इंडस्ट्रियल विकास को गति देता टीआईए – सतीश शेट्टी

    सतीश शेट्टी,अध्यक्ष: तलोजा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

किसी शहर के सर्वांगीण विकास में वहां का इंडस्ट्रियल क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। पनवेल के विकास में टीआईए उन्हीं कर्तव्यों की पूर्ति कर रहा है। संगठन के अध्यक्ष सतीश शेट्टी ने हिंदी विवेक के साथ हुए साक्षात्कार में सभी प्रमुख विषयों पर अपनी राय रखी।

तलोजा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की स्थापना कब हुई और इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?

पहले हमें किसी सरकारी कार्यालय में किसी कार्य हेतु जाना होता था तो कम्पनी से किसी को भी प्रतिनिधि के नाते भेज दिया जाता था जिसे सरकारी कार्यालय के कर्मचारी/अधिकारी गम्भीरता से नहीं लेते थे। ऐसे में जब सरकार से हमारा संवाद हुआ तो उन्हें लगा कि हम लोग सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर सहायता करना चाहते हैं पर प्रतिनिधि भी उसी स्तर का होना चाहिए। इस स्तर को पाने की अहर्ता को पूरा करना है तो हमें एक एसोसिएशन का गठन करना पड़ेगा। इसलिए 07 जुलाई, 2009 को यहां की सभी कम्पनियों के मालिकों ने साथ आकर इस एसोसिएशन का गठन किया।

 यह एमआइडीसी कब बना था?

तलोजा एमआइडीसी इंडस्ट्रियल एरिया के नाम से इसे 1970 में बनाया गया था। यह चरणबद्ध तरीके से विकसित किया गया है, पहले सांघी आर्गेनाईजेशन से दीपक फर्टिलाइजर तक विकास हुआ। आगे चलकर दो चरणों के अंतर्गत अगले बीस सालों में 2140 एकड़ का शत प्रतिशत क्षेत्र विकसित हो गया था।

 यहां कितनी और किस-किस क्षमता की औद्योगिक ईकाईयां हैं?

यहां कुल 1623 प्लॉट्स हैं, इनमें कम्पनियां कार्यरत हैं। इनमें से 550 कम्पनियां इंजीनियरिंग की हैं, 350 रासायनिक उत्पाद की हैं तथा 75-80 कम्पनियां खाद्य प्रसंस्करण की हैं, शेष अन्य सेवा प्रदाता हैं। इस तलोजा इंडस्ट्रीज एरिया का नक्शा 69 के आकार में बना है, इसके मुख्य मार्ग पर देखेंगें तो सांघी आर्गेनाइजेशन, इंदू कारपोरेशन, आदित्य बिरला कम्पनी, क्राउन, हिंडाल्को, दीपक फर्टिलाइजर, दीपक नाइट्रेट, बॉम्बे बीयर, केलोग्स, वीनस, इंडियन आयल जैसी बड़ी लिमिटेड कम्पनियां हैं। अंदर बाईं ओर इंजीनियरिंग कम्पनियां, दाईं ओर रसायन उत्पादक और बीच में खाद्य प्रसंस्करण से सम्बंधित उद्योग हैं। इनमें से कुछ निर्यातक कम्पनियां हैं।

 आप कब से इस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं?

मैं आरम्भ से ही अध्यक्ष हूं। यह मेरा पांचवां सत्र है। पहले तीन-तीन वर्ष के सत्र होते थे, 2022 में मुझे पांच वर्ष के लिए पुनः चुना गया है।

 कोविड के दौरान किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा और उनके निराकरण के लिए आपने क्या-क्या किया?

सही कहें तो इसने हमारी एसोसिएशन की पूरी गतिशीलता को बदल दिया। उससे पहले और बाद में प्रचंड बदलाव आया है। 2020 से पहले हमें सदस्यता के लिए लोगों को बोलना पड़ता था। अब लोग लगातार स्वयं आगे आकर सदस्य बन रहे हैं। बाहर के लोग भी अब हमसे आकर जुड़ रहे हैं जिनमें मुख्य रूप से सेवा प्रदाता क्षेत्र के लोग सदस्य बन रहे हैं। अब तलोजा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एक ब्रांड बन गया है।

 कोविड के समय अध्यक्ष के नाते आपने कैसे समन्वयन किया?

हमारा पूरा समन्वय लगातार बना रहा, पुलिस स्टेशन से हमारा समन्वय था क्योंकि अनेक कार्मिकों का प्रवास हो रहा था, अनेकों को रातोंरात यहां से जाना था, इसलिए हम लोगों ने निरंतर कैम्प चलाए। हमने आधिकारिक रूप से चिकित्सकों की टोली को इन कैम्प्स में रखा, जाने वाले लोगों को प्रमाण पत्र दिए, उनके निकलने का प्रबंध किया, कुछ आर्थिक बंदोबस्त भी किया।

 सरकार की स्टार्टअप योजना का आपके सदस्यों पर क्या प्रभाव रहा?

यह बहुत अच्छी योजना है, इसका व्यापक प्रभाव है और यह बड़ा अच्छा सकारात्मक आग्रह है। स्टार्टअप में नए उद्यम को पहले से चल रहे किसी उद्यम का हाथ पकड़ कर चलना चाहिए, सीधे जोखिम ले लेना उचित नहीं है। स्टार्टअप का अभिप्राय एक नवीन सोच है। इस सोच का लाभ उठाने के लिए हमने सोचा है कि पहले से मौजूद कम्पनियों के साथ साथ इन्हें जोड़ना चाहिए। नौजवानों को सेटअप देकर अवसर दिया जाना चाहिए।

 पानी व सड़क की समस्या हर एमआइडीसी में आम है। इसके निराकरण हेतु क्या प्रयास किए?

