पनवेल के दर्शनीय मनोरम स्थल

नवी मुंबई से सटे पनवेल में ऐसे अनेकों प्रसिध्द पर्यटन स्थल हैं जिन्हे एक बार देखने के बाद वहां के नजारे आंखों में कैद हो जाते हैं। खासकर मानसून में मुंबई से सवार्धिक पर्यटक यहां आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से समृध्द पनवेल में मनोरम झरने, जलाशय, ऐतिहासिक मंदिर, आधुनिक रिसोर्ट, वाटर पार्क, किला, बांध आदि आकर्षण के केंद्र हैं।

पनवेल, रायगढ़ जिले के सबसे खूबसूरत भागों में से एक है। पनवेल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी आकर्षण का केंद्र रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण शहर में जलाशय, रिसोर्ट, वाटर पार्क, किला, बांध इत्यादि मनभावन स्थल हैं। यहां विशेष रूप से वर्षा के मौसम में वनस्पतियों से भरी हरे रंग की पहाड़ियां और इनसे बहते झरने पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।

यहां के रिसोर्ट की विशेषताओं के बारे में जितना कहा जाए कम है, जो उचित दर में सदैव उपलब्ध रहते हैं। यहां बहुत से रेस्टोरेंट और होटल भी हैं। रिज़ॉर्ट इस समय घूमने-फिरने, मानसून का आनंद लेने और पार्टी का माहौल देखने के लिए सबसे आकर्षक जगह हैं। अच्छी तरह से सुसज्जित वाटर पार्क में हरे-भरे लॉन, वॉटर स्लाइड, स्विमिंग पूल और पार्टी के लोगों के लिए एक रैन डांस का क्षेत्र आदि सुविधाएं मौजूद हैं।

कर्नाला पक्षी अभयारण्य जिसकी स्थापना 1968 में हुई थी, अभी लगभग 12.11 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यहां अनेक प्रकार के दुर्लभ और प्रवासी पक्षियों की लगभग 30 प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं। यह हरे-भरे जंगल विविध वनस्पतियों और जीव जंतुओं से समृद्ध है। आप यहां ट्रैकिंग का भरपूर आनंद ले सकते हैं। इसमें 12 वीं शताब्दी का कर्नाला किला है जिसके शिलालेख में दिलचस्प जानकारियां मिलती हैं। प्रबलगढ़ का किला माथेरान और पनवेल के बीच पहाड़ों में स्थित है। यह 16 वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। अपनी सांस्कृतिक थाती के कारण पनवेल शहर ऐतिहासिक विरासत को आधुनिक विकास के साथ जोड़ता है। यह महाराष्ट्र का एक आधुनिक  औद्योेगिक शहर भी है। यह शहर गाढी नदी के तट पर है जो अरब सागर से मिलती है। यहां गाडेश्वर बांध भी देखने योग्य है। इसके निकट ही शांति वन का आश्रम है, जहां कुष्ठ रोगियों का उपचार किया जाता है और उनके सामाजिक उत्थान का भी ध्यान रखा जाता है।

पनवेल के गांव शिरढोणे में महान क्रांतिवीर वासुदेव बलवंत फड़के का जन्म हुआ था। वासुदेव बलवंत फड़के (4 नवम्बर 1845 – 17 फरवरी 1883) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे जिन्हें आद्यक्रांतिवीर कहा जाता है। उनके घर में उनका सामान आज भी सुरक्षित है। उनके नाम से पनवेल में आद्य वासुदेव बलवंत फड़के ओडिटोरियम है जिसमें सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम होते रहते हैं और हमें भारत में महान क्रान्तिकारियों की याद दिलाते हैं।

पनवेल के नजदीक 130 एकड़ में फैला,इमेजिका थीम पार्क है जिसमें वॉटर पार्क, स्नो पार्क, हाउस ऑफ स्टार्स, आईल्यूशन और ऑन-प्रिमाइसेस होटल नोवोटेल इमेजिका शामिल हैं।

