विकास की राह पर भारत विकास परिषद

चार वर्षों के अल्पकाल में पनवेल की भारत विकास परिषद शाखा ने वहां के लोगों के मध्य अपना महत्त्वपूर्ण स्थान स्थापित कर लिया है। संस्था समाज के हर वर्ग एवं वय के लोगों के लिए निरंतर सफल अभियान चला रही है।

22 सितम्बर 2019 की सुबह पनवेल शहर के लिये एक नयी किरण ले कर आयी। यही दिन था जब भारत विकास परिषद जैसी राष्ट्रव्यापी संस्था के पनवेल शाखा की स्थापना हुई। संस्था के नियमानुसार समाज के 56 सम्पन्न, समृद्ध और प्रबुद्ध महानुभावों के गठन से यह शाखा शुरू हुई और तब से आज तक तेज गति से प्रगति कर रही है।

भारत विकास परिषद की कुल 1450 से अधिक शाखाएं हैं, जो 10 क्षेत्र तथा 79 प्रांत के माध्यम से कार्यरत हैं। पूरे देश में 65000 से ज्यादा परिवार भारत विकास परिषद के सदस्य हैं। वर्तमान में पनवेल शाखा से 80 सक्रिय परिवार जुड़े हैं। एक स्वस्थ समर्थ संस्कारित भारत देश निर्माण कर हेतु, सम्पर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा और समर्पण के पांच सूत्रों पर आधारित भारत विकास परिषद के कार्य चलते हैं।

पनवेल शाखा के अनावरण के कुछ ही दिन पश्चात् दो अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के अवसर पर शाखा ने अपने पहले अभियान ‘प्लास्टिक मुक्त वसुंधरा’ का शुभारम्भ किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था, थैलियों के निर्मूलन हेतु जन-जागरण कर, कपड़े की थैलियों का प्रसार। पनवेल शहर के विविध बाजारों तथा विविध संस्थाओं के सम्मेलनोें मेें सम्मिलित होकर, जिन हाथों में प्लास्टिक की थैली दिखती उनसे नम्रता से मांगकर बदले में उन्हें सुंदरसी कपड़े की थैली भेंट देकर लोगों को प्लास्टिक के दुष्परिणामो के बारे में प्रबोधित करते थे। यह अभियान अभी भी जारी है। कपड़े की थैली के बदले हमने हर किसी से एक शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करवाए कि वे जिंदगी मेें कभी सिंगल यूज्ड प्लास्टिक इस्तमाल नहीं करेंगे। कोरोनाकाल में इस अभियान पर कुछ वक्त के लिए रोक लग गयी लेकिन कोरोना मुक्ति पश्चात पनवेल शाखा नए जोश के साथ और पनवेल महानगरपालिका के साथ हाथ मिलाकर इस अभियान में कूद पड़ी है।

पनवेल की शाखा शुरू हुए छः महीने ही हुए थे और पूरे विश्व पर कोरोना महामारी का संकट आन पड़ा। सभी स्वयंसेवी संस्थाएं हर तरह की मदद कर रही थी। परंतु भाविप पनवेल ने थोड़ी अलग सोच के साथ अभियान चलाया। हमारे निडर कार्यकर्ता रोज सवेरे खाने के पैकेट्स, पानी, केले, बिस्कुट आदि लेकर निकलते थे और राह चलते अपने अपने गांव निकले हुए लोगों को देते थे। हॉस्पिटल्स को पीपीई किट्स देना, जरूरतमंद लोगों को राशन दिया। इसके अलावा हमने छोटे-छोटे गांवों के क्लीनिक में काम करने वाले डॉक्टरों को पल्स ऑक्सिमीटर और कोविड गाइडलाइंस के पत्रक वितरित किये।

लॉकडाउन में सब बच्चे अपने अपने घरों मे बंद रहने के कारण बडी कठिनाईयों से गुजर रहे थे। उनके लिये हमने पूरी सावधानीके साथ एक कार्यक्रम किया- मिशन अनलॉक किड्स। बच्चों को खुली हवा में ले जाकर आउटडोअर गेम्स और गणपति की मूर्ति बनाना सिखाया गया। तब से हर साल हम गणपति की मूर्तियां बनाने की कार्यशाला लेते हैं और बच्चे जो मूर्ति बनाते हैं, उसी की उनके घर में स्थापना की जाती है।

