विकसित भारत के संकल्प को साकार करने हेतु पनवेल शहर बड़ी तेजी से अपने बुनियादी ढांचे के चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर है। मूलभूत सुविधा, यातायात-परिवहन, आवास, उद्योग, व्यवसाय, रोजगार, आदि विविध क्षेत्रों में इस शहर ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
महानगरीय जीवन जहां एक ओर सुकून की खोज में भटकता है। वहीं गांव, छोटे शहर-कस्बे बुनियादी सुविधाओं के इंतजार में रहते हैं। मसलन पक्की और चौड़ी सड़कें, 24 घंटे बिजली-पानी, अच्छे होटल-हॉस्पिटल इत्यादि। छोटे शहरों से मेट्रो सिटी में आए हुए प्रोफेशनल्स, कर्मचारी एवं कामगार इस अंतर को हर रोज बारीकी से महसूस करते हैं। इसलिए एक आम इंसान ऐसी जगह रहने का सपना देखता है जहां महानगरों जैसी तमाम सुख सुविधाएं भी उपलब्ध हों और दूसरी ओर भागदौड़ भरी जिंदगी में ठहराव के पल भी हों। पनवेल इस मामले में एक आदर्श स्थल बनता जा रहा है जोकि देश की आर्थिक राजधानी मायानगरी मुंबई के साथ सटा होने के कारण महानगरीय जीवन की तमाम सुविधाओं से भी लैस है, वहीं छोटे शहरों वाला सुकून भी है।
महाराष्ट्र राज्य के रायगड जिले में स्थित पनवेल एक म्युनिसिपल कॉरपोरेशन है जो कि रायगड जिले का सबसे पुराना कॉरपोरेशन है। पश्चिम की तरफ से रायगढ़ में प्रवेश के समय सबसे पहला शहर पड़ने के कारण इसे रायगड के गेट के नाम से भी जाना जाता है। दो तरफ खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ गाढ़ी नदी के किनारों पर बसा हुआ यह शहर पुणे और मुंबई के बीच में होने के कारण रायगड जिले का सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला शहर है। 300 वर्ष पुराना पनवेल जो कभी चावल मार्केट के लिए प्रसिद्ध था, आज विकास की नई बुलंदियों को छू रहा है।
मुंबई और नवी मुंबई से सटा हुआ पनवेल कम भीड़ भाड़ वाला खुली हवा के साथ एक शांत शहर है। मुंबई में नई जमीन की उपलब्धता न के बराबर है और कीमतों का तो पूछिए मत, आसमान छू रही है। सर ढंकने के लिए अगर एक बेडरूम फ्लैट भी लेना हो तो कीमत करोड़ों में रहती है जोकि किसी मिडिल क्लास परिवार के लिए ना पूरा होने वाला सपने जैसा है। जमीन की कमी होने के कारण सरकारों के लिए नए विकास कार्य करना भी बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। पनवेल इसी मामले में मुंबई से कहीं अधिक बेहतर है जहां जमीन प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है और अपेक्षाकृत सस्ती भी है। सरकार के लिए भी आसान है कि नए विकास कार्यों को गति दी जा सके।
पनवेल सड़क मार्ग एवं रेलवे से तो पहले से ही अच्छी तरह जुड़ा है। भारत के सर्वोत्तम एक्सप्रेसवे में से एक पुणे एक्सप्रेस वे, पनवेल से ही शुरू होता है जो कि वर्ल्ड क्लास एक्सप्रेसवे है। सायन-पनवेल हाईवे इसको सीधा मुंबई से जोड़ देता है। उत्तर भारत से गोवा सहित दक्षिण की तरफ जाने वाली तमाम ट्रेनें पनवेल से ही होकर निकलती है।
