उद्योग विकास में टीबीआईए का योगदान

नवी मुंबई में इंडस्ट्री के विकास में ठाणे बेलापुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन यानी टीबीआइए का बहुत बड़ा योगदान है। इनके संरक्षण में इस क्षेत्र का उद्योग दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है। इन्होंने देश के विकास में लाभकारक कई नवीन प्रयोग किए। सेफ्टी मानकों को लेकर इनका योगदान अति सराहनीय है।

सभी उद्योगपतियों को एकजुट कर इंडस्ट्रीज से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान करने के लिए ठाणे बेलापुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की 1978 में स्थापना की गई। शुरुआत में यातायात, परिवहन, रेलवे जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ा। यहां पर लगभग 3 हजार प्लॉट्स हैं, लेकिन केवल 1900 इंडस्ट्रीज सुचारू रूप से कार्यरत हैं। लगभग 1100 इंडस्ट्री प्लांट बंद पड़ी हुई हैं। उनको कैसे फिर से शुरू किया जाये, इसी संदर्भ में हाल ही में जर्मनी से एक डेलिगेशन हमसे मिलने आया था। जर्मनी की कार्लसुनी यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की जा रही है कि क्या-क्या चीजे यहां करनी चाहिए, ताकि यह औद्योगिक जगह और अधिक उपयोगी हो सके।

लेबर कॉस्ट और अन्य कारणों से महंगा पड़ने के चलते इंडस्ट्री बंद पड़ी। कुछ लोग इसलिए भी गए कि यहां पर काफी मिलिटेंट लेबर यूनियन आ गए। उन्होंने लोगों को इतनी तकलीफें दी इसलिए उद्योगपतियों ने सोचा कि इससे अच्छा गुजरात में जाएं, क्योंकि गुजरात में ट्रेंड यूनियन इतना परेशान नहीं करते हैं और वहां पर लोग मिलजुलकर सहकार से काम करते हैं। यही मुख्य कारण था कि कुछ इंडस्ट्रीज ने यहां से पलायन किया।

डेवलप केमिकल जोन के रूप में यहां पर केमिकल इंडस्ट्रीज को प्राधान्य दिया गया था। बाद में फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, इंजीनियरिंग इंडस्ट्री आई। अभी तो अलग-अलग प्रकार की इंडस्ट्री आ गई हैं। एक ऐसी इंडस्ट्री है जो दुनिया के 40 ब्रांड के शूज यहां बनाती है। एक है जो आर्टिफिशियल ज्वेलरी का बहुत बड़ा काम करती है। ऐसी बहुत ही विविध प्रकार की इंडस्ट्री यहां स्थापित है। अब आइटी पार्क भी जुड़ गया है।

यहां पर जो केमिकल बनते हैं वे इण्डिया में केवल 1 या 2 प्लांट में ही बनते हैं। जब यहां शुरुआत हुई थी तब उसके बाद एक ऐसा टाइम आया था कि ठाणे बेलापुर रोड से जो एक्सपोर्ट होता था उस एक्सपोर्ट की वैल्यू 30 हजार करोड़ रुपया होती थी। यह देश के लार्जेस्ट इंडस्ट्रियल बेल्ट के रूप में देखा जाता था।

मुंबई के निकट होना इस इंडस्ट्रीज का सबसे बड़ा एडवांटेज है, मुंबई से नवी मुंबई पहुंचने में आवागमन, परिवहन, यात्रा की सुविधा आदि ने इसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ा दिया है।

सुरक्षा की दृष्टि से पहले यहां एमआइडीसी ने फायर स्टेशन नहीं बनाया था, हमने फायर स्टेशन बनाया। प्रदूषण के रोकथाम हेतु यहां पर कोई कॉमन एन्फ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट नहीं था जो केमिकल इंडस्ट्री का गंदा पानी निकले, उसे साफ कर सके। उसे ट्रीटमेंट करने के लिए हमने बड़ा प्लांट स्थापित किया। उसी तरह सॉलिड वेस्ट को हैंडल करने के लिए हमने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था की, मेट्रोलोजिक्ल ओब्जर्वेटरी 9-15 लगाई।

महाराष्ट्र में 28 प्लांट ऐसे हैं जो कॉमन एन्फ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट हैं। हमारे प्लांट को 3 बार महाराष्ट्र सरकार ने वसुंधरा बेस्ट रन कॉमन एन्फ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का अवार्ड दिया है। इस पुरस्कार के साथ हमें 3-3 लाख रूपये की धनराशि भी दी गई है।

