विश्व की वंडर सिटी होगी हमारी नवी मुंबई – संजीव नाईक

 

नवी मुंबई के विकास में आप के परिवार का बड़ा योगदान है, इसे आप किन शब्दों में प्रकट करेंगे?

नवी मुबंई का विकास प्रारम्भ हुए करीब 50 साल हुए हैं। 1970 के दशक में सबसे पहले चखऊउ और फिर डखऊउज ने दस्तक दी। इस दौरान नवी मुंबई के मूल लोगों से उनकी जमीनें ली जा रही थी, जिसे लेकर जनआंदोलन किया जा रहा था। मूल निवासी लोगों का कहना था कि हम अपनी जमीनें नहीं देंगे। दि.बा. पाटिल और गणेश नाईक ने इस आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। उस दौर में गणेश नाईक शिवसेना के फायर ब्रांड नेता थे, लोगों की चिंता भी करते थे इसलिए उनका इस आंदोलन में विशेष योगदान रहा है। इस आंदोलन के दौरान सिडको की तरफ से बताया गया कि नवी मुंबई को एक बड़ा शहर बनाने की योजना है। जब गणेश नाईक को यह भरोसा हुआ कि नवी मुंबई का विकास होगा तो उन्होंने आंदोलन को खत्म कर दिया। किसी भी शहर या देश को बनाने में नेता की भूमिका विशेष होती है। उस समय नवी मुंबई को बसाने में नाईक जी ने अहम किरदार निभाया था। जैसे आज भारत को विकसिस करने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष योगदान हो रहा है।

नाईक परिवार में जन्म होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। नाईक परिवार का प्रभाव बहुत पहले से चला आ रहा है। दरअसर यह परिवार जमींदार और सम्मानित परिवारों में से एक था। सैकड़ों वर्षों से यह परिवार यहां रह रहा है। यह परिवार ईमानदारी और सम्मान के साथ यहां के सभी लोगों का सम्मान करता है। गांव और शहर के जो भी मसले होते हैं वह सभी नाईक परिवार की तरफ से सुलझाये जाते थे और अब भी सुलझाए जाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था कि किसी के साथ अन्याय ना हो।

 आज पूरे विश्व की नजरें नवी मुंबई पर टिकी हुई हैं। इस शहर में ऐसी कौन सी खास बात है?

चंडीगढ़ के ऑर्किटेक्चर चार्स कोरिया को नवी मुंबई के लिए भी बुलाया गया और उन्होंने सेक्टर के हिसाब से इसकी रचना की, जिसके अनुसार पूर्व की तरफ सिर्फ इंडस्ट्रीयल जोन है। वहां आज अंबानी की रिलायंस फैक्ट्री लगी हुई है। 1960 में मफतलाल ग्रुप की नोसिल कम्पनी ने यहां अपना कारोबार शुरु किया था। नवी मुंबई में आज से 60 साल पहले बड़े-बड़े उद्यमियों ने आना प्रारम्भ किया था। नवी मुंबई शहर अपनी बनावट के आधार पर सभी को आकर्षित करता है। मुंबई में प्रत्येक उपरनगर के लिए एक रेलवे स्टेशन है। ठाणे की आबादी करीब 15 लाख है लेकिन वहां एक ही स्टेशन दिया गया है। जबकि नवी मुंबई में हर मोड़ पर एक स्टेशन बनाया गया है। नवी मुंबई में कुल 12 स्टेशन हैं जिसमें दीघा और खेरने दो नए स्टेशन तैयार हो रहे हैं, जिनका उद्धाटन जल्द ही होगा। कुल मिलाकर पूरी नवी मुंबई को एक नियोजन के आधार पर तैयार किया गया है। अगर स्कूल है तो गार्डेन मिलेगा, अगर मॉल या हास्पिटल है तो पार्किंग मिलेगी। यह कह सकते है कि यहां किसी भी चीज की कमी देखने को नहीं मिलेगी।

 जिस उद्देश्य से यह शहर बसाया गया था, क्या वह उद्देश्य पूरा होता दिखाई दे रहा है?

