मार्च से मई तक का समय दुनिया भर में वायरल इंफेक्शन से सम्बंधित बीमारियों के बढ़ाव का है। इस वर्ष एच3एन2 वायरस का प्रकोप भी बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है। यह इंफेक्शन संक्रामक है इसलिए सावधानी बरते जाने की आवश्यकता है।
दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में इस समय इन्फ्लूएंजा ए के सब टाइप एच3एन2 वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। केंद्र सरकार से प्राप्त अब तक के आंकड़ों के अनुसार एच3एन2 सहित इन्फ्लूएंजा के विभिन्न सब टाइप के 3,038 संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में एच3एन2 वायरस खतरा बढ़ गया है। इस वायरस से देश में अब तक 10 लोगों की मौत हो गई है। वायरस का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में है। यहां अब तक स्वाइन फ्लू और एच3एन2 के कुल 352 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें एच3एन2 से पीड़ित 58 मरीज हैं।
भारत में जनवरी से मार्च तक का वक्त फ्लू सीजन माना जाता है। इस दौरान लोगों में सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इस बार का फ्लू सीजन काफी अलग है। इस बार न सिर्फ मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ी है, बल्कि उनकी खांसी भी हफ्तों ठीक नहीं हो रही। बड़ी संख्या में मरीजों को आईसीयू में भर्ती करने की नौबत आ रही है।
79% सैंपल्स में मिला एच3एन2 वायरस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि लैब में टेस्ट किए गए इंफ्लूएंजा सैंपल्स में से लगभग 79% में एच3एन2 वायरस पाया गया है। इसके बाद 14% सैंपल्स में इंफ्लूएंजा बी विक्टोरिया वायरस पाया गया है और 7% में इंफ्यूएंजा ए एच1एन1 वायरस पाया गया है। एच1एन1 को आम भाषा में स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है।
विशषज्ञों को पहले से ही आशंका थी
इन्फ्लूएंजा वायरस एच3एन2 के तेजी से फैलने के बारे में विशषज्ञों ने पहले ही आगाह किया था। तब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कहा था कि पिछले 2-3 महीनों में इन्फ्लूएंजा टाइप – के सबटाइप एच3एन2 के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को लेकर कहा कि ये वायरस भीड़-भाड़ वाली जगहों में आसानी से लोगों को अपना शिकार बनाता है।
एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमण के बाद गम्भीर लक्षण विकसित होने की सम्भावना अधिक होती है। इनको बीमारी से उबरने में अधिक समय लग सकता है। पिछले तीन साल में ज्यादातर लोग कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं। इसका असर अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ इम्यून सिस्टम पर भी देखा जा सकता है। एंटीजेनिक ड्रिफ्ट के कारण फ्लू वायरस हर साल बदलता है और मौजूदा समय में प्रमुख वायरस एच3एन2 है।
देश में इन्फ्लूएंजा वायरस के बढ़ते आंकड़ों के बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में मार्च के आखिर तक कम होने की उम्मीद जताई है। केंद्र सरकार के अनुसार इन मामलों की ट्रैकिंग की जा रही और संक्रमण और मौतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
एच3एन2 एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है
इन्फ्लूएंजा वायरस पर मेदांता के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष और चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के मुताबिक एच3एन2 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है। यह हर साल इस मौसम में होता है। उन्होंने बताया कि यह इस तरह का वायरस है जो समय के साथ म्यूटेट होता है। इसे मेडिकल की भाषा में एंटीजेनिक ड्रिफ्ट कहते हैं। एच1एन1, वायरस का वर्तमान सर्कुलेटिंग स्ट्रेन एच3एन2 है, इसलिए यह एक सामान्य इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन है। उनका कहना है कि इसलिए मौजूदा वक्त में हम इन्फ्लूएंजा के केसों में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं। इसके मरीजों में