हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
उत्तर प्रदेश भयमुक्त प्रदेश की ओर अग्रसर 

उत्तर प्रदेश भयमुक्त प्रदेश की ओर अग्रसर 

by अवधेश कुमार
in राजनीति, विशेष, सामाजिक
0

एमपी एमएलए न्यायालय द्वारा माफिया अपराधी मुख्तार अंसारी को 10 साल तथा भाई अफजाल को 4 वर्ष की सजा आज भले ही किसी को सामान्य लगे पर कुछ वर्ष पहले इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। जिस गाजीपुर के तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में दोनों भाइयों की सजा हुई है, उसमें पहले न्यायालय को कोई सबूत नहीं मिला था। हत्या 29 नवंबर, 2005 को हुई थी। सरेआम हत्या की भयानक घटना से पूरा क्षेत्र दहल गया था। चारों ओर भय और आतंक का माहौल था ।

लेकिन अंसारी परिवार का बाल बांका न हुआ। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या अन्य विरोधी दल के नेता वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार के कानून व्यवस्था संबंधी कार्रवाइयों को लेकर कुछ भी कहें, आम लोगों को पता है कि इनके शासनकाल में अंसारी परिवार की हैसियत इतनी बड़ी थी कि कोई पुलिस अधिकारी उन्हें छूने का साहस नहीं कर सकता था।हत्या के बाद ही कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने मुख्तार, अफजाल, उनके बहनोई एजाजुल हक, मुन्ना बजरंगी आदि पर मोहम्मदाबाद थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया था। इनमें एजाजुल हक की मृत्यु हो गई। इस हत्याकांड का एक घिनौना पक्ष था कि हत्यारों ने कृष्णानंद राय पर एके-47 से केवल 500 गोलियां ही नहीं बरसाई उनकी शिखा भी काट कर ले गए। किसी की शिखा काट लेने का मतलब क्या था?

हम सामान्यतः मजहबी इरादे से किए गए अपराध के पहलू की चर्चा से बचते हैं किंतु सच तो सच है। आखिर उन हत्यारों की सोच में ऐसा क्या रहा होगा जिससे किसी हिंदू की हत्या करने के बाद उसकी शिखा काट दी जाए। सजा के बाद कृष्णानंद राय के पुत्र पीयूष राय ने कहा कि आज न्यायपालिका ने उस शिखा का मान बढ़ाया है । अंसारी परिवार पर वाराणसी के कोयला कारोबारी नंदकिशोर रुंगटा के अपहरण व हत्या का आरोप भी है। रुंगटा व्यापारी होने के साथ विश्व हिंदू परिषद के भी नेता थे। उनका अपहरण किया गया, 5 करोड़ की फिरौती मांगी गई, परिवार ने डेढ़ करोड़ दे दिया, बावजूद उनकी हत्या कर दी गई। रुंगटा का शव तक नहीं मिला था।

तो ये दोनों इस हत्या के ऐसे पहलू हैं जिनका ध्यान रखे बगैर हत्या के पीछे की सोच को नहीं समझा जा सकता। वैसे न्यायालय ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उसने कहा है कि इन दोनों भाइयों के साथ गैंगस्टर मामला बिल्कुल उचित है। माफिया मुख्तार का एक अंग है जिसका उद्देश्य न केवल व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करना है बल्कि आर्थिक लाभ के लिए अपराध करना भी है। न्यायालय के संज्ञान में यह विषय आ गया था कि इस परिवार के आतंक से कोई गवाही देने को तैयार नहीं होते थे या भय से इनके पक्ष में आ जाते थे। इस कारण यह मुकदमे से  दोषमुक्त हो जाते थे। कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी एकमात्र चश्मदीद गवाह शशिकांत राय की भी कुछ ही दिनों बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इतने बड़े हत्याकांड में न कोई गवाह सामने आया और न कोई सबूत ही मिला। इस कारण सभी आरोपी बरी कर दिए गए थे। इस पृष्ठभूमि में वर्तमान फैसले का महत्व आसानी से समझ में आ सकता है।

मुख्तार की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाई है कि योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाइयों के बाद पंजाब में उसके खिलाफ किसी व्यापारी को धमकाने का मामला दर्ज हुआ और उसे ले जाया गया। इसके बाद उप्र सरकार लगातार उसे वापस लाने की कोशिश करती रही लेकिन वहां की कांग्रेस सरकार उसके पक्ष में मुकदमा लड़ती रही। आम आदमी पार्टी सरकार के कानून मंत्री ने विधानसभा में बताया है कि उसका मुकदमा लड़ने का 50 लाख रुपया का फीस वकील का बकाया है। आज देश को कांग्रेस पार्टी से यह पूछना चाहिए कि मुख्तार को पंजाब की जेल में रखने के लिए वह इस सीमा तक जाकर मुकदमे क्यों लड़ती रही? आज तक पता नहीं चला कि किस व्यापारी को उसने धमकाया था जिसके कारण मुकदमा दर्ज हुआ। जाहिर है, उद्देश्य केवल मुख्तार अंसारी को योगी सरकार के कोप से रक्षित करना था। एक अपराधी को सत्ता का इतना बड़ा संरक्षण कांग्रेस के शासनकाल में मिला तो तो देश को यह जानने का हक है कि ऐसा क्यों किया गया?