दिल्ली मंडी और तुर्भे मंडी देश की सबसे बड़ी मंडियां हैं। तुर्भे मंडी का टर्नओवर सालाना करीब 8 हजार करोड़ है। यहां कोई सोना नहीं बेचा जाता है बल्कि सब्जी, अनाज और रोजमर्रा की चीजें मिलती हैं। इसमें काम करने वाले मथाड़ी मजदूर होते हैं, उन्हें पहले सरकार की तरफ से 150 फीट के घर दिए गए। भविष्य में बढ़ने वाले परिवार के अनुसार देखें तो यह माथाडी कामगारों पर एक प्रकार का अन्याय था। दादा ने इस पर विचार किया और सिडको से संवाद स्थापित कर इस योजना में सुधार लाया। पहले जो भी योजना बनाने में गलती हुई थी उसे समय के साथ सुधारा गया और शहर के विकास के साथ माथाडी कामगारों का भी का विकास किया गया।

सिडको ने इस शहर को जन्म दिया लेकिन शहर का पालन पोषण और देखरेख नवी मुंबई महानगरपालिका ने किया। आजाद भारत में नवी मुबई महानगरपालिका एक अकेली ऐसी महानगरपालिका है जिसका खुद का डैम है। बाकी सभी नगरपालिकाएं सरकार के पास से पानी खरीदती हैं। पिछले करीब 50 सालों से शहर का डेवलपमेंट प्लान डिक्लेयर नहीं हुआ है। समय के साथ राजनीतिक परिवर्तन होते रहते हैं और यह प्लान अभी तक सभी के सामने नहीं आ पाया है। हालांकि गणेश नाईक जी की तरफ से यह प्रयास अभी भी जारी है कि शहर का डेवलपमेंट प्लान जनता के सामने लाया जाए और उसके लिए वह प्रयास भी कर रहे हैं।

 आप इस शहर के तीन बार महापौर और सांसद रहे, इस दौरान इस शहर में विकास कार्यों के माध्यम से परिवर्तन लाने के लिए आपने कौन-कौन से प्रयास किए हैं, जिनका असर वर्तमान में महसूस हो रहा है?

पूरी दुनिया में सबसे पहली जरूरत पानी की होती है। यह हाल सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशों में है। नवी मुंबई का पानी माथेरान के पहाड़ों से आता है और यह करीब-करीब पीने योग्य होता है। इसलिए इसको फिल्टर करने में बहुत मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है। वर्ष 2000 से 2005 तक मैं मेयर था और इसी दौरान मैंने डैम बनाने का काम किया। हालांकि मुझ पर आरोप भी लगे कि यह डैम बिना वजह बनाया जा रहा है लेकिन मैंने तभी यह घोषणा की थी कि इसकी जरूरत आने वाले 20 सालों में पता चलेगी। यही वजह है कि आज नवी मुंबई में महानगरपालिका 50 रुपये में महीने भर पानी दे रही है।

मेरे मेयर बनने तक महानगरपालिका का ऑफिस सिडको की बिल्डिंग से चल रहा था। मैंने विचार किया कि जब सभी नगरपालिकाओं की अपनी अपनी बिल्डिंग है तो फिर हमारी भी होनी चाहिए और इसके लिए मुख्यमंत्री से बात किया। बाद में हमें आंदोलन भी करना पड़ा, जिसके बाद हम नवी मुबई को एक महानगरपालिका की खूबसूरत बिंल्डिंग देने में कामयाब रहे। हालांकि जब बिल्डिंग बननी शुरू हुई तो मैं महानगर पालिका का मेयर था और जब यह तैयार हुई तब तक मैं सांसद बन चुका था।

देश का झंडा हम अपने घर पर या बिल्डिंग पर पूरे साल लगा सकें, ऐसा कानून मैं 2013 में लाया और सबसे पहले नवी मुंबई महानगरपालिका पर 250 फीट का झंडा लहराया गया। मेरे सांसद बनने के समय तक सिर्फ 25 लाख तक की निधि होती थी, जिसे वह अपने क्षेत्र में खर्च करता था। मैंने यह मुद्दा संसद में उठाया और कहा कि हमारे जैसे सांसदों को एक हजार करोड़ के निधि की जरूरत है फिर हम 25 लाख में कैसे विकास कार्य करेंगे। उस समय संसद में मेरी बात सुनी गयी और बहुत जद्दोजहद के बाद यह कानून पास हुआ कि एक सांसद की निधि 5 करोड़ होगी और उसे वह किसी भी रूप में खर्च कर सकेगा।

