हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
जजों की नियुक्ति हेतु बनाया जाए स्वतंत्र आयोग

जजों की नियुक्ति हेतु बनाया जाए स्वतंत्र आयोग

by हिंदी विवेक
in विशेष
1

मुख्य चुनाव आयुक्त एवं आयुक्तों की नियुक्ति संबंधित सुप्रीम कोर्ट का आदेश न सिर्फ असंवैधानिक हैं अपितु अलोकतांत्रिक भी है। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष के साथ हमारी उपस्थिति वाली कमिटी तय करेगी किंतु मिलार्ड तो हमारा भतीजा ही बनेगा और सरकार या जनता किसी को हक़ नहीं है इस विषय पर सवाल करने की।

जब एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था में नियुक्ति के लिए कमिटी का गठन हो सकता है तो जजों की नियुक्ति के लिए भी एक कमिटी या आयोग क्यों नहीं होना चाहिए? दूसरी संस्थाओं में नियुक्ति में अपनी टांग अड़ाने वाली न्यायपालिका अपनी संस्थाओं में नियुक्ति का अधिकार अपबे पास ही क्यों रखना चाहती है? क्या सुप्रीम कोर्ट खुद को देवतुल्य मान चुका है?

मेरी राय में यही सही समय है कि केंद्र सरकार एक ऐसे आयोग की स्थापना करें जिसके कार्यक्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की नियुक्ति समेत मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त के साथ साथ सभी आयोगों में नियुक्तियां हो। और जब तक ऐसी संस्था अस्तित्व में नहीं आती जजों समेत सभी संवैधानिक नियुक्तियां करने का अधिकार लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास किया जाए। इसका सबसे बड़ा संदेश सुप्रीम कोर्ट को ही जाएगा जो विधायिका पर अंकुश लगाने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ता।
यदि इस पर सुप्रीम कोर्ट कोई असहमति व्यक्त करता है तो सरकार को भी अड़ जाना चाहिए और जब तक NJAC अस्तित्व में नहीं आता सरकार ऐसी सभी नियुक्तियों पर कोई राय या अनुमोदन या स्वीकृति दे ही नहीं जिसमे न्यायाधीशों की मनमानी हो।

यह सच है कि जनता न्यायाधीशों के रवैये से त्रस्त है और इस मौजूदा समय मे इस विषय पर जनता का साथ सरकार को मिल भी रहा है अतः यही सही समय है कि जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्र सरकार और विधायिका न्यायिक सुधार के लिए कड़े फैसले लें। जनता का भरपूर साथ उन्हें मिलेगा।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: collegiumjudgesupreme court

हिंदी विवेक

Next Post
राष्ट्र को तोड़ने लगा है ‘आप’का भ्रष्टाचार

राष्ट्र को तोड़ने लगा है ‘आप’का भ्रष्टाचार

Comments 1

  1. Prahlad soni says:
    2 years ago

    101% right.

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0