 मुख्तार – अफजाल परिवार पर मुकदमों की लंबी सूची है। मुख्तार पर कुल 61 मामले दर्ज हैं जिनमें 8 हत्या के हैं। अफजाल अंसारी पर सात, भाई शिवतुल्लाह पर तीन, पत्नी अफशां पर एक, बेटे अब्बास पर आठ, बेटे उमर पर छह और अब्बास की पत्नी निखत बानो पर एक आपराधिक मामला दर्ज है। अपराधी व दंगाई होने के बावजूद मुख्तार मऊ सदर से लगातार पांच बार विधायक बना। दो बार बसपा, दो बार निर्दलीय और एक बार अपनी कौमी एकता दल से। हालांकि 2022 में इस सीट से उसका बेटा अब्बास जीता लेकिन वह धनशोधन के मामले में जेल में बंद है। उस क्षेत्र में राजनीति में जो भी उभरता उसे इस परिवार का या तो सामना करना पड़ता या उसके सामने समर्पण।

मनोज सिन्हा, कृष्णानंद राय जैसे नेताओं ने उनको सीधी चुनौती देकर राजनीति की धारा को मोड़ने की कोशिश ही नहीं की सफलता भी पाई। कृष्णानंद राय ने जैसे को तैसे की भाषा में जवाब देना आरंभ किया क्योंकि पुलिस प्रशासन के यहां शिकायत करना व्यर्थ होता था ।  ठेके से लेकर अन्य कार्यों को लेकर कई गैंगवार उस क्षेत्र में चले। अंसारी परिवार ने अपने लाभ के लिए हिंदू मुस्लिम विभाजन पैदा कर हिंसा की और कराई। इस कारण वहां संप्रदायिक तनाव की भी अनेक घटनाएं हुईं। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से ही कानूनी, राजनीतिक लड़ाइयां आरंभ हुई, आंदोलन हुए, संघर्ष हुए लेकिन इनके विरुद्ध कार्रवाई करना संभव नहीं हुआ।  2007 में पहली बार मुख्तार व अफजाल के विरुद्ध गैंगस्टर कानून के तहत कार्यवाही की गई थी। हालांकि यह कार्रवाई भी कानूनी मुकाम तक नहीं पहुंच सकी।

वास्तव में अगर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार नहीं होती तो मुख्तार अंसारी परिवार की राजनीति, प्रशासन, पुलिस, कारोबार आदि में जितनी बड़ी हैसियत थी उसका जेल जाना व सजा मिलना कतई संभव नहीं होता। इसलिए यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि योगी आदित्यनाथ की अपराधियों और माफियाओं का कानूनी रूप से विनाश करने के प्रति प्रतिबद्धता संदेहों से परे है।   ऐसा नहीं होता तो अतीक और अंसारी परिवार का राज्यव्यापी आपराधिक व आर्थिक साम्राज्य ध्वस्त नहीं होता। मुख्तार अंसारी को यह पहली सजा नहीं मिली है। 22 सितंबर,  2022 से 29 अप्रैल ,2023 के बीच 4 मामलों में उसे सजा मिल चुकी है। 22 सितंबर, 2022 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने मुख्तार को 7 साल कैद की सजा सुनाई तो 23 सितंबर को गैंगस्टर के मामले में स्थानीय न्यायालय ने 5 साल की।

15 दिसंबर, 2022 को अवधेश राय की हत्या से जुड़ा मामला और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पर हमला सहित पांच मामलों में गाजीपुर के सांसद विधायक न्यायालय ने 10 साल की सजा सुनाई थी।  आज की हालत यह है कि मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास एवं उसकी पत्नी निखत जेल में है। मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी तथा दूसरा बेटा उमर फरार है। अफशा पर पुलिस ने 75 हजार का इनाम घोषित कर रखा है। अफशां पर अनुसूचित जाति के लोगों को डरा धमका कर उनकी जमीनें अपने नाम लिखाने के मामले में गैंगस्टर कानून के तहत मुकदमा दर्ज है और वह 12 इनामी अपराधियों की सूची में शामिल है। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी पर भी भड़काऊ भाषण का ही मामला है। बिना इजाजत जेल में उससे मिलने वाला अवैध गतिविधियां चलाने के आरोप में आरोप उसकी पत्नी पर है। अंसारी की अब तक 291 करोड़ ,19 लाख से ज्यादा की संपत्ति जब्त हो चुकी है तथा 284 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की संपत्ति ध्वस्त कर दी गई है।

ऐसे प्रभुत्वशाली और माफिया परिवार की इस तरह की दुर्दशा की कल्पना कभी नहीं की जा सकती थी थी। अफजाल अंसारी को सजा होने के बाद उसकी लोकसभा सदस्यता भी खत्म हो गई। अंसारी परिवार की इस कानूनी दुर्दशा के साथ माना जा सकता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश से माफिया का प्रभुत्व अब खत्म हो जाएगा। वास्तविक रूप में प्रदेश कानून के राज और भयमुक्त समाज की ओर अब जाकर अग्रसर हुआ है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए निश्चित रूप से यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। अब इसके समानांतर पुलिस प्रशासन के अंदर व्यापक सुधार और परिवर्तन की आवश्यकता है ताकि पुरानी सोच के जो लोग अपराधमुक्त उत्तर प्रदेश के मार्ग की बाधा बनते हैं वो वर्तमान शासन के अनुरूप अपनी सोच और व्यवहार बदलें या बाहर हो जाएं।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: CM yogi adityanathend of mafia ruleuttar pradesh

अवधेश कुमार

Next Post
समलैंगिक विवाह एक मानसिक बुराई

समलैंगिक विवाह एक मानसिक बुराई

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0