आज का थेपवशीी झरीज्ञ तब नेरूल में करीब 20 एकड़ का डम्पिंग यार्ड था, जहां सिर्फ गंदगी और बीमारी थी। इसे मैंने सांसद निधि से वंडर्स पार्क बनाया, इसकी डिजाइन मैं खुद लाया जो आज एक मिसाल के रूप में देखी जाती है। रोज हजारों लोग वहां पर घूमने आते हैं। इसके दूसरे फेज का उद्घाटन भी जल्द ही मुख्य मंत्री के हाथों होगा। इस शहर को सन 2015 में पहला उइडए स्कूल मैंने ही दिया। मुंबई महानगरपालिका अब जाकर उइडए स्कूल चालू कर रही है। पामबीच रोड का आकर्षण आज भी लोगों को पसंद आता है जो गणेश नाईक के मार्गदर्शन में पूरा किया गया था। सन 2000 से 2005 के बीच नवी मुबई के सभी तालाबों पर गैबियन वाल बनायी गयी, जो भारत में पहली बार हुआ था। यह मूर्ति विसर्जन के खराब तत्वों को अपनी तरफ खींचकर पानी को साफ रखता था।

नवी मुंबई में बाबा साहब अंबेडकर भवन का निर्माण किया गया है जो सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों में जाकर सीटेक प्लांट को देखा और उसकी खूबियों को समझा। इसके बाद उन्होंने भारत में आकर इसे लगाने पर जोर दिया लेकिन जब उन्हें पता चला कि यह प्लांट करीब 20 साल पहले महाराष्ट्र के नवी मुंबई में लगा हुआ है तब उन्होंने बहुत खुशी जाहिर की और नाईक साहब की तारीफ भी की। मैंने 1995 में

ट्रांसपोर्टेशन सर्विस चालू कर दी, शुरुआत में 25 बसों को लगाया गया था। समय के साथ बढ़ते हुए आज 500 से अधिक बसें हो चुकी हैं। इसमें सीएनजी, डीजल, इलेक्ट्रिक बसें हैं।

 सिटी मैनेजमेंट के संदर्भ में प्रधान मंत्री की स्मार्ट सिटी पॉलिसी पर आप के क्या विचार हैं?

पीएम के स्मार्ट सिटी प्रपोजल को नवी मुंबई ने नाकार दिया है। यह प्रपोजल ठीक है लेकिन हम उससे आगे बढ़ चुके हैं। स्मार्ट सिटी के लिए जो जरूरी है वह सब नवी मुबंई महानगरपालिका ने पहले ही कर दिया है। इसलिए हम उससे आगे की सोच रहे हैं। भारत की किसी भी नगरपालिका में सोलार को लेकर काम नहीं हो रहा है जबकि हम अपने डैम के पास एक सोलार सिटी को बसाने का काम कर रहे हैं। इससे हम अपने शहर के लिए खुद की इलेक्ट्रिसिटी तैयार करेंगे। एमएसईबी के उपर निर्भर नहीं रहेंगे। हम किसी से बिजली नहीं खरीदेंगे बल्कि 100 करोड़ की बिजली बेचने का हमारा प्लान है।

  नवी मुंबई शहर का डेवलपमेंट करते समय आप ने पर्यावरण से जुड़े विषयों पर किस प्रकार विचार किया?

मुझे पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिए डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा गया है। पर्यावरण, सीटेक, और पेड़ पौधों पर काम करने के लिए मुझे और भी कई पुरस्कार मिले हैं। मैने पेड़ पौधों का ॠखड ॠझड मैपिंग किया है। आप नवी मुंबई में कही भी जाएंगे तो आपको सभी जगहों पर पेड़ पौधे मिलेंगे। यहां तक की आप समुद्र के किनारे जाएंगे तो भी आप को मैंग्रोज के पेड़ नजर आएंगे। इसलिए ही इस शहर को सुंदरवन का अवार्ड भी मिला है।

 ऐसा कहा जाता है कि भविष्य में यह शहर वाइब्रेंट इकॉनामी का शहर बननेवाला है। इस शहर की लाइफ स्टाइल भी एक्सेलेंट होने वाली है। इन सब बातों में सच्चाई है या सिर्फ लुभावने सपने हैं?

इस बात में सौ फीसदी की सच्चाई है। मैं तब की रेल मंत्री ममता बनर्जी के साथ जर्मनी गया, जहां पहली बार हमने देखा कि नीचे रेलवे स्टेशन और ऊपर मॉल है। मैंने ममता बनर्जी से कहा कि अगर आप परमिशन दें तो यह भारत में भी निश्चित है। इसके बाद नवी मुंबई के सीवुड रेलवे स्टेशन पर पहला मॉल खोला गया। जर्मनी में ही हमने स्केटेलर भी देखा और यह निश्चित किया कि थाणे में पहला स्केटेलर लगाया जाएगा। अगर आप शहर का विकास नहीं करेंगे तो जनता तेजी से शहर से भागने लगती है। आज नवी मुंबई आइटी, मेडिसिन सहित कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश का युवा तेजी से नवी मुंबई में बसने लगा है। पूरे देश में सिर्फ चेन्नई और नवी मुंबई दो शहरों को डेटा सेंटर के लिए चुना गया है। जेम्स और ज्वेलरी पार्क का भी निर्माण नवी मुबई में होने जा रहा है। जहां सोने की ईंटें और ज्वेलरी तैयार किया जाएगा। ज्वैलरी से सम्बंधित कई कालेज और यूनिवर्सिटी भी यहां आ रहे हैैं, जहां आप सीख सकते हैैं और इसका सर्टिफिकेट भी आप को मिलेगा।

