प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण

नवी मुंबई, मुंबई शहर का नया स्वरूप है जो प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। नीचे हरी-भरी धरती और लहराते समुद्र का मोहक स्वरूप और ऊपर हरे-भरे गिरिवर तथा उसके ऊपर, आकाश का आकर्षक रूप, उगते हुए सूरज की स्वर्णिम किरणें, सभी को अपनी लालिमा से सराबोर कर देती हैं। ये सम्भव होता है, यहां की बस्तियों को सोच-समझकर बसाने तथा प्रदूषण निवारण हेतु किए जाने वाले सार्थक कार्यों के कारण।

नवी मुंबई, लगातार सुव्यवस्थित रूप से विकसित होता, भारत के सबसे बड़े सुनियोजित शहरों में से एक है। यह लगभग 163 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है, जिसका कार्यक्षेत्र नवी मुंबई महानगरपालिका निगम के कार्य क्षेत्र में आता है। सबसे पहले वाशी नवी मुंबई बसाया गया था, वहां जो कुछ भी कमियां नजर आईं, इन्हें ध्यान में रखकर, सुव्यवस्थित रूप से अन्य बस्तियों को बसाने का काम किया गया है।

हर्ष का विषय है कि नवी मुंबई महापालिका द्वारा विशेष ध्यान रखने के कारण जल, थल सम्बंधी समस्याएं कम दिखाई देती हैं। मुझे याद है जब 85 के आसपास बॉम्बे से नवी मुंबई वाशी आते थे तो मानखुर्द से वाशी तक आने में कम स्वच्छता दिखाई देती थी, क्योंकि वहां की सड़कें या बस्तियां सोच समझकर नहीं बनायी गयी थी। इसलिए लम्बी-चौड़ी सड़कों के किनारे भी झुग्गी-झोपड़ियां दिखाई देती थी, जहां प्रदूषण की समस्या नजर आती थी।

उसके बाद जब नवी मुंबई का विस्तार हुआ तो इस बात को ध्यान में रखते हुए, नवी मुंबई नगरपालिका ने विशेष ध्यान दिया और यहां की आबादी को बहुत ही सोच-समझकर बसाने की प्रक्रिया शुरू की, इसलिए नवी मुंबई में सड़के विशाल हैं, सड़कों के चारों ओर और किनारे पर हरे-भरे पेड़ नजर आते हैं।

हर सोसाइटी में भी खुला मैदान और उसके किनारे पेड़ नजर आते हैं। साफ पानी और गैस आदि की व्यवस्था भी व्यवस्थित रूप से की गयी है, इसलिए नवी मुंबई के नदी-नाले का पानी उफनकर बाहर नहीं आता है। जहां मुंबई में थोड़ी सी भी बरसात सड़कों को लबालब भर कर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर देती है, वहीं मैंने 1985 के बाद कभी भी ऐसा दृश्य नवी मुंबई में नहीं देखा, जबकि नवी मुंबई के दोनों ही छोरों पर समुद्र होने के बाद भी कभी उसमें ऐसा उफान नजर नहीं आता है, जिससे कि यहां की दिनचर्या प्रभावित हो या अनेक प्रकार की बीमारियों को जन्म दे।

नवी मुंबई की सड़कें चौड़ी और विशाल हैं, जिससे आवाजाही में भी जगह-जगह जाम होने की सम्भावना बहुत कम होती है। इससे ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याएं नवी मुंबई में कम होती हैं। दूसरी बात यह भी है कि यहां की जनता शिक्षित और समझदार है इसलिए वे कूड़ा-कचरा कूड़ादान में ढंककर अपने-अपने घरों में रखते हैं और सुबह जब उसे लेने सफाईकर्मी वाले आते हैं तो उन्हें देना अच्छा समझते हैं।

यहां तक कि कुछ ऐसी भी सामाजिक संस्थाएं हैं जो घर के पुराने कपड़ों को इकट्ठा कर गरीब जनता में बांटने का काम करती हैं ताकि पुराने कपड़े सड़ने के कारण गंदा माहौल न बना दें।

यहां तक कि जनता को सतर्क करने के लिए जगह-जगह सफाई कर्मिर्यों की मूर्तियां चौराहे पर बनायी गई हैं जो यह संदेश देती हैं कि हमें स्वच्छता रखने के लिए सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सच में उनकी मूर्तियों को देखकर मन में संवेदना जाग्रत होती है कि जब ये सड़कों पर झाड़ू लगाकर सफाई कर सकते हैं तो हम अपने घर में क्यों नहीं?

