप्त, शचीन्द्रनाथ सान्याल, जयदेव आदि उनके सहयोगी थे।

आजाद तथा उनके सहयोगियों ने नौ अगस्त, 1925 को लखनऊ से सहारनपुर जाने वाली रेल को काकोरी स्टेशन के पास रोककर सरकारी खजाना लूट लिया। यह अंग्रेज शासन को खुली चुनौती थी, अतः सरकार ने क्रान्तिकारियों को पकड़ने में पूरी ताकत झोंक दी।

पर आजाद को पकड़ना इतना आसान नहीं था। वे वेष बदलकर क्रान्तिकारियों के संगठन में लगे रहे। ग्वालियर में रहकर इन्होंने गाड़ी चलाना और उसकी मरम्मत करना भी सीखा।

17 दिसम्बर, 1928 को इनकी प्रेरणा से ही भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि ने लाहौर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के ठीक सामने सांडर्स को यमलोक पहुँचा दिया। अब तो पुलिस बौखला गयी; पर क्रान्तिवीर अपने काम में लगे रहे।

कुछ समय बाद क्रान्तिकारियों ने लाहौर विधानभवन में बम फेंका। यद्यपि उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था। बम फेंककर भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने आत्मसमर्पण कर दिया। उनके वीरतापूर्ण वक्तव्यों सेे जनता में क्रान्तिकारियों के प्रति फैलाये जा रहे भ्रम दूर हुए। दूसरी ओर अनेक क्रान्तिकारी पकड़े भी गये। उनमें से कुछ पुलिस के अत्याचार न सह पाये और मुखबिरी कर बैठे। इससे क्रान्तिकारी आन्दोलन कमजोर पड़ गया।

वह 27 फरवरी, 1931 का दिन था। पुलिस को किसी मुखबिर से समाचार मिला कि आज प्रयाग के अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद किसी से मिलने वाले हैं। पुलिस नेे समय गँवाये बिना पार्क को घेर लिया। आजाद एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने साथी की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही उनकी निगाह पुलिस पर पड़ी, वे पिस्तौल निकालकर पेड़ के पीछे छिप गये।

कुछ ही देर में दोनों ओर से गोली चलनेे लगी। इधर चन्द्रशेखर आजाद अकेले थे और उधर कई जवान। जब आजाद की पिस्तौल में एक गोली रह गयी, तो उन्होंने देश की मिट्टी अपने माथे से लगायी और उस अन्तिम गोली को अपनी कनपटी में मार लिया। उनका संकल्प था कि वे आजाद ही जन्मे हैं और मरते दम तक आजाद ही रहेंगे। उन्होंने इस प्रकार अपना संकल्प निभाया और जीते जी पुलिस के हाथ नहीं आये।

संकलन – विजय कुमार

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: chandrashekhar azadfreedom fighterindian freedom struggle

हिंदी विवेक

Next Post
विषय का विशिष्ट ज्ञान ही विज्ञान

विषय का विशिष्ट ज्ञान ही विज्ञान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0