राष्ट्र को तोड़ने लगा है ‘आप’का भ्रष्टाचार

भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के भ्रष्टाचार को जनता स्वीकार कर लेती है। अंतर मात्र इतना है कि वह कम भ्रष्ट को चुनती है। कहा भी गया है, ‘मरने के बाद भी ठगे जाओगे साफ दामन वालों, कफन उन्हें भी सफेद मिलेगा जो शख्स दागदार है।’ समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी ने जब भ्रष्टाचार मुक्त राजनीतिक व्यवस्था देने की बात कही तो उसका स्वागत हुआ किन्तु एक अंदेशा सदा बना रहा कि वर्तमान में क्या भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति संभव है? अपने जन्म के 10 वर्षों के अंदर ही आप के दो दर्जन से अधिक नेता; जिनमें आधा दर्जन मंत्री भी हैं; भ्रष्टाचार तथा कदाचार के मामलों में जेल जा चुके हैं तो जनता की इस सोच पर कुठाराघात हुआ है।

हालांकि समस्या मात्र भ्रष्टाचार नहीं है, उस भ्रष्टाचार से देश विरोधी गतिविधियों, अराजकता व आतंकी घटनाओं को आश्रय दिया जा रहा है। दिल्ली में हुआ हिन्दू विरोधी दंगा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है जिसे भड़काने में आप के पार्षद ताहिर हुसैन का नाम आया और मजबूरी में ही सही, पार्टी को उन्हें निष्काषित करना पड़ा। भारत के मुस्लिमों को महिलाओं और बच्चों को आगे करके सरकार पर दबाव बनाने और वैश्विक स्तर पर केंद्र सरकार की छवि मलिन करने का फार्मूला ‘शाहीन बाग’ भी इसी पार्टी ने दिया जिसके बाद सार्वजनिक आवागमन के रास्तों को अवरुद्ध कर कथित बेचारा बनने की शुरुआत हुई। इसके इतर आज देश की राजधानी आप की कलुषित और हिन्दू विरोधी राजनीति के कारण अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की शरणस्थली बन चुकी है और किसी भी आतंकी हमले को निमंत्रण दे रही है।

पंजाब की बात करें तो आप ने खालिस्तानियों के कन्धों पर चढ़कर सरकार बनाई और आज वही खालिस्तानी आईएसआई और भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के गठजोड़ से पंजाब को पुनः 1980 के दौर में पहुंचाने को तत्पर हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो खालिस्तानियों को आप का परोक्ष समर्थन भी प्राप्त है। पंजाब के आम सिख और हिन्दू डर के साये में जीने को विवश हैं और मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘सब ठीक है जी’ की नौटंकी कर रहे हैं। उस पर भी दुस्साहस देखिये, एक खालिस्तानी गृहमंत्री अमित शाह को इंदिरा गाँधी की भांति अंजाम भुगतने की धमकी देता है और उसी के खास गुर्गे को हिंसक भीड़ जेल से छुड़ाने के लिए खुनी उत्पात मचाने को तत्पर हो जाती है तथा कानून भी विवशता में उसे छोड़ देता है। क्या सरकार इतनी निरीह होती है? कायदे से तो पंजाब में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और देश विरोधी तत्वों से सख्ती से निपटना चाहिए किन्तु सभी अपने-अपने हिस्से की राजनीति करने में मगन हैं और जनता पिसती जा रही है।

आप ने देश को राजनीति का ऐसा विकृत रूप दिखाया है जिससे जितनी जल्दी छुटकारा मिले उतना ही अच्छा है अन्यथा तो 1947 के बाद देश को तोड़ने वालों की मंशा को मजबूती मिलेगी क्योंकि देश और हिन्दू विरोधी गतिविधियों से राष्ट्र तोड़ने का कार्य कर रहा है ‘आप’का भ्रष्टाचार।

– सिद्धार्थ शंकर गौतम

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