यहां महानगर पालिका ने जगह-जगह स्टील के कचरेदान रखवाए हुए हैं जिसमें लोग बाहर के कचरे को कचरेदानी में डाल देते हैं। यहां तक कि एक हरा कचरा और एक सूखा कचरा, इस तरह का लोग डस्टबिन रखते हैं, ताकि प्रदूषण की समस्या न हो। इतना ही नहीं शाम के 5:00 बजे के आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव हर सोसाइटी और सड़क पर किया जाता है, जिससे यहां मलेरिया आदि बीमारियों की सम्भावना कम दिखाई देती है। समय-समय पर नालों की सफाई भी की जाती है।

सीबीडी स्थित नवी मुंबई महानगर पालिका मुख्यालय की इमारत महाराष्ट्र सुरक्षा मंडल के निरीक्षण के बाद बनवाई गई है। इस भवन के कर्ताओं द्वारा जनता के हित में लगातार सोच समझकर काम करते हुए नवी मुंबई को प्रगति की ओर ले जाने की भरपूर कोशिश होती है।

सोसाइटियों में पानी के कोटे से अधिक पानी का उपयोग होने पर नगरपालिका शहर ने 336 सोसाइटियों को सूचित कर सोसाइटी में पानी की खपत पर नियंत्रण की चेतावनी दे कर लोगों को सतर्क किया है। मुंबई नगरपालिका ने प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा कर उसे रोकने का भी सफल प्रयास किया है

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए नवी मुंबई महानगरपालिका द्वारा स्वच्छ वायु कार्य योजना तैयार की गई है, जिसके तहत वायु प्रदूषण फैलाने वाले के खिलाफ महानगरपालिका कार्यवाही करती है। इसके साथ ही महानगरपालिका में प्रदूषण के अनुकूल उपायों के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

साथ ही वायु प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए महानगरपालिका स्थल प्रदूषण करने वाले प्लांट के खिलाफ कार्रवाई भी करती है। नवी मुंबई शहर की हवा गुणवत्ता को सुधारने के सम्बंध में महानगर पालिका की अध्यक्षता में सीबीडी बेलापुर स्थित महानगर पालिका मुख्यालय में विशेष बैठक आयोजित कर इसको रोकने के लिये कारगर उपाय किया जाता है। वायु की गुणवत्ता को सुधारने के लिये नवी मुंबई महानगरपालिका की ओर से क्लीन एयर एक्शन प्लान के तहत विभिन्न प्रकार के काम किए जा रहे हैं। नगर पालिका द्वारा हवा में धूल की मात्रा को कम करने के लिए सड़कों की नियमित सफाई करवाई जाती है।

प्रदूषण के चार प्रमुख तत्व हैं, जल, थल, वायु और ध्वनि। इनसे वातावरण प्रदूषित होता है और हम उससे प्रभावित होते हैं। इन प्रदूषणों के लिए मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार हैं। आज हम स्वशासन के महत्व को न समझने के कारण वातावरण को दूषित कर देते हैं। यही कारण है कि आज प्रदूषण राष्ट्रीय ही नहीं, वैश्विक समस्या बन गई है। प्रदूषण को कम करने के लिये हर एक व्यक्ति को सतर्क होना अनिवार्य है क्योंकि ये सिरदर्द, ब्राँकाइटिस आदि रोगों को जन्म देते हैं। प्रदूषण के कारण संतुलन बिगड़ जाता है इसलिए हमें इन मुद्दों पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए।

                                                                                                                                                                                    डॉ. मीरा सिंह 

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