नवी मुंबई एयरपोर्ट के कारण विस्थापित हुए किसानों के लिए शुरू की गई नैना परियोजना एक दशक बाद एक बार फिर जोर पकड़ती दिख रही है। वहीं कुछ गांवों के लोग भागीदारी को लेकर विरोध भी दर्शा रहे हैं।
वर्तमान में भारत जनसंख्या के मामले में नम्बर एक पायदान पर है। अतः केंद्र व सरकारें विकास के लिये समय-समय पर नई-नई योजनाएं लाती रही हैं, जिससे कि मानव जीवन सहज-सरल हो, देश की जनता सुविधा सम्पन्न हो। देश के कई शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना बनाई जा रही हैं, जिन पर कार्य चल रहा है। स्मार्ट सिटी के मानक पर बात की जाए तो इंसान जिस क्षेत्र अथवा शहर विशेष में निवास करता हो, उसे रोजगार सहित सभी मूल सुविधाएं आसपास ही उपलब्ध होनी चाहिए। जैसे कि उसके बच्चों के लिये स्कूल हों, कॉलेज हों,उत्तम स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ आधुनिक अस्पताल, सड़कें, फुटपाथ, बिजली, दूरसंचार सुविधा, सीवरेज व्यवस्था हों। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ठोस कचरा प्रबधन हो, प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की उत्तम कार्यप्रणाली बनी हो। पुलिस,प्रशासन, शासन, अनुशासन हो। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम हो। बेहतरीन एयरपोर्ट कनेक्टिविटी हो और भी मूलभूत चीजें हैं जो इंसान के लिये आवश्यक हैं। नवी मुंबई से सटा पनवेल भी एक स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में विकासरत है।
नवी मुंबई एवं पनवेल के लोगों को हवाई यात्रा के लिए काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी हवाई यात्रा में लगने वाला समय एयरपोर्ट तक पहुंचने में लगने वाले समय से काफी कम होता है। इसीलिए बहुत दिनों से नवी मुम्बई में एक अत्याधुनिक हवाई अड्डे की आवश्यकता महसूस हो रही थी। वर्ष 2013 में प्रारूप तैयार करके सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की गई। एयरपोर्ट के लिए जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, उनके विकास के लिए नैना(नवी मुंबई एयरपोर्ट इन्फ्लुएंस नोटिफाइड एरिया) प्रकल्प लाया गया। इसके अंर्तगत 371वर्ग किमी का क्षेत्र, टीपीएस (टाऊन प्लानिंग स्कीम) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें आधुनिक सुविधाओं के साथ राज्य सरकार के अंर्तगत सिडको योजनाबद्ध शहर का विकास कर रहा है। एक दशक बीत जाने के बाद भी कार्यरूप वह गति नहीं पकड़ सका, जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
इस परियोजना के विरोध में 23 गांवों ने अपनी असहमति जाहिर की है। किसानों और सरकार/सिडको के बीच सहमति-असहमति का यह दौर लगातार जारी है। इसी अगस्त महीने में नैना परियोजना के विरोध में लगभग 4000 लोगों ने पनवेल से मंत्रालय तक बड़ी रैली निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराया। पिछले सालों में विरोध स्वरूप कई रैलियां की जा चुकी हैं, जिनको कुछ राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिला। किसानों का कहना था कि हमारे ऊपर यह परियोजना थोपी जा रही है, हमारी सहमति नहीं ली गई।
हमारी कृषि-भूमि का अधिग्रहण किया जायेगा तो हमारे सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जायेगा, क्योंकि खेती व्यवसाय ही हमारा जीवनयापन का साधन है। अतः हमें हमारी जमीन की सही कीमत मिलनी चाहिये जिससे हम अपनी समस्याओं को सुलझा सकें।
हालांकि यह परियोजना भूमि मालिकों की भागीदारी के सिद्धांत पर आधारित है। भू-स्वामियों को उनकी मूल भूमि से 40% विकसित भू-खंड, 2.5 एफएसआई(फ्लोर स्पेस इन्डेक्स) पर मिलेगा, जिसकी पहल हो चुकी है। 60% भूमि पर सड़कें, खेल के मैदान, उद्यान, स्कूल, कॉलेज, विकास केंद्र और दूसरे बुनियादी ढांचे विकसित होंगे। अतः एक तरफ जहां कुछ विरोध रैलियां हो रही हैं वहीं दूसरी तरफ धीमी गति से परियोजना का कार्य विकास की ओर अग्रसर है। मतलब देर आये, दुरुस्त आये। नैना को न्यू पनवेल से जोड़ने के लिये देवद गांव के पास एक पुल का काम लगभग पूरा होने को है।अतः उम्मीद है जल्दी ही यह परियोजना परिपूर्ण होगी, जिससे इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। सभी लोगों के लिये बहुत सारे अवसर होंगे। भविष्य के विकास के हिसाब से नवी मुंबई में जमीन की कमी है और साथ ही सिडको मांग को पूरा करने के लिए जमीन जारी नहीं कर रहा है। जबकि नैना के पास भविष्य को पूरा करने के लिए जमीन का बड़ा हिस्सा उपलब्ध है।इसलिए नैना क्षेत्र में सस्ते घरों की काफी सम्भावना है।
अगले 30 सालों में नैना परियोजना की वजह से 80 लाख की आबादी को सही दामों में आवास उपलब्ध कराया जा सकेगा। सड़कों और पुलों के निर्माण की देखरेख नगर नियोजन एजेंसी द्वारा की जाएगी, जबकि आंतरिक विकास निजी डेवलपर्स द्वारा किया जा रहा है। नैना को लेकर सरकार की नई घोषणाओं से पनवेल एवं नवी मुंबई घरों की बिक्री में काफी वृद्धि हुई है, जिस कारण पनवेल रहने के लिए देश के सबसे व्यवहार्य शहरों में से एक के रूप में तेजी से उभर रहा है। बहुत जल्द, शहर में सभी प्रकार के सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से कुशल कनेक्टिविटी होगी। नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहले से ही विकसित किया जा रहा है, जबकि मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक और मल्टी-मोडल कॉरिडोर नैना के बहुत करीब होगा। इसके अलावा, नवी मुंबई मेट्रो रेल अगले साल के अंत से पहले चालू हो जाएगी और क्षेत्र के सबसे दूर बिंदु उरण तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। सिडको ने क्षेत्र में 24 घंटे पानी और बिजली आपूर्ति की भी घोषणा की है।
अंत में विकास के साथ-साथ सरकारों को यह भी सोचना होगा कि ये जो पेड़ों का कटान हो रहा है, वनभूमि और कृषिभूमि पर निर्माण हो रहा है, भविष्य में इससे बहुत सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर इसी तरह कृषि भूमि पर निर्माण कार्य होता रहेगा तो लोगों के लिये अन्न का संकट बढ़ता जायेगा। क्योंकि देश की आबादी बढ़ती ही जा रही है और कृषि भूमि कम होती जा रही है। अतः.सरकार को जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिये ठोस व न्यायिक कदम उठाने होंगे। जिससे पृथ्वी पर मानव जीवन सुखी हो और सही दिशा में राष्ट्र का विकास होता रहे। तीव्र गति से कार्य क्यों नहीं हो पाया, इसके कुछ कारण हैं जिनके चलते यह परियोजना अभी पूरी नहीं हो पायी।
जे . पी. सिंह ‘ सहारनपुरी’