महिला सशक्तीकरण मोदी सरकार के प्रयास

देश की आधी जनसंख्या को समाज के केंद्र तक अवस्थित करने के लिए सरकार ने अलग-अलग योजनाएं लागू की हैं। उज्ज्वला जैसी योजनाओं का लाभ तो उन तक व्यापक स्तर पर पहुंचा है, लेकिन बहुत सारी योजनाओं के विषय में अधिकतर महिलाओं के बीच जानकारी का अभाव है। इस दिशा में भी एक जागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं का जीवन स्तर तेजी से ऊंचा हो सके।

हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद वर्तमान आधुनिक युग में भी महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है। पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है। जबकि कटु सत्य यह है कि महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, मां, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी भी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके। ऐसा नहीं है कि महिलाओं का स्तर सुधारने के लिए प्रयास नहीं किया गया। हर समाज सुधारक ने इस बात पर जोर दिया है कि महिलाओं की प्रगति के बिना समाज की प्रगति अधूरी है। स्वामी विवेकानंद मानते थे कि, महिला की स्थिति में सुधार के बिना विश्व का कल्याण नहीं हो सकता क्योंकि पंछी के लिए एक पंख के साथ उड़ना मुश्किल है। देश की तरक्की के लिए हमें भारत की महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। एक बार जब महिला कदम उठा लेती है, तो परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता और राष्ट्र विकास है।

भारतीय महिलाओं ने आर्थिक रूप से पुरुषों पर निर्भर होने से लेकर वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने तक का एक लम्बा सफर तय किया है। महिलाएं आज अपने वित्त का प्रभार और वित्तीय निर्णय स्वयं लेती हैं। इसके अलावा, कई सरकारी पहल विशेष रूप से महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता में सुधार लाने पर केंद्रित हैं। समय-समय पर, भारत सरकार ने लाभकारी वित्तीय योजनाओं के बारे में महिलाओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, सभी प्रयास सफल नहीं हुए हैं, और अधिकांश महिलाएं अभी भी उनके विषय में नहीं जानती हैं। इस आलेख के माध्यम से हम कुछ परियोजनाओं को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की शुरूआत प्रधान मंत्री ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में की थी। यह योजना पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान करने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सुकन्या समृद्धि योजना

यह योजना सरकार ने छोटी बच्चियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की है। इसके माध्यम से 10 साल से छोटी बच्चियों को शिक्षा दी जायेगी और उनकी शादी की आयु होने पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना खासतौर पर उनके उज्ज्वल भविष्य के और अच्छी शिक्षा के लिए 2015 में शुरू की गई थी।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

यह योजना महिलाओं को रसोई की सुविधा देने के लिए शुरू की गई है। इस योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को की गई थी। इसके माध्यम से गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराते हैं और इसका लाभ भारत के करोड़ों परिवार ले चुके हैं। आप इसकी ऑफिशियल वेबसाइट का भी अवलोकन कर सकते हैं।

सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) योजना

इस योजना को 2019 में शुरू किया गया था। यह योजना प्रसव के दौरान मां एवं बच्चे की अच्छे से देखभाल के लिए और उन्हें उचित पोषण प्रदान करने के लिए आरम्भ की गई है, जिससे मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहे और नर्सों की देखभाल में प्रसव का कार्य हो।

मातृ वंदना योजना

सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए मातृ वंदना योजना चला रही है। इस योजना के माध्यम से सरकार आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को 6 हजार रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस योजना का लाभ उन गरीब महिलाओं को दिया जाता है जो मजदूरी करके अपना जीवन बसर कर रही हैं। भारत सरकार बच्चों की मृत्यु का दर कम करने के लिए जच्चा-बच्चा के खान पान का विशेष ध्यान दे रही है।

फ्री सिलाई मशीन योजना

इस योजना के माध्यम से महिलाओं को आवेदन करने पर फ्री में सिलाई मशीन दी जाती है जिससे वे कढ़ाई-बुनाई करके अपना जीवन चला सकें और आत्मनिर्भर बनें। इसका लाभ शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्र की महिलाएं ले सकती हैं।इस योजना का लाभ उठाने के लिए आयु 20 वर्ष से अधिक होनी आवश्यक है।

प्रधानमंत्री समर्थ योजना

इस योजना के माध्यम से महिलाओ को कार्यों के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे महिलाएं नई-नई जानकारियां हासिल कर बिजनेस  के क्षेत्र में कार्य कर पाएंगी। बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं इस योजना का लाभ उठाकर खुद का व्यवसाय करते हुए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

समेकित बाल संरक्षण योजना

सभी बच्चों विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों के समग्र कल्याण एवं पुर्नवास हेतु बाल संरक्षण की अन्य योजनाओं को केन्द्रीय रूप में सम्मिलित कर प्रारम्भ की गई है। यह योजना बच्चों के बाल अधिकार, संरक्षण ओैर सर्वोत्तम बाल हित के दिशा निर्देशक सिद्धांतों पर आधारित है।

लाडली लक्ष्मी योजना

बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंग अनुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्तर तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में 2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई है। इस योजना का लाभ उन लड़कियों को मिलेगा जिनके माता-पिता मध्य प्रदेश के मूल निवासी हों, आयकर दाता न हों तथा दूसरी बेटी के प्रकरण में आवेदन करने से पूर्व माता या पिता ने परिवार नियोजन अपना लिया हो।

महिला विकास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही हमारी योजनाओं का मुख्य लक्ष्य रहा है। 1980 की पंचवर्षीय योजना में महिलाओं के विकास को अलग-अलग समूह के रूप में मान्यता देकर उन्हें विकास योजना में समुचित स्थान दिया गया है। इसके साथ ही महिलाओं की समस्या के प्रति जो कल्याणकारी दृष्टिकोण रखा जाता था उसके स्थान पर अब उनके विकास तथा उन्हें अधिक अधिकार देने पर बल दिया गया। महिलाओं को अधिकार देने के सरकार के सभी प्रयासों का उद्देश्य उसका सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और राजनैतिक स्तर की दृष्टि से पुरूषों के समान ऊपर उठाकर उन्हें राष्ट्रीय विकास की मुख्य धारा में शामिल करना है। धीरे-धीरे महिलाएं इन योजनाओं के प्रति सजग होकर इनके माध्यम से अपना स्तर उठाने का प्रयास कर रही हैं। कुछ वर्षों में महिला स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वावलम्बन की बयार बही है। हम सबको पता है कि यह प्रगति लम्बे समय में अपना सकारात्मक भाव दर्शाएगी, लेकिन इसके लिए देश की हर महिला तक इन योजनाओं की जानकारी पहुंचना आवश्यक है।

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