हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
राजर्षि एवं शिक्षण महर्षि रामशेठ ठाकूर

राजर्षि एवं शिक्षण महर्षि रामशेठ ठाकूर

by धर्मेन्द्र पाण्डेय
in पनवेल विकास विशेष अक्टूबर-२०२३, विशेष, सामाजिक
0

पनवेल के वर्तमान विकास एवं शिक्षण हब बनने के पीछे वहां के लोकप्रिय नेता रामशेठ ठाकूर का महत्तर योगदान है। उन्होंने अपने आप को क्षेत्र की सेवा एवं भविष्य की पीढ़ी के व्यवसायिक शिक्षण के प्रति समर्पित कर दिया है।

पनवेल के लोकप्रिय जननेता, शिक्षण महर्षि एवं पूर्व सांसद रामशेठ ठाकूर ने सार्वजनिक जीवन में उन प्रतिमानों को छुआ है, जिन्हें छूना सबके वश की बात नहीं। उन्होंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में निष्काम कर्मयोगी की भांति दौलत-शोहरत के पीछे भागने की बजाय अपने जीवनादर्शों की उच्चता का ख्याल रखा। रामशेठ ठाकूर का जन्म रायगड जिले के न्हावा गांव के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके जन्म के सात-आठ साल बाद वह गांव खाड़ी में समा गया। उनके गांव के लोगों को चार किलोमीटर दूर शिवाजी नगर में बसाया गया। वहां पर सामान्य शिक्षा पूरी करने के बाद वे स्नातक की पढ़ाई के लिए सातारा चले गए। शुरू से उनका रुझान शिक्षा क्षेत्र में कैरियर बनाने का था। इसलिए वापस लौटने के बाद उन्होंने 1973 में बीएड की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी साल अध्यापक बन गए। कुछ साल बाद उनके परिचित जन उन्हें लेकर न्हावा गए जहां उन्होंने खाड़ी के किनारे बन रहे बांध पर कार्य करने का ठेका लेना शुरू किया। बाद में, जब वे बड़े ठेके लेने लगे, उन्होंने विद्यालय से इस्तीफा देकर जनसेवा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए अपने आपको पूरी तरह झोंक दिया। वे उस क्षेत्र में सक्रिय शेतकरी कामगार पक्ष के लोकप्रिय नेता दि.बा. पाटील के साथ जुड़कर जनांदोलनों में भाग लेने लगे। दि.बा. पाटील के चुनाव हारने पर पार्टी ने कांग्रेस के कद्दावर नेता ए. आर. अंतुले के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा, जहां पर उन्होंने अंतुले को मात दी। अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें अपने आदर्श नेता दि.बा. पाटील के विरुद्ध ही मैदान में उतरना पड़ा, जिन्होंने शेतकरी पक्ष छोड़कर शिवसेना का दामन थाम लिया था। इस बार भी उन्होंने जीत हासिल की। इस जीत के पश्चात् उनकी साख काफी ज्यादा बढ़ गई थी। पनवेल की विकासशील भूमि पर एक नए जुझारू नेता का पदार्पण हो चुका था, जो जाति और दल से ऊपर उठकर हर किसी के लिए खड़ा रहने के लिए सदैव तत्पर था। यहां तक कि, वर्तमान में नवी मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दि.बा. पाटील का नाम दिए जाने के लिए भी उन्होंने काफी संघर्ष किया। उनका मानना है कि, “राजनीति अपनी जगह पर है, लेकिन वे हमारे बजुर्ग थे। उन्होंने क्षेत्र और समाज के लिए अतिशय कार्य किए थे।”

आगे चलकर शेतकरी पक्ष में चीजें सामान्य नहीं रह गई थीं। शेतकरी पक्ष हमेशा विपक्ष एवं विरोध करने के मोड में अवस्थित हो गया था। इसलिए उन्होंने 1994 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। दस साल बाद उन्हें लगा कि राजनीति की बजाय शिक्षा के माध्यम से वे आने वाली पीढ़ी का सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान करते हुए पनवेल एवं राष्ट्र के विकास में ज्यादा अहम योगदान दे सकते हैं। उसके बाद उन्होंने पनवेल से लेकर खारघर तक के सामान्य विद्यार्थियों को व्यवसायमूलक एवं उच्च शिक्षा दिलाने के लिए विद्यालयों की श्रृंखला शुरू की। आगे चलकर जनता के विशेष आग्रह पर उन्हें अपने बड़े बेटे प्रशांत ठाकूर को राजनीति में उतारना पड़ा, जहां पर उन्होंने 2006 में तत्कालीन नगराध्यक्ष जे. एम. म्हात्रे को हराकर अपने मजबूत कदम रखे। 2009 में प्रशांत ठाकूर पनवेल में पहली बार विधायक बने। ठाकूर परिवार की वजह से स्वतंत्रता के बाद पहली बार पनवेल में कांगे्रस का विधायक बना। उसी दौर में रामशेठ ठाकूर और उनके बेटे प्रशांत ठाकूर ने खारघर टोलनाका के विरुद्ध सफल अभियान चलाया। उनकी मांग थी कि उस टोलनाके की वजह से खारघर और पनवेल के आसपास रहने वाले गांववालों को असुुविधाओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए आसपास के रहिवासियों को राहत दी जाए।

