हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
पाठ्यक्रम संशोधन का विरोध क्यों ?

पाठ्यक्रम संशोधन का विरोध क्यों ?

by हिंदी विवेक
in विशेष, शिक्षा, संस्कृति
0

वास्तविक इतिहासबोध राष्ट्र की विशेष शक्ति होता है। सच्चा इतिहास बोध राष्ट्र बोध जगाता है। राष्ट्रबोध जन गण मन की संजीवनी है। बच्चों को वास्तविक इतिहासबोध की शिक्षा देना राष्ट्रराज्य का कर्तव्य है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने सम्यक विचार के बाद दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए इतिहास की पुस्तकों का पाठ्यक्रम संशोधित किया है। इस संशोधन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट) सहित कई पार्टियों ने पाठ्यक्रम संशोधन पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है। खास तौर पर मुगल साम्राज्य, दिल्ली दरबार, अकबरनामा, बादशाहनामा और कुछ राजनैतिक दलों के उदय वाले अंश विवाद का विषय बने हैं। मुगल शासकों और उनके साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना, रंग चित्रण, राजधानियां, दरबार, उपाधियाँ और उपहार, शाही परिवार, शाही मुगल अभिजात वर्ग वाले अंश ठीक ही हटाए गए हैं। स्वयं को इतिहास का विशेषज्ञ बताने वाले मार्क्सवादी इरफान हबीब सहित कई इतिहासकारों ने साझा हस्ताक्षरों से इस संशोधन का विरोध किया है।

संशोधन के अधिकांश विरोधी इसमें भाजपा की विचारधारा खोज रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है। सच को झूठ और झूठ को सच बताया जा रहा है। ओवैसी ने प्रधानमंत्री पर हास्यास्पद टिप्पणी की है। सपा सांसद शफीकुर्रहमान व कपिल सिब्बल भी विरोध व्यक्त कर चुके हैं। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी एन.सी.ई.आर.टी. के निर्णय की आलोचना की है और इसे साम्प्रदायिक बताया है। अनेक शिक्षाविदों और नेताओं ने एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों से मुगल दरबार का इतिहास हटाए जाने का समर्थन किया है। एन.सी.ई.आर.टी. के निदेशक ने बहस को अनावश्यक बताया है। उन्होंने कहा है कि, ‘‘विशेषज्ञ समिति ने इसकी सिफारिश की थी कि ऐसे अध्यायों को हटाने पर भी बच्चों के ज्ञान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसलिए एक अनावश्यक बोझ को हटाया जा सकता है।

तथ्य सत्य इतिहास की काया होते हैं। मूलभूत प्रश्न है कि हम अपने बच्चों को कैसी शिक्षा देना चाहते हैं?
इतिहास सर्वोच्च मार्गदर्शक होता है। विकृत इतिहास पराक्रमी राष्ट्र के लिए क्षतिकारक होता है। देश में काफी लम्बे समय से इतिहास के प्रतिष्ठित नायकों की उपेक्षा की बात चल रही है। अनेक राष्ट्र निर्माता इतिहास से गायब हैं। उत्तर प्रदेश के सुहेल देव, मार्तण्ड वर्मा आदि प्रेरित करते हैं। लेकिन इतिहास से बाहर हैं। भारतवासियों पर इतिहास की उपेक्षा के आरोप लगाए जाते रहे हैं। अल बेरूनी का आरोप था कि, ‘‘हिन्दू घटनाओं के ऐतिहासिक क्रम पर ध्यान नहीं देते। वे अपने सम्राटों के कालक्रमानुसार उत्तराधिकार के वर्णन में लापरवाह हैं।‘‘ इसी तरह एल्फिंस्टन को सिकंदर के पहले किसी भी घटना का निश्चित समय दिखाई नहीं पड़ता।‘‘ उनकी माने तो भारतवासी इतिहास को लेकर सजग नहीं हैं।

सत्य यह है कि यहाँ का इतिहास संकलन यूरोपीय तर्ज वाले इतिहास से भिन्न है। गाँधी जी भी राजाओं के विवरण को सच्चा इतिहास नहीं मानते थे। उन्होंने ‘हिन्द स्वराज‘ में लिखा, ‘‘इतिहास जिस अंग्रेजी शब्द हिस्ट्री का तर्जुमा है और जिस शब्द का अर्थ बादशाहों या राजाओं की तवारीख होता है। हिस्ट्री में दुनिया के कोलाहल की ही कहानी है। राजा लोग कैसे खेलते थे। कैसे खून करते थे। कैसे बैर करते थे। ये सब हिस्ट्री में मिलता है।” वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास का विरूपण किया। सम्प्रति एन.सी.ई.आर.टी. प्रत्येक वर्ष बच्चों को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम की समीक्षा करती है। इतिहास और वर्तमान का सम्बंध अविभाज्य है। हम इतिहास के प्रेरक अनुभवों से शक्ति अर्जित करते हैं। भूलों चूकों से सीखते हैं। इतिहास सहित सभी विषयों का पुनरीक्षण जरूरी है। एन.सी.ई.आर.टी. वही कर रही है।

