नालासोपारा में प्रति शनि शिंगणापुर

पालघर जिला अपने ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों के लिए विख्यात है। कई प्राचीन मंदिरों के अलावा यहां पर बहुतेरे महात्माओं के सिद्ध स्थल भी हैं। यहां के मनोरम वातावरण और धार्मिक भाव से भरे माहौल ने हर युग में लोगों की आध्यात्मिक पिपासा को पूर्ण किया है।

कोंकणी और केरल वास्तुकला का कौलारू मंदिर नई और पुरानी शैली के संगम से बना है। मंदिर परिसर में कदम रखते ही यहां की साफ-सफाई और साफ-सफाई को देखकर प्रभावी प्रबंधन का अंदाजा हो जाता है। मंदिर के दाहिनी ओर नीले आकाश के नीचे एक खुले वलय के बीच में शनि शिंगणापुर की तरह शनि शिला की प्रतिकृति है। सामने हनुमान जी की छोटी मूर्ति है। इस शनि शिला पर शनि देव और हनुमान को श्रीफल अर्पित करने और तेल का अभिषेक करने के बाद भक्त मंदिर में शनि की मूर्ति के दर्शन के लिए जाते हैं।

प्रति शनि शिंगणापुर के नाम से प्रसिद्ध शनि मंदिर पालघर के नालासोपारा पश्चिम के वाघोली गांव में स्थित है।  वाघोली शनि मंदिर ठीक लकड़ी के काम और कौलारू छत वाला एक बहुत ही सुंदर मंदिर है। मंदिर में शनि देव की बहुत ही सुंदर पूर्वमुखी काले पत्थर की मूर्ति है।

वसई के पास हेदवडे गांव में स्थित मंदिर है। बाबासाहेब हाटे ने यहां महाप्रसाद की दैनिक प्रथा शुरू की। हेदवड़े महालक्ष्मी मंदिर में केवल शुक्रवार को ही खुलता है

दहाणू महालक्ष्मी मंदिर

महाराष्ट्र में पालघर जिले के डहाणू में महालक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर है, जहां खेत की पहली फसल से महालक्ष्मी की पूजा होती है। पितृ अमावस्या के दिन यहां आदिवासी मेला लगता है। यहां के सभी किसान अपने खेत  में पैदा होने वाले धान, बाजरा, ककड़ी, गोभी सहित विविध प्रकार की सब्जी तथा फल चढ़ाकर मां की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि मां को खेत की फसल अर्पित करने से उनके घर में सुख-शांति तथा पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है।

ऐसा मानना है कि महालक्ष्मी मां कोल्हापुर से भ्रमण करने निकली थी लेकिन यह मां रानशेत के पास स्थित भूसल पर्वत की एक गुफा में जाकर बैठ गईं। समय बीतता गया। आदिवासी लोग मां के दर्शन के लिए गुफा में आने लगे। मंदिर महाराष्ट्र के सबसे प्राचीन मंदिरों मे से एक है। इस मंदिर का निर्माण जव्हार रियासत के पृथम कोली शासक जयवा मुकने महाराजा ने 1306 मे जव्हार पर अपना झंडा लहराने के पश्चात ही किया था। यह मंदिर अत्यंत सुंदर, आकर्षक और लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इनके अलावा तुंगारेश्वर मंदिर, वज्रेश्वरी, गणेश पुरी, जीवदानी मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में देशभर से लाखों श्रद्धालु दर्शन लाभ के लिए आते हैं।

– संजय गुप्ता 

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