2013 में सुधीर मुनगंटीवार और देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें भाजपा में आने का न्यौता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। लम्बे समय तक राजनीति करने के बावजूद रामशेठ ठाकूर कीचड़ में खिले कमल की भांति राजनीति से पूरी तरह अलिप्त रहे। इसीलिए राजनीतिक जीवन की जिस ऊंचाई पर लोग मंत्री बनने का स्वप्न देखते हैं, उन्होंने राजनीति छोड़कर बाकी का जीवन विद्या को समर्पित करने का मन बनाया। चाहे खारघर हो या कामोठे, या फिर पनवेल; शिक्षा महर्षि रामशेठ ठाकूर की छाप आपको हर स्थान पर दिखायी पड़ेगी। रामशेठ ठाकूर मानते हैं कि उन्हें समाज सेवा की प्रेरणा अपने धार्मिक पिता से मिली। उनके ससुर जनार्दन भगत, जो चार बार जिला पंचायत सदस्य रहे लेकिन उनका झुकाव शिक्षोन्नति की ओर ही रहा, का भी उनपर व्यापक प्रभाव पड़ा। वर्तमान में पनवेल शहर के लिए ठाकूर परिवार विकास के पुरोधा के तौर पर गिना जाता है, इसीलिए पिछली बार पनवेल महानगरपालिका में उनके छोटे बेटे परेश ठाकूर की अगुआई में भाजपा ने 78 में से 51 सीटें जीतकर अपना परचम लहराया।

युवावस्था से ही उनकी इच्छा रही कि उनके द्वारा कुछ ऐसा कार्य किया जाए कि रायगड जिले के युवाओं को उच्च मूल्यों की शिक्षा मिले तथा वे अपने सपनों को अनंत विस्तार दे सकें। सिडको आने के बाद जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था, उनको उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रशासन से भिड़े। रेलवे परिसर से होकर आम लोगों के आने-जाने के लिए रास्ता न होने को लेकर उन्होंने लम्बी लड़ाई लड़ी। जनता की विभिन्न मांगों को लेकर 70-80 आंदोलन किए। उनकी विभिन्न कम्पनियों एवं विद्यालयों के माध्यम से हजारों परिवार स्वाभिमानपूर्वक जीवन-यापन कर रहे हैं। रामशेठ ठाकूर अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने जीवनभर जनसेवा की और पनवेल में आम लोगों के विकास में योगदान कर सके। प्रख्यात संत तुकाराम का एक अभंग उन्हें अत्यंत प्रिय है। जिसका भावार्थ है कि, सोना और मिट्टी दोनों ही मेरे लिए एक समान है। इसीलिए शुरुआत से ही उन्होंने अपनी आमदनी का 25 प्रतिशत हिस्सा दान करने का निश्चय किया, जिस पर वे आज भी कायम हैं।

उनका मानना है कि पनवेल के विकास में वहां का लोकेशन बहुत मायने रखता है। मुंबई के नजदीक होने तथा मुंबई में जगह की कमी होने का फायदा पनवेल को मिला। परंतु उसे महानगरपालिका बनवाने में ठाकूर परिवार का संघर्ष एवं मेहनत सर्वोपरि रहे। महानगरपालिका बनने के बाद वहां की विकास गति अत्यंत तीव्र हो गई। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग बनकर तैयार है। अगले वर्ष तक उसके चालू हो जाने की सम्भावना है। उससे भी पनवेल के विकास को नवीन आयाम मिलेंगे। उन्हें इस बात का सदैव मलाल रहता है कि शेतकरी कामगार पक्ष, जिस पार्टी के साथ उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया, हमेशा विपक्षी पार्टी के मोड में ही रही। हर नई परियोजना का विरोध करना उनका स्वभाव बन चुका था। उनकी इसी विरोध करने की भावना का शिकार सरकार द्वारा शुरू की गई ‘नैना परियोजना’ भी बनी। जनता की समस्याओं के समाधान एवं विकास को सर्वोपरि रखने की बजाय वे विरोध की राजनीति और यथास्थिति बनाए रखने के पक्षधर रहते थे। इसीलिए उन्होंने शेतकरी पक्ष छोड़ दिया था।  वर्तमान में वे भले ही सक्रिय राजनीति से दूर हैं परंतु भाजपा की विकासवादी नीतियां उनके दिल के अत्यंत करीब हैं। वे कहते हैं कि, भाजपा राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की प्रतीक है। भाजपा की व्यापक राष्ट्र प्रथम की नीतियों का प्रभाव नैना परियोजना को विकास की राह पर सरलतापूर्वक ले जाएगी, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है।

भाई-बहनों में सबसे बड़ा होने के कारण उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियां भी काफी ज्यादा रहीं। सामाजिक एवं राजनीतिक व्यस्तताओं के कारण वे अपने परिवार को बहुत कम समय दे पाते हैं लेकिन परिवार के हर सदस्य के विकास को लेकर वे हमेशा सजग रहे। यही कारण है कि आज उनके सभी भाई-बहन अपने-अपने क्षेत्रों में स्थापित हैं। कुछ समय पहले ही पूरे परिवार ने उनके वैवाहिक जीवन की पचासवीं वर्षगांठ मनाई। उस समय उन्हें महसूस हुआ कि उन्होंने अपने परिवार को दिया जाने वाला समय जीवन भर समाज को दिया। परंतु परिवार को इस बात का कभी मलाल नहीं रहा। क्योंकि उन्हें पता था कि वे एक वृहत्तर परिवार के विकास हेतु सतत प्रयासरत थे। ठाकूर परिवार पर महाराष्ट्र की संत परम्परा का विशद् प्रभाव रहा है। रामशेठ ठाकूर के पिताजी के समय से ही उनके घर में विभिन्न धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।

उनका सम्पूर्ण जीवन, शिक्षा के प्रति समर्पण एवं राष्ट्र विकास के लिए नवीन तकनीकों का आग्रह हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनके परिवार की अगली पीढ़ी भी इसी भाव को ग्रहण कर राष्ट्र एवं समाज की सेवा के पथ पर अग्रसर है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

धर्मेन्द्र पाण्डेय

Next Post
पनवेल का ऐतिहासिक महत्व

पनवेल का ऐतिहासिक महत्व

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0