विकास की चकाचौंध को देखते हुए गरीब-मध्यमवर्गीय लोगों के लिए आप की कोई योजना है?

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहर में 10 हजार घर बनाने का नियोजन किया है। जिसमें से 2 हजार घर सिर्फ गरीब लोगों को दिए जाएंगे। इसके साथ ही सिडको से मिलकर गरीब लोगों के लिए घर तैयार कराने का काम भी गणेश नाईक साहब कर रहे हैं। सिडको की तरफ से हर साल 2-3 हजार घर गरीब लोगों के लिए तैयार किए जाते हैं। जो कम से कम दाम में उन्हें दिए जाते हैं। राज्य सरकार के णऊउझठ नियम के तहत 15 प्रतिशत घर गरीब लोगों के लिए बनाना निश्चित किया गया है। इसलिए गरीब लोगों के लिए भी इस शहर में मकान मिलेगा और जिनका भी घर 500 स्क्वेयरफुट का घर होगा उन्हें नवी मुंबई महानगरपालिका ने प्रापर्टी टैक्स से छूट दे दी है। जिनका भी उससे थोड़ा बड़ा घर है उन्हें टैक्स में करीब 40 प्रतिशत की छूट दी गयी है। इसका फायदा करीब 6 लाख लोगों को मिल रहा है। विकलांग लोगों के लिए गणेश नाइक साहब ने 100 स्क्वेयरफुट का गाला बना कर दिया है। इसकी कुल संख्या 3 हजार है। इससे गरीब आदमी की भी रोजी रोटी चलती रहती है।

 विकास मतलब वर्तमान जरूरतों का पूरा होना और आने वाले भविष्य की जरूरतों का भी ध्यान रखना होता है। वर्तमान नवी मुंबई की जरूरतों को आप किस रूप में देख रहे हैं?

आने वाले 100 सालों में क्या परिवर्तन होगा उसका अंदाजा तो हम नहीं लगा सकते हैं। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत के तौर पर जमीन तो छोड़ सकते हैं। इस बात को लेकर हमारे और राज्य सरकार के बीच अनबन भी हुई थी। क्योंकि राज्य सरकार और सिडको नवी मुंबई की बाकी जमीनों को बेचना चाहती है। हमने इसका विरोध किया है। आज के करीब 40 साल पहले किसी को नहीं पता था कि देश में मेट्रो जैसी भी कोई ट्रेन चलने वाली है। किसी भी शहर के पास उसके लिए जमीन नहीं बची है, इसलिए मेट्रो को उपर से ले जाना पड़ रहा है। जबकि नवी मुंबई में मेट्रो के लिए अलग से हमने जमीनें छोड़ रखी हैं।

 शहर के विकास की दौड़ में नवी मुंबई के इतिहास और सास्कृतिक धरोहर को किस रूप में संरक्षित किया जा रहा है?

इस शहर का इतिहास हमारे परिवार से जुड़ा हुआ है। खेरना, बुनकुड़े गांव में जहां हम रहते थे, वहां बंदरगाह था। जहां अलग-अलग सामान आता था। शिवाजी के समय में बेलापुर किले में मुद्राएं बनती थी जिसे हमने सम्भालकर रखा हुआ है। इस शहर का बहुत इतिहास नहीं है लेकिन जो है इसे इतिहास के रूप में हम तैयार कर रहे हैं। नवी मुंबई के इतिहास पर एक किताब भी लिखी गयी है।

 इस स्मार्ट सिटी में एजुकेशन से संस्कारित नागरिक होना भी अत्यंत आवश्यक है। सुसंस्कारित नागरिक तैयार करने के लिए आपके माध्यम से कौन सी तैयारी की जा रही है?

