शादी, तलाक और सुप्रीम कोर्ट

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हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी सात जन्मों तक साथ निभाने का जरिया है। एक लड़की-लड़का जब शादी के सात फेरे लेते हैं, तो सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाते हैं, लेकिन जिस रिश्ते में प्यार और अपनापन न हो! फ़िर ऐसी कसमें और वादे सिर्फ़ बोझ बनकर रह…

केवल विरोध के लिए विरोध की मानसिकता

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सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के आधार पर फ़िलहाल नए संसद-भवन के निर्माण पर रोक लगा दी है। उन कथित बुद्धिजीवियों का कहना है कि नए निर्माण से पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ेगा। उनकी देखा-देखी सोशल मीडिया पर भी ऐसी चर्चाएं देखने को मिलीं…

समलैंगिक विवाह एक मानसिक बुराई

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इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अदालतों में जब लाखों प्रकरण लंबित बने रहने का रोना रोया जा रहा हो, तब देश की शीर्ष न्यायालय के न्यायमूर्तियों की पीठ एक ऐसे मुद्दे की माथापच्ची में लगी हो, जिसका वैवाहिक समानता के अधिकार से कोई सीधा वास्ता ही नहीं है। वास्तव…

‘ब्राह्मणों के नरसंहार’ पर हंसने लगे सुप्रीम कोर्ट के जज

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देश की सुप्रीम कोर्ट के जजों की मानसिकता क्या है इसका पर्दाफाश एक बार फिर हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के अंदर ब्राह्मणों के नरसंहार के जिक्र पर जस्टिस के एम जोसेफ हंसने लगे । दरअसल महाराष्ट्र में लव जिहाद के खिलाफ कुछ रैलियां हुईं थीं । इन रैलियों में जिहादियों…

क्या जुडिशरी एब्सोल्युट पावर चाहती है ?

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लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी मत देखिए चंद्रचूड़ जी, लोग न्यायपालिका पर निगरानी रख रहे हैं.  झूठ फ़ैलाने वालों को तो आप ही बचा देते हैं. ​​ चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ लगता है सोशल मीडिया द्वारा न्यायपालिका के लिए “watchdog” बन कर उसकी आलोचना से खासे क्षुब्ध…

जजों की नियुक्ति हेतु बनाया जाए स्वतंत्र आयोग

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मुख्य चुनाव आयुक्त एवं आयुक्तों की नियुक्ति संबंधित सुप्रीम कोर्ट का आदेश न सिर्फ असंवैधानिक हैं अपितु अलोकतांत्रिक भी है। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष के साथ हमारी उपस्थिति वाली कमिटी तय करेगी किंतु मिलार्ड तो हमारा भतीजा ही बनेगा और सरकार या जनता किसी को हक़ नहीं…

मातृभाषा में न्यायालय के निर्णय अच्छी पहल

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आजादी के बाद हर भारतीय का सपना था कि सरकार के सभी अंगों में मातृभाषा के जरिये संवाद हो। सरकारी रीतियां-नीतियां उसकी भाषा में समझ में आने वाली हों। आकांक्षा रही कि आम जनता को न्याय उसकी भाषा में मिले। सवाल पूछा जाना चाहिए कि आम आदमी के हिस्से में…

लाउडस्पीकर पर हिट हो रहा योगी मॉडल

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महाराष्ट्र आजकल लाउडस्पीकर को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। सत्ता और विपक्ष के बीच लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर हर दिन खबरें आ रही है। मनसे ने तो शिवसेना सरकार को अल्टीमेटम भी दे दिया है जबकि महाराष्ट्र सरकार बैलेंस बनाकर निकलने का प्रयास कर रही है।

लाउडस्पीकर विवाद: दुबई से कुछ सीखने की जरुरत

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मस्जिद के लाउडस्पीकर का मुद्दा आज कल पूरे देश में गर्माया हुआ है और इसे मुस्लिमों के विरोध के रूप में दर्शाया जा रहा है जबकि ऐसा नहीं है यह मुद्दा सिर्फ लाउडस्पीकर का है इसका नमाज या किसी धर्म के विरोध से कोई संबंध नहीं है। अजान की आवाज से…

भारत के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक

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भारत को हिन्दू राष्ट्र के नाम से अक्सर संबोधित किया जाता रहा है लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी कि अब कई राज्यों में हिन्दूओं की जनसंख्या बाकी लोगों से कम हो चुकी है और वह अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ चुके हैं। हालांकि अभी तक उन राज्यों में हिन्दुओं…

आजादी का 75वां वर्ष न्याय-व्यवस्था की दिशा व दशा

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भारत की न्यायपालिका की संवेदना भारत के जनमानस के साथ जुड़ी दिखाई नहीं देती। उसका अपना एक सामंती चरित्र है, जो हर प्रकार से शक्तियों से परिपूर्ण किन्तु किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है और बड़ी आत्ममुग्ध और स्व-संचालित है। वह अपने बारें में किसी समीक्षा को पसंद नहीं करता। 

मैं जरा हट कर सोचता हूं

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यह ना खालिस्तानी गुंडों की जीत है, ना उन गुंडों के आगे सरकार का समर्पण है। ना ही यह कोई चुनावी स्टंट है। ना ही कोई मास्टर स्ट्रोक है। हम सब जानते है कि 11 महिने पहले सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को किसान कानूनों पर स्टे लगा दिया था।…

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