इंदौर की चर्चित फिल्मी हस्तियां

मुंबई का बच्चा कहलाता है इंदौर। मुंबई स्थित ग्लैमर वर्ल्ड में इंदौर शहर के भी कुछ सितारों ने अपनी जगमगाहट दिखाई है। इनमें लता मंगेशकर, अमीर खान, सलमान खान जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इस आलेख में इंदौर में जन्मे प्रमुख कलाकारों के साथ-साथ उन्हें भी शामिल किया गया है, जिनका इंदौर से नाता रहा है।

अच्युत पोतदार – अभिनेता

इनका जन्म तो जबलपुर में हुआ, लेकिन इंदौर में पले-बढ़े होने के कारण इस शहर से गहरा नाता रहा। सवा सौ फिल्मों, 95 धारावाहिक, 26 से ज्यादा नाटकों में अपने अभिनय की खुशबू बिखेरी।

 

 

अंकिता लोखंडे – अभिनेत्री

अंकिता लोखंडे ने ‘पवित्र रिश्ता’ नामक टीवी धारावाहिक में अर्चना नामक किरदार निभाया था। आज भी कई लोग उन्हें अर्चना के नाम से ही जानते हैं। अंकिता ने डांस रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ (2011) में भी हिस्सा लिया। इसके अलावा वे ‘कॉमेडी सर्कस’ (2011), ‘एक थी नायिका’ (2013) और ‘कुछ तो है तेरे मेरे दरमियां’ (2015) में भी नजर आईं।

 

अमीर खान – गायक

शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अमीर खान का नाम अदब के साथ लिया जाता है। भारतीय शास्त्रीय गायिकी में अमीर खान का स्थान बहुत ऊंचा है और इंदौर घराना की शुरुआत उन्होंने ही की थी। ‘बैजू बावरा’ में अमीर खान ने राग पुरिया धनश्री पर आधारित ‘तोरी जय जय करतार’, राग तोड़ी पर आधारित ‘लंगर कांकरिया जी ना मारो’, राग मेघ पर आधारित ‘घनन घनन घन गरजो रे’ और राग दरबारी पर आधारित ‘सरगम’ गीतों में अपनी आवाज दी। ‘शबाब’, ‘झनक झनक पायल बाजे’, ‘गूंज उठी शहनाई’ जैसी फिल्मों में भी राग आधारित गाने गाए।

 

अनिल नागरथ – निर्माता, निर्देशक, अभिनेता

इंदौर से नाता रहा। ‘सुर्खियां’ और ‘आज की ताकत’ फिल्में बनाईं और 500 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया।

 

जयप्रकाश चौकसे – निर्माता, लेखक

‘शायद’ फिल्म का निर्माण। कत्ल, वो तेरा नाम था, बॉडीगार्ड जैसी फिल्मों का लेखन। दस का दम, महाभारत, बिग बॉस जैसे शो में भी लेखन कार्य किया।

 

 

सुशील जौहरी – अभिनेता

इंदौर के रंगमंच पर सक्रिय भूमिका निभाने वाले सुशील जौहरी ने बड़े और छोटे पर्दे पर भी अभिनय के जौहर दिखाए हैं।

 

जॉनी वाकर – अभिनेता

गुरुदत्त के सामने शराबी का अभिनय इतने जोरदार तरीके से किया कि उन्होंने बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को जॉनी वाकर का नाम दे दिया। भारत के महान हास्य अभिनेताओं में से एक। साफ-सुथरी कॉमेडी के हिमायती जॉनी ने कभी दर्शकों को हंसाने के लिए अश्लीलता का सहारा नहीं लिया और कई फिल्मों में अपने सहज-सरल अभिनय से दर्शकों का मन बहलाया।

 

कुमार वलवहादा पल्लाना – अभिनेता

कुमार ने बॉटल रॉकेट, रशमोर, द रॉयल टेनेबॉमस,  अनादर अर्थ और द दार्जिलिंग लिमिटेड जैसी फिल्मों में काम किया।

 