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। जैसे बिना सहयोग के घर नहीं चलाया जा सकता है, उसी प्रकार बिना लोगों के सहयोग के शहर को भी नहीं चलाया जा सकता है। मेरी ऐसी मंशा है कि इस शहर को ऐसे कोचिंग सेंटर दिए जाएं जो लोगों को खअड, खझड, खऋड जैसी ए ग्रेड नौकरी पाने में मदद करें और ये लोग इस शहर को बेहतर बनाएं। इस शहर की बेहतरी के लिए यहां संस्कार केंद्र का भी निर्माण किया जाए, जिससे लोग संस्कारी बनें। स्वामी विवेकानंद को लोग उनके संस्कार और ज्ञान के लिए ही जानते हैं।

 आने वाले कुछ ही दिनों में एयरपोर्ट के माध्यम से नवी मुंबई विश्व से जुड़ने वाला है। एयरपोर्ट निर्माण से नवी मुंबई को कौन सी उपलब्धियां मिलने वाली हैं?

नवी मुंबई में एयरपोर्ट लाने का काम भी मैंने ही किया है। हालांकि इसके लिए उस समय के मंत्री जयराम रमेश एनओसी नहीं दे रहे थे जिसके बाद मैं संसद के वेल में जाकर बैठ गया। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष का आदमी वेल में कैसे बैठ सकता है? फिर जाकर नवी मुंबई एयरपोर्ट के लिए एनओसी दी गई। हालांकि उस समय जयराम रमेश ने बोला कि, ढहळी ळी पेीं छर्रींळ र्चीालरळ रळीिेीीं. ढहळी ळी छरळज्ञ रळीिेीीं. जिसके बाद हमें बहुत खुशी हुई। इससे शहर में करीब 1 लाख करोड़ का निवेश आने वाला है। जिसमें होटेल, सर्विस सेंटर, हाई स्पीड ट्रेन और बहुत कुछ शामिल है।

एयरपोर्ट के बगल में करीब 500 एकड़ की जमीन खाली रखी गयी है। जहां पूरी दुनिया की नामी यूनिवर्सिटी आने वाली हैं। जिसमें हार्वर्ड और कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी भी शामिल होंगे। अभी तक करीब 30 यूनिवर्सिटी ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। यहां पर 5000 बेड का एक हॉस्पिटल भी आ रहा है जो सभी के लिए होगा। इस हास्पिटल में बड़े डॉक्टरों को भी बुलाया जाएगा। यहां रोबोटिक इलाज भी किया जाएगा। स्टार्टअप के लिए इस शहर में लोगों को 3 साल के लिए जमीन और बाकी सुविधाएं भी दी जाएगी, जिससे उन्हें अपना बिजनेस खड़ा करने में मदद मिल सके।

आप ने इस शहर को करीब 3 दशक दिए हैं। आज आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो आपके मन में कौन से भाव आते हैं?

इंसान की मौत निश्चित है लेकिन इंसान के द्वारा बनायी गयी चीजें बहुत समय तक याद रखी जाती हैं। आज हर नेता को ऐसा सोचना चाहिए कि जब वह किसी कुर्सी पर बैठता है तो उसे आम जनता के लिए सोचना चाहिए। अपने शहर व समाज के लिए काम करना चाहिए। पैसा कमाना जरूरी है लेकिन सिर्फ खुद के लिए ही सब कमाना ठीक नहीं है।

हम शहर में डेटा सेंटर भी बना रहे हैं जहां शहर का डेटा तैयार किया जाएगा और बाद में यह मुफ्त में बाकी शहरों और राज्यों को दिया जाएगा, ताकि नवी मुंबई की तर्ज पर बाकी शहर भी तैयार हो सकें। हमारे लोग दूसरे शहरों को बसाने में भी मदद करेंगे। हमने शहर को बसाने के लिए जितना हो सकता है उतना काम किया है। आज पूरा देश क्लोरिन वाला पानी पीता है, जबकि यह सभी को पता है कि क्लोरीन का पानी जहर होता है, जो धीरे धीरे पूरे शरीर को बीमार करता है। नवी मुंबई शहर ऐसी एक खोज कर रहा है जब इस शहर का पानी पूरी तरह से क्लोरीन मुक्त हो जाएगा और ऐसी टेक्नॉलाजी अभी तक किसी भी दूसरे राज्य के पास नहीं है।

 इस साक्षात्कार के माध्यम से अपने शहर के लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

मेरा ऐसा मानना है कि आप जहां भी रहते हैं, उस गांव या शहर को प्यार करेें। आपको इंसान और जानवर के साथ अपने शहर को भी प्यार करना चाहिए। जब आपको को शहर और वहां के लोगों ने प्यार दिया है, तो आप भी शहर को प्यार कीजिए।

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