मुंबई की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली लोकल से भी पनवेल सीधे रूप से जुड़ा हुआ है, पर एक कमी जो यहां के निवासियों को महसूस होती थी कि हवाई यात्रा अगर करनी हो तो उनको दो ढाई घंटे के थकान भरे सफर से गुजर कर सांताक्रूज/सहार स्थित मुंबई एयरपोर्ट ही जाना होता था। एक तो पनवेल से एयरपोर्ट की इतनी दूरी, ऊपर से मुंबई का ट्रैफिक जाम, कभी-कभी तो जितना समय दिल्ली से मुंबई आने में हवाई यात्रा में लगता है उससे ज्यादा समय मुंबई एयरपोर्ट से पनवेल अपने घर आने में लग जाता है। इसलिए यहां के निवासियों की सबसे प्रमुख मांग आसपास हवाई अड्डा की थी और धन्यवाद हो केंद्र एवं राज्य सरकारों का कि उन्होंने इस मांग को गम्भीरता से लिया और आज पनवेल के पास नवी मुंबई का पहला विश्वस्तरीय एयरपोर्ट बनने जा रहा है जिसका निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है और दिसम्बर 2024 तक इसको आवागमन के लिए खोल दिया जाएगा।
एयरपोर्ट के बनने से पनवेल का चहुंमुखी विकास हो रहा है। बड़े-बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान पनवेल में अपनी औद्योगिक इकाइयां लगा रहे हैं। एयरपोर्ट के बनने से लाखों की संख्या में नई नौकरियां भी उत्पन्न होगी जिसके लिए बहुत सारे नए घरों की आवश्यकता होगी। इस मांग को पूरा करने के लिए पनवेल पूरी तरह से तैयार हो रहा है। अनेक गगनचुंबी इमारतें पनवेल में बन कर तैयार हैं। नामी गिरामी बिल्डर्स नए-नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च कर रहे हैं, जिसमें मुंबई एवं नवी मुंबई की तुलना में अधिक संख्या में और अपेक्षाकृत कहीं सस्ते दामों पर फ्लैट उपलब्ध हैं। हाईवे के पास बन रही नई इमारतें राहगीरों को अपनी तरफ सहज रूप से आकर्षित करती हैं।
सड़क मार्ग की अगर बात करें तो वहां भी अभूतपूर्व विकास हुआ है। पनवेल से हिंदुस्तान के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जेएनपीटी (जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट) तक शानदार सिक्स लेन हाईवे बनाया गया है जिसके कारण समुद्री मार्ग से व्यापार के लिए भी पनवेल एक सुगम स्थल बनता जा रहा है। पनवेल से दक्षिण मुंबई की सीधी कनेक्टिविटी के लिए मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, न्हावा शेवा (नवी मुंबई) से शुरू होकर सीधे शिवडी (मुंबई) तक जा रहा है। यह भारत का सबसे लम्बा समुद्री ब्रिज होगा जिससे पनवेल से मुंबई तक का सफर लगभग आधे समय में पूरा हो जाएगा। 21 किलोमीटर लम्बे 6 लेन, एक्सप्रेसवे के स्तर पर बन रहे इस ब्रिज का निर्माण कार्य प्रगति पर है। दिल्ली की तर्ज पर जब मुंबई में मेट्रो का जाल बिछाया जाने लगा तो नवी मुंबई में भी मेट्रो निर्माण कार्य शुरू हुआ। ब्रिज एवं मेट्रो के बनने से मुंबई-नवी मुंबई से पनवेल की दूरी और कम हो जाएगी और मुंबई में काम करने वाले लोग भी पनवेल में रहना पसंद करेंगे, इससे मुंबई पर बढ़ता हुआ बोझ भी कुछ हद तक कम होगा, जोकि मुंबई के लिए बड़ी राहत होगी।
रेलवे स्टेशन को अति आधुनिक रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित करके इसके विस्तारीकरण की भी योजना है जिससे नई यात्री गाड़ियां शुरू की जा सकें। अति आधुनिक मेडिकल सुविधाओं के साथ नए हॉस्पिटल आ रहे हैं। सुसज्जित मॉल, सिनेमा घर, उद्यान भी खोले जा रहे हैं। होटल एवं अच्छे रेस्टोरंट की उपलब्धता सोने पर सुहागा है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आने वाले समय में जब सभी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बनकर तैयार हो जाएंगे एवं हवाई अड्डा संचालित कर दिया जाएगा तो हिल स्टेशन माथेरान एवं
लोनावाला से मात्र एक घंटे की दूरी पर प्रकृति के बेहद नजदीक ये खुबसूरत शहर पनवेल रहने के लिए मुंबई और नवी मुंबई से भी ज्यादा पसंद किया जाएगा।
संजय बंसल