किशोर कुमार – गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक

यूं तो किशोर कुमार खंडवा में जन्मे थे, लेकिन इंदौर में भी उन्होंने कुछ वर्ष गुजारे। क्रिश्चियन कॉलेज के होस्टल में रहते हुए उन्होंने पढ़ाई की। कॉलेज में पढ़ाई से ज्यादा ध्यान उनका गायन और मस्ती में था। फिल्मों के आकाश में वे वर्षों तक अपने गायन और अभिनय के जरिये जगमगाते रहे। आज भी उनके गाए गीत बेहद चाव के साथ सुने जाते हैं। एक निर्देशक के रूप में संजीदा फिल्में बनाईं जो उनके मसखरे स्वभाव से बिलकुल अलग थीं। अभिनेता के रूप में उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी की परिभाषा पर किशोर सदैव खरे उतरे।

लता मंगेशकर – गायिका

प्रत्येक इंदौरवासी का गर्व से सीना इस बात से फुल जाता है कि स्वर साम्राज्ञी लता का जन्म इंदौर में हुआ है। लता इतनी महान गायिका हैं कि उनकी तारीफ में शब्दों का बौनापन महसूस होता है। उनकी जादुई आवाज से दिल में घुमड़ने वाले भावों को व्यक्त नहीं सिर्फ महसूस किया जा सकता है। सिख मोहल्ले में उनका जन्म हुआ और वो घर अभी भी मौजूद है। इस घर को स्मारक का रूप दिया जा सकता है, ताकि इंदौर आने वाला हर शख्स संगीत की देवी की इस जन्मस्थली को देखने का सौभाग्य प्राप्त कर सके, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। लता के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कार इंदौर में ही दिया जाता है।

मकबूल फिदा हुसैन – पेंटर, निर्देशक

हुसैन को चित्रकार के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है, लेकिन एक फिल्ममेकर के रूप में भी उन्होंने गजगामिनी, मीनाक्षी- ए टेल ऑफ थ्री सिटीज जैसी अद्भुत फिल्में बनाई हैं, जो किसी पेंटिंग से कम नहीं हैं।

 

 

मेघदीप बोस – संगीत

म्युजिक कम्पोजर, निर्माता, अरेंजर और गायक के रूप में मेघदीप फिल्मों में व्यस्त हैं।

 

मोहन सिन्हा – निर्माता, निर्देशक

इंदौर के ही मोहन सिन्हा को श्रेय जाता है कि उन्होंने अभिनेत्री मुमताज को मधुबाला का नाम दिया। वे मुमताज को लेकर ‘मेरे भगवान’ (1947) फिल्म बना रहे थे, तब उन्होंने नामकरण किया। 32 फिल्में बनाईं और राज कपूर, मधुबाला, देवआनंद, सुरैया जैसे कलाकारों के साथ काम किया। जीवन और मदनपुरी को ब्रेक दिया।

 

पलक मुछाल – गायिका

पलक मुछाल ने अपनी गायकी के जरिये उन बच्चों के लिए पैसा जुटाया जो गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे थे। पलक द्वारा गाए गीत, लापता (एक था टाइगर/2012), चाहूं मैं या ना (आशिकी 2/2013), फोटोकॉपी (जय हो/ 2013), जुम्मे की रात (किक/ 2014), तेरी मेरी कहानी (गब्बर इज बैक/ 2015), प्रेम रतन धन पायो (प्रेम रतन धन पायो/ 2015), देखा हजारों दफा (रुस्तम/ 2016) तथा काबिल हूं (काबिल/2017) लोकप्रिय रहे।

पलाश मुछाल – संगीतकार

पलक मुछाल के भाई पलाश ने भी संगीत के जरिये समाज सेवा की है। फिल्म और टीवी की दुनिया में बतौर संगीतकार सक्रिय हैं।

 

राहत इंदौरी – गीतकार

उर्दू साहित्य के लिए अद्भुत काम करने वाले राहत ने फिल्मों में भी गीत लिखे हैं। खुद्दार, मुन्नाभाई एमबीबीएस, इश्क, करीब, मर्डर, मीनाक्षी जैसी फिल्मों में उन्होंने गहरे अर्थ लिए गीतों की रचना की।

 