बेथ एल सिनेगॉग एम जी रोड पनवेल में स्थित एकमात्र ऐसा अराधना का केंद्र है जहां यहूदी और सभी धर्म के लोग दर्शन करने जाते हैं। पनवेल से कुछ दूरी पर पाली में अष्टविनायक बल्लालेश्वर भगवान गणेश का अनूठा मंदिर है, जिसमें वास्तुकला की  आकर्षक डिजाइन देखी जा सकती है। पाली के पास ही उन्हेरे गांव में गर्म पानी का कुंड है जो औषधीय उपचार के लिए जाना जाता है।

पनवेल के निकट अष्टविनायक महाड गणपति का मंदिर भी है, यह मंदिर मुंबई-पनवेल-खोपोली रोड पर स्थित है और खोपोली से 6 किमी पहले है। जहां समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।

बरसात के मौसम में हरी-भरी पहाड़ियों से अदई वाटर फॉल्स  की बहती हुई जल धाराएं बहुत सुंदर दिखाई पड़ती हैं। पनवेल शहर में नगर परिषद के बेहद खूबसूरत जलाशय हैं। यहां के तालाबों के आसपास की सज्जा और रखरखाव पर विशेष ध्यान रखा जाता है। सभी जलाशयों के निकट छठ पूजा पर चहल-पहल रहती है। इन तालाबों में से एक है वडाळे तालाब। यहां एक मंचनुमा स्थान पर अक्सर, संगीत की मधुर ध्वनि और भजन संध्या सम्पन्न होती है। यहां के अधिकतर रेस्टोरेंट में स्थानीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध होता है जो इस शहर को एक मेट्रोपोलिटन संस्कृति से जोड़ता है। भोजनालयों में त्यौहारों पर विशेष तौर पर पारम्परिक भोजन भी रहता है। यहां का दत्त वड़ापाव बहुत प्रसिद्ध है।

नारायण बाबा संस्थान का साईं बाबा का सुंदर दर्शनीय मंदिर है। अयप्पा मंदिर, बाला जी मंदिर, प्राचीन काल में निर्मित खांडेश्वर तालाब के निकट शिव मंदिर है। शिवरात्रि पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। नवीन पनवेल में स्वयंभू गणेश मंदिर भी है। कर्नाला स्पोर्ट क्लब भी यहां एक आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यहां शहर के आसपास बहुत से औद्योेगिक केंद्र हैं जो भारत से विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं। इस शहर को आधुनिक बनाने में इन उद्योगों का बहुत बड़ा योगदान है।

छुट्टियों में यहां पनवेल और उसके आसपास के क्षेत्रों में काफी भीड़ रहती है। प्राकृतिक सौंदर्य, मनोहर दृश्य, समुद्र तट, पहाड़ों की बनावट, सुहाने नदी के मुहाने और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नयनाभिराम दृश्य वाह! ये सार दृश्य मन-मस्तिष्क की स्मृतियों में सहेजे जा सकते हैं, यह कहने में भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।

यहां बहुत से पार्क हैं उनमें से एक है स्मार्ट इको पार्क। यह स्मार्ट पार्क एक गैर-लाभकारी विश्व स्तरीय इको पार्क है जिसका उद्देश्य बच्चों को महत्वपूर्ण कौशल सिखाना है जिनकी उन्हें अगले 50 वर्षों में सबसे अधिक आवश्यकता होगी। जैसे कि एक अच्छा वैश्विक नागरिक बनने की क्षमता, एक-दूसरे के साथ सहयोगात्मक प्रवृत्ति विकसित करना और शांति से रहना पर्यावरण के प्रति जागरूक करना। इन कौशलों को प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए 20 एकड़ के स्टूडियों में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा विकसित इंटरैक्टिव, गहन अत्याधुनिक तरीकों का उपयोग करके सिखाया जाता है।

मानव निर्मित साज सज्जा ने इस शहर को आकर्षक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आइए कुछ समय व्यतीत करें कोंकण प्रदेश के प्रवेश द्वार पर। विविधताओं से भरे संस्कृति को अपने में समाहित किए हुए एक सुंदर शहर पनवेल में आप सभी का हार्दिक स्वागत है….

                         छत्रसाल साहू 

 

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