पाकिस्तानी जलक्षेत्र में अवैध रूप से मछली पकड़ने के आरोप में कराची की एक जेल में बंद 198 भारतीय मछुआरों को पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने रिहा कर दिया और उन्हें वाघा सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। मछुआरों को बृहस्पतिवार शाम में कराची की मलीर जेल से रिहा किया गया।
मलीर जेल अधीक्षक नजीर तुनियो ने बताया कि उन्होंने जेल में बंद भारतीय मछुआरों के पहले जत्थे को रिहा कर दिया है तथा मछुआरों के दो अन्य जत्थों को जून और जुलाई में रिहा किया जाएगा। उन्होंने कहा, हमने जेल में बंद 198 मछुआरों को बृहस्पतिवार को रिहा कर दिया जबकि 200 और मछुआरों को बाद में रिहा किया जाएगा।
तुनियो ने कहा कि मलीर जेल से बृहस्पतिवार को 200 भारतीय मछुआरों को रिहा किया जाना था लेकिन उनमें से दो मछुआरों की बीमारी के कारण मौत हो गई। दो मृतक मछुआरों में एक मुहम्मद जुल्फिकार शामिल था, जिनका 6 मई को निधन हो गया और दूसरा सोम देव था, जिसका लंबी बीमारी के बाद 9 मई को पाकिस्तान की जेल में निधन हो गया था। उनके शवों को एधी फाउंडेशन की मोर्चरी में तब तक रखा गया है जब तक कि उन्हें भारत नहीं लाया जा सकता। सोमा और उनके भतीजे उन दर्जन भर भारतीय मछुआरों में शामिल हैं जिन्हें करीब साढ़े चार साल पहले समुद्र में गिरफ्तार किया गया था और वे मालिर जेल में बंद थे।
पाकिस्तान फिशरफॉक फोरम के महासचिव सईद बलूच ने कहा कि दोनों सरकारों के बीच हुए समझौते के तहत 200 भारतीय मछुआरों का दूसरा बैच 2 जून को और 100 अन्य 3 जुलाई को रिहा किया जाएगा। बलूच ने कहा कि उन्हें भारतीय मछुआरों के लिए बहुत सहानुभूति है क्योंकि उनमें से अधिकांश सिर्फ आजीविका के लिए बाहर थे और जब उन्होंने दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय जल को पार किया तो उन्हें इसका एहसास भी नहीं हुआ। सईद बलूच ने कहा, “दुख की बात यह है कि उनमें से कुछ को घर लौटने का मौका मिलने से पहले 7 से 8 साल जेल में बिताने पड़े। मछुआरा सहकारी समिति, सिंध के प्रशासक ज़ाहिद इब्राहिम भट्टी ने कहा कि लगभग 200 पाकिस्तानी मछुआरे भारतीय जेलों में बंद हैं और उम्मीद है कि भारतीय मछुआरों की रिहाई के बाद वे भी जल्द घर लौट आएंगे।