पनवेल की विकास यात्रा को देखकर अब हर किसी को भविष्य की दृष्टि से विविध क्षेत्रों में अपार सम्भावना नजर आने लगी है। इसलिए यहां भारी निवेश हो रहा है और इसे नवी मुंबई की तर्ज पर सुनियोजित शहर के रूप में विकसित किए जाने की मांग हो रही है।
पनवेल, महाराष्ट्र के रायगड जिले का एक शहर है, जिसका सदियों पुराना समृद्ध इतिहास है। प्राचीन काल में यह मौर्य और गुप्त साम्राज्यों का हिस्सा था। मध्ययुगीन काल के दौरान पनवेल चालुक्य, राष्ट्रकूट, यादव और दिल्ली सल्तनत सहित विभिन्न राजवंशों के प्रभाव में आया। व्यापार मार्गों और अरब सागर के निकट होने के कारण यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था। 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने भारत के पश्चिमी तट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। बाद में 17वीं शताब्दी के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों ने पनवेल सहित इस क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया। पनवेल भारत के कई अन्य हिस्सों की तरह 18वीं शताब्दी में पनवेल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन आ गया। अपने स्थान के कारण यह इस अवधि के दौरान एक महत्वपूर्ण सैन्य और व्यापारिक केंद्र था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद पनवेल का विकास और विकास जारी रहा।
पनवेल मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) का हिस्सा है। हाल के वर्षों में यहां महत्वपूर्ण शहरीकरण और विकास देखा गया है, जिसमें सड़कों, रेलवे और अन्य सुविधाओं के निर्माण सहित बुनियादी ढांचे में सुधार देखा गया है। पनवेल की जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (न्हावा शेवा) से निकटता ने इसे औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया है। इसने उद्योगों, व्यवसायों और आवासीय विकास को आकर्षित किया है, जिससे मुंबई के एक प्रमुख सेटेलाइट शहर के रूप में इसका चहुंमुखी विकास हो रहा है।
आज, पनवेल ऐतिहासिक महत्व और आधुनिक विकास के मिश्रण वाला एक हलचल भरा शहर है, जो क्षेत्र के आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और महाराष्ट्र में एक गतिशील शहरी केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। पनवेल विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।
पनवेल के आसपास के क्षेत्र में उपजाऊ कृषि भूमि और सिंचाई के लिए पर्याप्त साधन हैं जो इसे विभिन्न फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाते हैं। स्थानीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसमें चावल, दालें, फल और सब्जियों जैसी फसलें उगाई जाती हैं। मुंबई, नवी मुंबई और मीरा-भायंदर में यहां की ताजी सब्जियों की बड़ी मात्रा में सप्लाई की जाती है। इसकी वजह से यहां के ग्रामीण नागरिकों बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
पनवेल में अरब सागर के किनारे एक तटीय क्षेत्र है, जो मछली पकड़ने की गतिविधियों के लिए एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में कार्य करता है। तटीय जल स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए आजीविका का एक स्रोत प्रदान करता है। पनवेल के परिदृश्य की प्राकृतिक सुंदरता, जिसमें पहाड़ियां, झरने और हरी-भरी हरियाली शामिल है, जो इसे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाती है। पर्यटन और मनोरंजक गतिविधियां यहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक हुई हैं।
क्षेत्र की जलवायु और भूगोल इसे पवन और सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए उपयुक्त बनाता है। यह सतत ऊर्जा उत्पादन में योगदान देता है। इन परिवर्तनों से भविष्य में अनेक सम्भावनाएं हैं। पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखते हुए क्षेत्र के सतत विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए इन प्राकृतिक संसाधनों का जिम्मेदारी से प्रबंधन और सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है। पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करना पनवेल और इसके प्राकृतिक संसाधनों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण विचार है।
पनवेल के समग्र विस्तार और विकास में पिछले कुछ वर्षों में औद्योगीकरण, वाणिज्यिक गतिविधियों और बुनियादी ढांचे के विकास में वृद्धि देखी गई है। तलोजा के आसपास अनेक छोटी बड़ी इंटस्ट्रीज हैं। इंडस्ट्रियल जोन से विकास तेजी से हुआ है। उनमें से जेएनपीटी, ओएनजीसी, जिंदल इंड्रस्ट्रीज, रियल एस्टेट उद्योग इत्यादि का योगदान भी रहा है। आयुर्वेद के लिए सुप्रसिध्द धूतपापेश्वर से पूरे भारत में औषधियां भेजी जाती हैं।
विकास में योगदान देने वाले कारकों में से एक इसकी पनवेल रेलवे स्टेशन से निकटता है, जो एमएमआर में एक प्रमुख परिवहन केंद्र है। मुंबई और क्षेत्र के अन्य हिस्सों से अच्छी कनेक्टिविटी ने पनवेल को आवासीय और वाणिज्यिक विकास के लिए एक आकर्षक स्थान बना दिया है। पनवेल में बहुत बड़ा टर्मिनल बन रहा है, जो यहां के विकास में चार चांद लगा देगा। नवी मुंबई का इंटरनेशनल एयरपोर्ट खुल जाने के बाद उसका व्यापक लाभ पनवेल को भी प्राप्त हो सकेगा।
पनवेल में बढ़ती जनसंख्या के लिए आवासीय परिसरों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण बहुत तेजी से हो रहा है। इस कारण भी यहां पर रोजगार के नवीन अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
समय के साथ शहर में अपने निवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधाओं, बाजारों और पार्कों जैसी आवश्यक सुविधाओं का सतत विकास हो रहा है। इस क्षेत्र में शहरीकरण और आर्थिक विकास और परिवर्तन हुआ है इसमें कोई दो राय नहीं है। जीवनयापन के अनुकूल विविध संसाधनों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, इंडस्ट्रीज के चलते रोजगार के लिए भविष्य में काफी यहां सम्भावनाएं हैं। अगले एक-दो दशकों में पनवेल विकास की अप्रतिम गाथाएं लिखने के लिए तैयार है। वर्तमान केंद्र एवं राज्य सरकार की विकासवादी नीतियों पर अमल करते हुए पनवेल देश ही नहीं अपितु विश्व के श्रेष्ठतम शहरों की श्रेणी में खड़ा दिखेगा।
अरविंद शर्मा ‘राही’