हमारी कूटनीति ने हमें बचा लिया है

‘मानवता’ नामक ऊपरी लेबल तो ठीक है पर कोई किसी की मदद यूँ ही नहीं करता है | एक देश का दूसरे को मुश्किल घड़ी में पैसा,खाना वैक्सीन,दवाई भेजना भी यूँ ही नहीं होता |

भारत ने बांग्लादेश के साथ विश्वास संधि पर हस्ताक्षर करके सन 18 से वहाँ तेल देने के लिये पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया था | अभी हाल ही में सन 23 के 18मार्च को काम पूरा होकर इसकी शुरूआत भी हो गयी | इसके अलावा भी बाकी सब मदद वगैरह भी है |

तो बांग्लादेश ने भी बदले में चट्टग्राम बंदरगाह और सिलहट हवाई अड्डा भारत को इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी |

ये तो ठीक है कि चट्टग्राम बंदरगाह के इस्तेमाल से अब पूर्वोत्तर राज्यों में सामान पहुँचाना आसान हो जाएगा | नहीं तो सिलिगुड़ी होकर घुमकर यहाँ सामान आने में कई दिन लगते हैं और इसलिए सामान का दाम भी यहाँ ज़्यादा होता है |

पर इसका महत्व पूर्वोत्तर में केवल सामान पहुँचाने तक ही नहीं है | इस बंदरगाह की गिनती दुनिया के सौ व्यस्ततम और बे ऑफ बेंगल के बंदरगाहों में सबसे व्यस्त बंदरगाहों में होती है |

इसके एकदम नजदीक ठीक नीचे ही कॉक्स बाजार नामक जगह पर बांग्लादेश ने चीन की मदद से सबमरीन बेस बनाया हुआ है | इसी 20 मार्च को इनगरेशन हुआ इसका | बेचारा चीन वहाँ से हमारे विरुद्ध खुफिया काम शुरू करने ही वाला था कि उसके ठीक पहलेवाले दिन 19 को हमें इसके इस्तेमाल का ऑफर मिल गया |

बांग्लादेश को एक तो ये भी था कि कहीं भारत चट्टग्राम के पास ही म्यानमार के कलादान नदी में बना सितवे बंदरगाह न इस्तेमाल कर ले और उससे संबंध भी अच्छे हो जाये और कमाई भी हो जाये उससे अच्छा कि अपना बंदरगाह ही ऑफर कर दिया |

साथ ही चीन और भारत दोनों देशों के साथ बेलेन्स भी बनाना था | आर्थिक संकट के समय भारत ने श्रीलंका को समय रहते मदद करके कैसे बचाया था यह भी देखा हुआ है बांग्लादेश ने | तो भविष्य में कभी इसकी नौबत आये तो कौन मदद के लिये आगे आयेगा इसका भी अंदाज़ा हो चुका होगा |

बाकी सिलहट हवाई अड्डा भी चीन की ही एक कन्स्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था | सन 16 से वहाँ काम चालू था | ये जगह भी बांग्लादेश के ऊपरी हिस्से में पूर्वोत्तर के एकदम पास है | त्रिपुरा और मेघालय तो एकदम सटा हुआ है | इतनी सेंसिटिव जगह पर आकर चीन घुस गया था | अब इसके इस्तेमाल का भी ऑफर मिल गया है |

अपने कारनामे से चीन ने बांग्लादेश के ज़रिये पूर्वोत्तर या यूँ कहें भारत के लिये जो बुरा सोचा था उनमें से दो चीज़ों में तो हमारी कूटनीति ने हमें बचा लिया है |

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