विरार एवं पनवेल के बीच बन रहा कॉरिडोर समूचे क्षेत्र के विकास को नवीन दिशा देगा। इससे मुंबई के आसपास का शहरीकरण तो बढ़ेगा ही, नई औद्योगिक इकाइयां आने से रोजगार के नवीन अवसर भी उपलब्ध होंगे।
रेलवे ने मुंबई के पश्चिम (विरार) और सुदूर पूर्व (पनवेल) को जोड़ने के लिए विरार पनवेल कॉरिडोर की योजना बनाई गई है। इसका प्रमुख लक्ष्य यातायात को कम करना और आवास निर्माण के लिए अधिक जगह बनाने के तरीके खोजना है। कारण साफ है, जब भी नई रेल लाइन का कनेक्शन हुआ, मुंबई और उसके आसपास के क्षेत्र का विस्तार हुआ। मुंबई से लेकर पनवेल और अलीबाग के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से सरकारी प्रयासों की वजह से यह भाग भी विकास का वांछनीय गंतव्य बन गया है।
महाराष्ट्र के शांत कोंकण तट पर हरी-भरी पहाड़ियों की गोद में स्थित, पनवेल लम्बे समय से अपने प्राचीन समुद्र तटों, हरे-भरे परिदृश्य और शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता है। पनवेल में हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे में सुधार और आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण के साथ महत्वपूर्ण शहरी विकास देखा गया है। यह मुंबई महानगर क्षेत्र में किफायती आवास विकल्पों की तलाश कर रहे लोगों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है। वैसे तो पनवेल एक उभरता हुआ विकासशील शहर है परंतु सीमित कनेक्टिविटी ने शहर के विस्तार की पूरी क्षमता को बाधित कर दिया है। पनवेल एवं विरार के बीच बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर काम शुरू होने से यात्रा का समय लगभग आधी हो जाने की उम्मीद है। वर्तमान में दो-ढाई घंटे से अधिक का यह समय घटकर मुश्किल से पचास मिनट से एक घंटे तक रह जाएगा। इन बुनियादी ढांचे की पहल से कॉरिडोर के आसपास के क्षेत्र में लोगों की बसाहट के लिए काफी बड़ा और व्यापक अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इस कारण विनिर्माण, आईटी, एवं अन्य प्रभागों में रोजगार के अपरिमित अवसर उपलब्ध होंगे। इसीलिए पनवेल में सम्भावनाओं और सम्पत्तियों की बढ़ती मांग को पहचानते हुए, सरकार ने कनेक्टिविटी अंतर को पाटने के लिए कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं।
नवी मुंबई के पास बसे पनवेल की स्थिति फायदेमंद है क्योंकि सिडको द्वारा पूरा किया गया यह सुनियोजित उपनगर सबसे अच्छे विकास प्रकल्पों में से एक है। पनवेल नियोजित नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से केवल 20 मिनट के ड्राइव की दूरी पर है। एक बार पूरा हो जाने पर, नया विरार पनवेल कॉरिडोर नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक आसान पहुंच प्रदान करेगा। साथ ही, यह यात्रा के समय को कम करते हुए उरण, मुंबई और ठाणे को जोड़ेगा। नतीजतन, वसई, खारबाव, कलंबोली, दिवा, भिवंडी और शिलफाटा जैसे पड़ोस के निवासियों की अब मुंबई और ठाणे के विकसित क्षेत्रों तक पहुंच बन सकेगी।
वसई-विरार से लेकर पनवेल के बीच का यह क्षेत्र उचित कीमतों पर विभिन्न प्रकार के अनुमानित मॉल, रिटेल और ऑफिस स्पेस प्रदान करने की क्षमता रखता है। लेकिन अच्छी कनेक्टिविटी की कमी के कारण यहां के निवेशक किसी भी खरीदार को आकर्षित करने में विफल रहते हैं। नया मार्ग व्यवसायों को आकर्षित करके और रोजगार सृजित करके क्षेत्र में उत्साह को बढ़ावा देगा। बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, यह विभिन्न व्यवसायों के लिए एक विनिर्माण केंद्र बन सकता है। जैसा कि मैंने ऊपर कहा, भिवंडी, कलंबोली, पनवेल, दिवा और खारबाव में बड़ी संख्या में किफायती आवासों की उपलब्धता के बावजूद, खरीदार इस क्षेत्र में घर खरीदने में संकोच कर रहे थे। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण कनेक्टिविटी की कमी थी। अगले कुछ वर्षों में, विरार-पनवेल कॉरिडोर क्षेत्र के भीतर यात्रा में परिवर्तनकारी बदलाव का गवाह बनेगा, क्योंकि विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पूरा होने से यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। यह बेहतर परिदृश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और गलियारे के साथ निर्बाध यात्रा अनुभव की सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही, विरार से लेकर अलीबाग तक कॉरिडोर के भीतर कनेक्टिविटी को और बढ़ाने के लिए मुंबई-गोवा रोड और वडखल अलीबाग रोड को चौड़ा करने की योजना लागू की जा रही है। बुनियादी ढांचे में ये सुधार बेहतर सड़क कनेक्टिविटी की गारंटी देंगे, प्रमुख शहरों के बीच निर्बाध यात्रा की सुविधा प्रदान करेंगे और गलियारे के साथ पहुंच में सुधार करेंगे और यात्रा के समय को कम करेंगे। मुंबई अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन का एक स्टेशन विरार में भी होगा, जिसके माध्यम से यह कॉरिडोर अहमदाबाद के हीरा बाजार के साथ भी जुड़ जाएगा।
नीति आयोग ने 2016 में विरार-वसई-पनवेल लाइन को मंजूरी दी थी। यह विरार पनवेल कॉरिडोर की एक प्रमुख परियोजना है जिसका उद्देश्य कनेक्टिविटी में सुधार करना और आसपास के क्षेत्र में रियल एस्टेट को बढ़ाना है। वसई-विरार क्षेत्र से लेकर भिवंडी तक छोटे-छोटे उद्योग एवं गोदाम प्रचूर मात्रा में हैं। लेकिन वृहद् महानगरीय गलियारे की कमी ने इस क्षेत्र में आवासीय कालोनियों तथा नए औद्योगिक संस्थानों के बढ़ाव को रोक दिया है। आकार के संदर्भ में, यह एक विशाल परियोजना है, जिसके लिए मुंबई शहरी परिवहन के लिए आवंटित कुल बजट के लगभग 85% की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, परियोजना विरार और पनवेल के बीच एक नया शहरी क्लस्टर बना सकती है। इसका मतलब है कि खारबाव, कलंबोली, भिवंडी, दिवा और पनवेल हॉटस्पॉट बनने की कगार पर हैं। रेलवे लाइन पूरी होने के बाद इससे राजस्व निर्माण के नवीन साधन भी बनेंगे।
इसके अलावा विरार पनवेल कॉरिडोर उपनगरीय रेलवे के परिणामस्वरूप विनिर्माण और आईटी व्यवसायों की संख्या में वृद्धि होगी। यानी विरार पनवेल कॉरिडोर सुदूर पश्चिम और पूर्व को जोड़ने वाला मुंबई का अपना सिल्क रूट होगा। यह शहर के अति व्यस्त क्षेत्रों से बाहर निकलने के इच्छुक लोगों के लिए कई नए उपनगर लाएगा, जहां भविष्य में विकास का सागर लहराएगा जो पनवेल और उसके आसपास के क्षेत्रों के प्रति सम्पूर्ण भारत एवं विश्व को आकर्षित करने में सक्षम होगा।
स्नेहल चांदोरकर