बुखार, गले में खराश, खांसी, शरीर में दर्द और नाक बहने के मामले बढ़ रहे हैं। डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि यह कोविड की तरह ही फैलता है। केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें अन्य तरह की बीमारियां हैं। एहतियात के तौर पर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें। इन्फ्लूएंजा के लिए भी उच्च जोखिम वाले समूह और बुजुर्गों के लिए एक वैक्सीन है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होने वाला सांस का एक तेज संक्रमण है जो दुनिया के सभी हिस्सों में फैलता है, और विश्व स्तर पर कुछ महीनों के दौरान इसके मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जाती है। भारत में अब तक केवल एच3एन2 और एच1एन1 संक्रमण का पता चला है। कोविड महामारी के दो साल बाद, बढ़ते फ्लू के मामलों ने लोगों में फिक्र बढ़ा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस ए, इ, उ और ऊ चार तरह का होता है। इनमें ए और इ से मौसमी फ्लू होता है। इन्फ्लूएंजा – के दो प्रकार एच3एन2 और एच1एन1 होते हैं।
इन्फ्लूएंजा टाइप इ का कोई प्रकार नहीं होता, लेकिन लाइनेज होते हैं। इनमें उ सबसे कमजोर और कम खतरे वाला माना जाता है। इसका ऊ टाइप मवेशियों को शिकार बनाता है। आईसीएमआर के मुताबिक, सर्विलांस डेटा बताता है कि 15 दिसंबर के बाद से एच3एन2 के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इन मामलों में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन वाले आधे से ज्यादा मरीज एच3एन2 के संक्रमण से ग्रस्त रहे।
कोविड वेरिएंट नहीं है
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अजय शुक्ला के मुताबिक, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए इन्फ्लूएंजा वायरस एच3एन2 का संक्रमण गम्भीर हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोग मास्क का इस्तेमाल करते रहेंगे तो इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकेगा। आइसीएमआर ने हाल में अपनी स्टडी में पाया कि वर्तमान में लोगों में इंफेक्शन हो रहा है वो बड़े पैमाने पर एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस का है, कोरोना का नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार फिलहाल भारत में इन्फ्लूएंजा के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं उससे लगता है कि यह दौर लम्बे समय तक चलेगा। इसके लक्षण जैसे खांसी और खराश तीन हफ्ते तक रह सकते हैं। वहीं आमतौर पर मौसमी बुखार और खांसी करीब पांच से सात दिन तक रहता है।
सतर्कता ही बचाव है
इन्फ्लूएंजा एच3एन2 (एच3एन2) में सतर्कता बरतनी जरूरी है। इसकी संक्रमण क्षमता ज्यादा है। जुकाम, बुखार, खांसी व शरीर में दर्द जैसे सामान्य लक्षण हैं। जिन लोगों को सांस सम्बंधी कोई बीमारी, एलर्जी, ब्लड प्रेशर व शुगर की समस्या है, वे ज्यादा सावधानी बरतें। इन्फ्लूएंजा पर जो अध्ययन हुए हैं, उसके मुताबिक, इन्फ्लूएंजा की चपेट में आने वाला एक व्यक्ति चार और लोगों को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित व्यक्ति से जितनी दूरी बनाए रखेंगे, उतना ही अच्छा रहेगा। इन्फ्लूएंजा बिल्कुल कोरोना संक्रमण जैसा है। लिहाजा, मास्क लगाने व समय-समय पर हाथ धुलने की आदत बनाए रखनी चाहिए।स्वास्थ्य विशषज्ञों के अनुसार बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और साथ ही गम्भीर बीमारियों से पीड़ित लोगों में एच3एन2 वायरस का संक्रमण चिंताजनक हालात पैदा कर सकता है। गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे निश्चित रूप से उच्च जोखिम में हैं।
इस वायरस के खिलाफ सावधानी बरतने के कुछ तरीके हैं। जिनमें पर्याप्त आराम करना, तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना और सूक्ष्म पोषक तत्वों को शामिल करने के लिए आहार में विविधता लाना भी शामिल है। कोविड के कारण पिछले तीन साल में फ्लू के खिलाफ लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम हुई है।