इंडस्ट्रीज के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अनुकूल वातावरण, जो यहां सहजता से उपलब्ध है। आवागमन की सुविधा, प्रतिभावान कर्मियों की उपलब्धता, व्हाईट कॉलर, ब्ल्यू कॉलर, लॉयर्स, इंजीनियर, सीए, आदि सभी प्रकार के प्रतिभावान लोग यहां मात्र 5 या 8 किलोमीटर के भीतर रहते हैं। उनको आवागमन करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और न ही उनका 2 से 3 घंटा समय यात्रा में खर्च होता है। टीबीआइए महाराष्ट्र में सर्वाधिक सुविधा सम्पन्न है। इसलिए एमएसएमई के अंतर्गत अनेकों प्रकार के इंडस्ट्रीज यहां स्थापित हुए हैं।

हमारी मुख्य समस्या यह है कि 1965 में जब यह बेल्ट शुरू किया गया, पहली इंडस्ट्री कैफ़ी की लगी, तब इसको डेवलप केमिकल जोन बताया गया था, और एक नियम सरकार ने रखा था कि इंडस्ट्री के 1.8 किलोमीटर के दायरे में कोई भी रेसिडेंसियल कॉम्प्लेक्स नहीं बनाया जायेगा। कभी कोई अचानक दुर्घटना हो गई तो जानमाल की भारी हानि हो सकती है। जैसे भोपाल गैस त्रासदी को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया था। अभी 2 वर्ष पूर्व सरकार ने यह निर्णय लिया है कि यहां भी रेसिडेंशियल कॉम्पलेक्स बना सकते है। अभी तक 2 रेसिडेंशियल टावर बनाये गए हैं। यह सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है।

टीबीआइए के महत्व को सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए। मैंने खुद लेख लिखकर सरकार को चेताया है कि इंडस्ट्री को मदद कीजिये वर्ना ये कहीं और पलायन कर जायेंगे और अनुकूल माहौल न मिलने से ये बिखर भी सकते हैं। इन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके समाधान के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता है।

हमारी इंडस्ट्री में 550 से 600 के बीच सदस्य हैं। हर महीने में एक बार मैनेजिंग कमिटी की बैठक होती है। भोपाल गैस त्रासदी से सतर्क होते हुए सबसे पहले हमने इंडस्ट्रियल सेफ्टी के क्लासेस शुरू किये। हर बैच में लगभग 300 छात्र होते हैं,  डिप्लोमा कर के अनेक इंडस्ट्री में सेफ्टी ऑफिसर के जॉब पर लगते हैं। हर वर्ष यहां एक सेफ्टी वीक मनाया जाता है, जिसमें लगभग 10 हजार कर्मचारी भाग लेते हैं। जिन्हें नौकरी चाहिए उनके लिए भी हम वर्ष में 2 बार साक्षात्कार कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इसमें सब उद्योगपति आते हैं, उनका इंटरव्यू लेते हैं। इस तरह नए लोगों को रोजगार भी देते हैं। हर कम्पनी में सेफ्टी ऑडिट करने के लिए हमारे लोग मार्गदर्शन करते हैं।

शुरुआत से ही नई टेक्नोलोजी को लाने में हम अग्रसर रहे हैं। जब भारत में कोई भी इथिलिन क्रेकर का प्लांट नहीं था, पहला प्लांट नव्सिल ने यहां डाला था। दुनिया की बड़ी कम्पनी फाइजेन ने अपना प्लांट यहां डाला था। ये तो कुछ उदाहरण दिए हैं। दुनिया के जो बड़े-बड़े प्लांट हैं उनके इण्डिया में पहले प्लांट यहीं पर स्थापित हुए।

एमएसएमई के दायरे को सरकार ने और अधिक विस्तार एवं स्पष्ट कर दिया है। इसलिए बहुत सी इंडस्ट्री एमएसएमई में आ गई है। हमें लगता है कि इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार ने भी बड़े-बड़े स्टेप लिए है। हमारे यहां भी एमएसएमई का दायरा बढ़ता जा रहा है। सरकार की पहल का हम स्वागत करते हैं। लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार देना और वह भी केवल 5 किलोमीटर के दायरे में, यह हमारी इंडस्ट्री की सबसे बड़ी विशेषता एवं उपलब्धि है।

मोदी सरकार के कार्यकाल में विगत 9 वर्षों में हम देश में जो सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं, वह बहुत ही सुखद है। 5 ट्रिलियन इकोनोमी का लक्ष्य भी हम जल्द प्राप्त कर लेंगे। दुनिया में हमारे ध्वज को सबसे ऊपर बरकरार रखने के लिए प्रत्येक देशवासी को अपना योगदन देना चाहिए।

                                                                                                                                                                                               विपिन शाह 

 

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