रीटा भादुड़ी – अभिनेत्री

रीटा ने ज्यादातर फिल्मों में सहायक अभिनेत्री की भूमिका अदा की। सावन को आने दो, नास्तिक, अनुरोध, कॉलेज गर्ल, फूलन देवी, राजा, बेटा उनकी चर्चित फिल्में हैं। 80 गुजराती फिल्मों में भी काम किया और टीवी पर भी काफी सक्रिय रहीं।

सलीम खान – लेखक

जावेद के साथ सलीम खान को हिंदी फिल्मों का पहला स्टार लेखक होने का दर्जा मिला। कुछ फिल्मों में अभिनय के बाद सलीम ने लेखन की राह चुनी। हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, यादों की बारात, जंजीर, दीवार, शोले, चाचा भतीजा, त्रिशूल, डॉन, दोस्ताना जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में लिखी। भावना प्रधान कहानियां, मजबूत किरदार और हिट होने के फॉर्मूलों से सजी स्क्रिप्ट उनकी खासियत रही है।

सलमान खान- अभिनेता, निर्माता

सलमान उन दर्शकों के लिए फिल्म करते हैं जो फिल्मों में विशुद्ध मनोरंजन के लिए आते हैं। इस समय वे बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे हैं। उनकी फिल्मों से कई लोग करोड़ों रुपये कमाते हैं और वे फिल्म इंडस्ट्री को जरूरी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। लगभग तीस वर्ष से सक्रिय इस अभिनेता को चाहने वाले दुनिया भर में मौजूद हैं। एक स्टार के रूप में दर्शकों के बीच जूनून पैदा करने वाले सलमान जैसे सितारे बहुत कम होते हैं।

 

स्नेहा खानवलकर – संगीतकार

गिनी-चुनी महिला संगीतकारों में से एक स्नेहा खानवलकर इंदौर से ही हैं। फिल्म ‘द होप’ (2004) और ‘कल- यस्टरडे एंड टूमारो (2005) में स्नेहा को संगीत देने का अवसर मिला। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘गो’ (2007) के जरिये स्नेहा को बड़ा मौका मिला। खूबसूरत में स्नेहा द्वारा संगीतबद्ध गीत ‘इंजिन की सीटी’ और ‘मां का फोन आया’ हिट रहे। अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ ने स्नेहा के कद को ऊंचा किया।

समीक्षा जायसवाल  – अभिनेत्री

टीवी सीरियल ‘जिंदगी की महक’ के जरिये समीक्षा ने अपनी पहचान बनाई है।

 

शाहबाज खान – अभिनेता

उस्ताद अमीर खां के बेटे शाहबाज ने टीवी धारावाहिक ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ के जरिये अपनी पहचान बनाई। ऊंची-पूरी शख्सियत और दमदार आवाज के धनी शाहबाज ने बेताल पच्चीसी, चंद्रकांता, युग, द ग्रेट मराठा जैसे टीवी सीरियल्स में लीड रोल निभाए। साथ ही कुछ फिल्मों में वे दिखाई दिए हैं।

 

स्वानंद किरकिरे – गीतकार, गायक, संगीतकार, अभिनेता

कुछ गीतकारों ने लिखने से कभी समझौता नहीं किया, उनमें से स्वानंद किरकिरे एक हैं। इंदौर स्थित रामबाग में जन्मे स्वानंद ने कुछ ही समय में अपने उम्दा काम के जरिये फिल्म जगत में अपनी पहचान बना ली है। फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें’ में स्वानंद का लिखा और गाया पहला गीत ‘बावरा मन देखने चला एक सपना’ इतना शानदार था कि स्वानंद के पैर मजबूती से जम गए। इसके बाद उन्होंने कई अर्थपूर्ण गीत लिखे। राजकुमार हिरानी, रोहित शेट्टी, प्रकाश झा जैसे फिल्मकारों के लिए काम किया। संवाद लेखन, संगीत और गायकी में भी अपने जौहर दिखा रहे हैं।

 

विजयेन्द्र घाटगे – अभिनेता

इंदौर के राजपरिवार से संबंधित विजयेन्द्र एक शानदार शख्सियत के मालिक रहे हैं। उन्होंने फिल्मों में हीरो से लेकर तो चरित्र अभिनेता के कई किरदारों को जिया है। खनकदार आवाज उनके अभिनय को सशक्त बनाती है।

 

– समय ताम्रकार 

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