भारत में इतिहास संकलन की अपनी परंपरा है। यह बात सही नहीं है कि भारत के लोग इतिहास की उपेक्षा करते थे। अमरकोष के अनुसार इतिहास का नाम ‘पुरावृत्त‘ था। कालिदास के रघुवंश में भी श्रीराम के समय के इतिहासबोध की चर्चा है। विश्वामित्र ने श्रीराम को पुरावृत्त सुनाया था। इतिहास के पाठों की रचना सतर्कतापूर्वक की जानी चाहिए। इतिहास का विरूपण खतरनाक होता है। बच्चे भारत का भविष्य हैं। उन्हें विरूपित इतिहास पढ़ाना खतरनाक है। एन.सी.ई.आर.टी. का निर्णय इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आखिरकार बच्चों को विश्व राजनीति में अमेरिकी दबदबा पढ़ाने का क्या तुक है? अमेरिकी दबदबा एक विचार मात्र है। यह ऐतिहासिक तथ्य नहीं है। कथित हिन्दू चरमपंथियों की गाँधी के प्रति नफरत भी एक कल्पना है। इन्हें हटाना सर्वथा उचित है। बेशक भारत में भिन्न भिन्न राजनैतिक विचारधाराएं हैं। सबको अपनी अपनी विचारधाराओं के अनुसार लोकमत बनाने का अधिकार है। लेकिन अपने मन का इतिहास गढ़ना और पढाना अनुचित है।

एन.सी.ई.आर.टी. का यह कदम पहला नहीं है। साल 2002 में भी इतिहास की विषयवस्तु को लेकर राजनैतिक आरोप लगाए गए थे। उस समय केन्द्र सरकार पर शिक्षा और इतिहास के तालिबानीकरण करने का आरोप लगाया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी आरोपित किया गया था। सम्प्रति मुगल साम्राज्य के कुछ अंश हटाने को लेकर खास तरह की आक्रामकता है। मुगल साम्राज्य का केन्द्रीय विचार मजहबी श्रेष्ठता है। यह देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के अपमान की व्यथा कथा है। आखिरकार इसे बच्चों को पढ़ाने का उपयोग और उद्देश्य क्या है? बाबर से शुरू हुआ मुगल साम्राज्य उन्नीसवीं सदी तक बहादुर शाह जफर के समय तक फैला हुआ है। बाबर श्रीराम जन्म भूमि मंदिर ध्वंस के मुख्य अभियुक्त हैं। अपवाद छोड़कर मुगल साम्राज्य के काल में हिन्दू तीर्थ यात्राओं पर भी टैक्स था। मुगल साम्राज्य में हिन्दू उत्पीड़न एक तथ्य है। लेकिन वामपंथी इतिहासकारों ने मुगलकालीन शासन का मनगढ़ंत तरीके से महिमामंडन किया है।

औरंगजेब घोर सांप्रदायिक था। उत्पीड़क और अत्याचारी था। वह भारतीय परम्पराओं का विरोधी था। डॉ. राधाकृष्णन ने ‘धर्म और समाज‘ में औरंगजेब द्वारा अपने अध्यापक को लिखे पत्र का उल्लेख किया है, ‘‘तुमने मेरे पिता से कहा था कि तुम मुझे दर्शन पढ़ाओगे। तुमने वस्तुओं के सम्बंध में अनेक अव्यक्त प्रश्न समझाए। इनका मानव समाज के लिए कोई उपयोग नहीं है। तुमने यह समझाने की चेष्टा नहीं की कि शहर पर घेरा कैसे डाला जाता है और सेना को कैसे व्यवस्थित किया जाता है।” यह पत्र औरंगजेब की हिंसक मनोदशा को प्रकट करता है। उसने सगे भाई दारा शिकोह को मरवा दिया था। शिकोह की गलती यही थी कि वह भारतीय उपनिषद दर्शन और वेदांत के प्रति उत्सुक था।

पाठ्यक्रम में अन्य विषयों का भी संशोधन हुआ है लेकिन मुगल साम्राज्य को लेकर खासी हायतोबा है। इतिहास के संशोधन का सीधा सम्बंध बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। मूलभूत प्रश्न है कि बच्चे क्या पढ़ें? और क्यों पढ़ें? उन्हें शुद्ध और तथ्यगत इतिहास ही पढ़ाया जाना चाहिए। शुद्ध इतिहास से वे अपने भविष्य को ज्ञानवान और समृद्ध बनाएँगे। वे राष्ट्र के आधारभूत तथ्यों से परिचित होंगे। राष्ट्र निर्माण का कार्य करेंगे। फर्जी और मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर इतिहास लेखन देश के लिए क्षतिकारी है। आर्यों को विदेशी बताना भी ऐसा ही तथ्य है। इस पर भी विचार की आवश्यकता है। इतिहास राष्ट्र का मार्गदर्शी होता है।लेकिन उसका सत्य होना अनिवार्य है। विभिन्न राजनैतिक दल एन.सी.ई.आर.टी. के इस निर्णय को अपना राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ही गलत बता रहे हैं।

– हृदयनारायण दीक्षित

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: educationhistory of indiahistory researchncert

हिंदी विवेक

Next Post
बलिदानी वीर राम सिंह पठानिया

बलिदानी वीर राम सिंह पठानिया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0