2009 में एसोसिएशन की स्थापना के बाद 2016 तक हमने फोकस रखा था इंफ्रास्ट्रक्चर पर, हमारा सौभाग्य रहा कि हमें सरकारी अधिकारी विशेषतः भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बहुत बढ़िया मिले, उन्होंने इस पर काम किया और यहां ओवरब्रिज बनाया, हरेक रोड को कंक्रीट का किया यहां तक कि जो रोड एमआइडीसी का न होकर ग्रामीण सेवा के अंतर्गत था उसे भी हमारे सहयोग तथा आवश्यकता के साथ-साथ बेहतर जुड़ाव को दृष्टिगत रखते हुए कंक्रीट का किया। उसी के साथ स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज सिस्टम और फुटपाथ बनाया गया। पहले तलोजा पानी की समस्या नहीं रही। पिछले डेढ़ साल से कुछ समस्या आ रही है। हमारे 56 एमएलडी पानी का समान वितरण नहीं किया जा रहा है। नई कम्पनियों के लिए पानी की मात्रा बढ़ाई जाए, हमारी कटौती नहीं।

 वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में क्या प्रयास कर रहे हैं?

मैं महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बोलता हूं कि वायु प्रदूषण करने वाली कम्पनी बंद की जानी चाहिए। मैं एक्सपर्ट समिति का सदस्य भी हूं। दस-पंद्रह वर्ष पहले बात कुछ और थी। तब वायु प्रदूषण से निबटने के लिए पूरे उपाय और संसाधन नहीं थे। पर आज आपको मालूम उच्च गुणवत्ता वाले प्रदूषण नियंत्रक उपलब्ध हैं। यदि कोई इंडस्ट्री इस खर्चे को बचाने के लिए ऐसे उच्च गुणवत्ता वाले प्रदूषण नियंत्रक न लगाकर वायु प्रदूषण करती है तो हम उसके विरोध में हैं। हम सरकार से ऐसी इंडस्ट्री के विरुद्ध सख्त से सख्त एक्शन लेने का आग्रह करते हैं।

 टीआईए की भविष्य की क्या प्राथमिकता है?

हमें एमआइडीसी की ओर 800 मीटर का एक प्लाट मिला है, जहां एसोसिएशन की पूरी बिल्डिंग बनेगी। इसमें एक प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाना प्रस्तावित है। सरकार प्रशिक्षण देने के प्रति काफी उत्सुक है किंतु हमारे पास ऐसी जगह नहीं है, जहां 200-500 व्यक्ति बैठ सकें, समय-समय पर प्रशिक्षण ले सकें। इसमें से पूरा एक तल हम स्टार्टअप के लिए समर्पित करना चाहते हैं।

 उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?

सरकार से हमारी सबसे ज्यादा अपेक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर है, यदि सरकार हमें मूलभूत ढांचागत सुविधा तथा मूलभूत अनिवार्य आवश्यकताओं जैसे बिजली और पानी की सुविधा देती है तो बाकी हम काफी हद तक स्वयं करने की इच्छाशक्ति रखते हैं। बिजली की मरम्मत के नाम पर एक-एक दिन तक बिजली की आपूर्ति बाधित रहती है यह ठीक नहीं है, इससे राजस्व की हानि होती है क्योंकि बिजली के न होने से फैक्ट्री में काम नहीं हो पाता, उत्पादन का क्षय होता है। इस प्रकार के बंद का दिन समान होना चाहिए क्योंकि मुंबई या पुणे से हमारा प्रतिदिन का व्यापारिक लेन-देन है वहां और यहां यह दिन समान होने से यानी शुक्रवार के स्थान पर रविवार की कटौती होने से इस लेन-देन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। हालांकि आगे जाकर यह बिजली मरम्मत के नाम पर बंद रखने का काम बंद ही होना चाहिए। इससे हमारी व्यापारिक कार्यक्षमता भी बढ़ेगी तथा हम अपने परिवार को भी अच्छे से समय दे सकेंगे।

 2014 के केंद्र तथा महाराष्ट्र सरकार की योजनाओं को आप अपने लिए कैसे लाभकारी देखते हैं?

देवेंद्र फडणवीस ने अपने पहले कार्यकाल में अनधिकृत माथाड़ी वालों पर नियंत्रण को लेकर प्रशासन को सखत निर्देश दिए।  तलोजा एमआइडीसी पूरी तरह से संगठित सेक्टर है। इस कदम से हमें बड़ी सहायता और राहत मिली। हमने ट्रैफिक से बचाने के लिए ट्रक टर्मिनस की मांग की थी, ताकि हमारे कच्चे माल तथा तैयार माल की आवाजाही सुचारू रूप से चल सके। इस पर तेजी से कार्य हो रहा है।

 एमआइडीसी के विकास हेतु सरकार से क्या अपेक्षा रखते हैं?

हम चाहते हैं कि महानगर पालिका की तरह एमआइडीसी एक स्वतंत्र महानगरपालिका बने जिसमें इंडस्ट्रियल टाउनशिप हो। 2005 में हमने सरकार के पास प्रस्ताव रखा था। परंतु सरकारी नियमानुसार जब तक किसी इलाके में 80-90 प्रतिशत बसावट नहीं हो जाती तब तक उधर टाउनशिप नहीं आ सकती। वर्तमान में यहां पूरी बसाहट हो गई है। इसलिए हमारी सरकार से यही प्रार्थना है कि यहां टाउनशिप बनाने की घोषणा की जाए। इस तरह की लगभग 33 इंडस्ट्रीज चिह्नित हुई हैं जिसमें से हमारी आठवें क्रम पर आती है। इसके बनने से यह एमआइडीसी आदर्श तरीके से विकसित हो सकेगी।

 

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