पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए करीब 50 हिंदू परिवार जोधपुर की एक सरकारी जमीन पर 2013 से ही रह रहे थे। ये मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां के मुसलमानों ने इन हिंदू शरणार्थियों से जमीन का किराया वसूलना शुरू किया। ये जानकारी मिलने के बाद निमित्तेकम के जय अहूजा ने अवैध किराया वसूली को बंद करवाया और वहां के मुसलमानों को नसीहत दी कि सरकारी जमीन का किराया कैसे वसूल रहे हो ?
इसके बाद इन मुसलमानों ने पाकिस्तान से आए इन हिंदू शरणार्थियों को भगाने का षड़यंत्र रच। वहां के एक मुस्लिम पत्रकार ने कुछ मूर्ख हिंदुओं को साथ लेकर प्रशासन पर दबाव डलवाया और बुलडोजर की कार्रवाई करवा दी। जमीन खाली करवाने से पहले नियम के मुताबिक हिंदू शरणार्थियों को एक हफ्ते का नोटिस दिया जाना चाहिए था जो नहीं दिया गया।
यहां पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू शरणार्थी एक बार फिर भारत के जिहादी इको सिस्टम और कांग्रेस की वोट बैंक पॉलिटिक्स से प्रताड़ित किए जा रहे हैं। आज उस जगह पर हालत ये है कि 40 डिग्री के तापमान पर 15 दिन का नवजात बच्चा भी धूप में पड़ा है और उसके सिर पर छत नहीं है । हिंदुओं के साथ हिंदुस्तान में ये सुलूक हो रहा है।
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए दंगों के बाद जब कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई होने जा रही थी, तो उसको रुकवाने का काम सुप्रीम कोर्ट ने किया। उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर बैठी लाखों की जिहादी आबादी के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ये तर्क दिया गया कि यहां पर कानूनी नहीं बल्कि मानवीय पहलू को देखा जाएगा। लेकिन यही सुप्रीम कोर्ट क्या पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के मामले में कोई मानवीय पहलू देखेगी? क्या हिंदुओं का हिंदुस्तान में कोई मानवाधिकार है?