प्रियंका गांधी का यह भाषण सुनने योग्य है

उनके भाषण में दो बातें आज स्पष्ट सुनाई दी: पहला ‘मेरा’ और दूसरा ‘तुम्हारा’। उन्होंने मेरा किसको कहा? ‘मेरा भाई’, ‘मेरा परिवार’ और जब देश की बात आई, प्रधानमंत्री की बात आई, तब उन्होंने कहा, ‘आपका प्रधानमंत्री’, ‘आपका देश’, ‘आपकी लड़ाई’, ‘आपकी मीडिया’, ‘आपकी आवाज’।

खून को भुनाकर सत्ता प्राप्त करना कांग्रेस की सबसे सुविधाजनक राजनीति रही है। प्रियंका गांधी के आज का भाषण भी पिता के खून से ही शुरू हुआ। तिरंगा की तरफ इशारा करके उन्होंने कहा इस तिरंगे में राहुल के पिता का खून है। इस धरती में राहुल के पिता का खून है। राहुल अपने पिता के जनाजे के पीछे पैदल चले थे। इसलिए इस देश में राहुल का अपमान नहीं होना चाहिए। क्या विचित्र माँग है कांग्रेस की!

राजीव गांधी की हत्या हो गई, सबसे पहला प्रश्न तो यह है कि जिस देश का पूर्व प्रधानमंत्री सुरक्षित ना हो, सोचिए उस देश की जनता तब किस प्रकार असुरक्षित और भय के वातावरण में रहती होगी? इसलिए राजीव गांधी की हत्या तत्कालीन सत्ता के लिए लज्जा का विषय है। न कि ये किसी प्रकार की शहादत है। राजीव गांधी की हत्या किसी स्वतंत्रता संघर्ष में नहीं हुई। उनकी हत्या बताता है कि देश का इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी को किस प्रकार से कमजोर किया गया था। कितना कमजोर था देश तब!

इस देश की यह उदारता है

कि एक विदेशी (अंगरेजो) द्वारा गठित की गई राजनीतिक दल (कांग्रेस) को 70 वर्षों तक सत्ता में बिठाए रखा।

न केवल राजनीतिक दल बल्कि एक विदेशी महिला नागरिक को अपनाया।

अपनों की तरह मान सम्मान दिया। इतने बड़े लोकतांत्रिक देश के सत्ता की बागडोर थमा दी।

और उनके बेटे बेटियों का इस देश के प्रति आचरण देखिए!

इसी का नतीजा है, उन्होंने आज राजघाट के अपने संबोधन में ‘आपका देश’ कहकर संबोधित कीं। देश के लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए प्रधानमंत्री को अपना प्रधानमंत्री मानने के बजाय ‘आपका प्रधानमंत्री’ कह कर बातें कहीं।

इस देश की आवाज को अपना आवाज नहीं मानतीं। इस देश की मीडिया को अपना मीडिया नहीं मानतीं। उनके भाषा का आचरण बता रहा है कि वे विदेशी मुल्क की कोई महिला हैं, जो भारत का भला करने आई हैं और लोग जब उनकी बात नहीं सुनते हैं, नहीं समझते हैं, तो दुत्कारती हैं। प्रियंका गांधी को अब भी समझ जाना चाहिए कि जनता अब ‘मेरा परिवार’ और ‘आपका देश’ का अर्थ अच्छी तरह समझने लगी हैं।

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