पनवेलके पास बोंडारपाडा नाम का छोटा सा गांव है। इस गांव की पानी की समस्या से लेकर, बिजली, बच्चों का अध्ययन, उनके लिये संस्कार वर्ग, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अचार इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण जैसे कई काम भाविप कर रहा है। इस गांव को गोद लेकर भाविप इसकी प्रगति के हर सोपान की दिशा में कार्य कर रहा है। भविष्य में अन्य गांवों में भी इसी तरह के कार्य चलते रहेंगे।

भाविप पनवेल का और एक उल्लेखनीय कार्य है, ‘सैनिक हो तुमच्यासाठी’ अभियान। सच कहें तो पनवेल के लोग भाविप को इसी अभियान की वजह से जानने लगेे। पिछले तीन सालों से हम अपनी सीमाओं पर तैनात जवानों के लिये दीवाली के अवसर पर घर जैसे स्वादिष्ट व्यंजन भेजते हैं। जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, तेजपुर, भुज, अरुणाचल ही नहीं, सीधे सियाचिन की दुर्गम ऊंचाइयों तक ये मिठाइयां पहुंचती हैं और अपने वीर जवानों का मनोबल बढ़ाती हैं। यह पूरा कार्य जन-सहकार से पूरा होता है। पिछले साल 7000 जवानों को ये बक्से मिले और इस साल हम 10000 जवानों तक पहुंचने की आशा करते हैं।

‘ऐनीमिया मुक्त भारत’ के देशव्यापी अभियान के अंतर्गत भाविप पनवेल ने इस साल अब तक लगभग 3000 छात्राओं की हीमोग्लोबिन की जाच की और ऐनीमिक लडकियों को गुड़-चना तथा आइरन की गोली देकर इलाज किया। इलाज के पश्चात इन लड़कियों की दो महीने बाद फिर जांच की जाएगी और उनके स्वास्थ्य का अनुमान लेकर यथायोग्य मार्गदर्शन किया जाएगा। यह अभियान सम्पूर्ण वर्षभर आगे भी भिन्न-भिन्न शालाओंमे चलता रहेगा। हीमोग्लोबिन जांच के अलावा हम कई और स्वास्थ्य सम्बंधी उपक्रम करते हैं, जिसके अंतर्गत जाने माने डॉक्टरों के व्याख्यान, सोसायटियों मेें जाकर शुगर, बीपी चेकअप कैम्प लगाने जैसे महत्वपूर्ण अभियान सम्पन्न कराए जाते हैं।

हमारी शाखा ने इस वर्ष से और एक नया उपक्रम शुरू किया है। महिला दिन के अवसरपर पनवेल की उल्लेखनीय कार्य करने वाली दस महिलाओं को ‘ऊर्जिता पुरस्कार’ से सन्मानित किया। अगले वर्ष से यह पुरस्कार हम विश्व महिला दिवस नहीं बल्कि राष्ट्रीय महिला दिवस, जो 13 फरवरी को मनाया जाता है, पर वितरित करेंगे। आगे हर साल भाविप की ओर से दस महिलाओं का सम्मान किया जाएगा।

भाविप के संस्कार आयाम के अंतर्गत देश की हर शाखा तीन नियमित तथा वार्षिक संस्कार-अभियान करती है।

1 गुरुवंदन छात्र अभिनंदन : इस संस्कार में परिषद के कार्यकर्त्ता पाठशालाओं में एकत्रीकरण के समय छात्र से गुरु को वंदन कराते है तथा गुणवंत विद्यार्थियों का गुरु द्वारा अभिनंदन होता है।

2 राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता : परिषद के अपने 70-80 हिंदी-संस्कृत के राष्ट्रभक्ति पर आधारित गानों में से चुनकर एक हिंदी तथा एक संस्कृत समूहगान पाठशालाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

3 ‘भारत को जानो’ प्रश्न मंजुषा प्रतियोगिता : भारत देश के अनजाने इतिहास के विषय में यह प्रतियोगिता अनेक पाठशालाओं के सहभाग से किसी एक शाला में आयोजित की जाती है।

राष्ट्रीय स्तर पर समूहगान प्रतियोगिता की विजयी टीम को महामहिम राष्ट्रपति के करकमलों द्वारा सम्माानित किया जाता है।

इस साल पनवेल शाखा के अंतर्गत 15-20 पाठशालाओं ने सहभाग लिया। भाविप के इन संस्कार प्रोजेक्ट्स को पनवेल के सभी स्कूलों ने बहुत सराहा।

भारत विकास परिषद की कोंकण प्रांत कार्यकारिणी पनवेल शाखा के हर काम में हमारा पूर्णरूप से साथ देती है तथा प्रोत्साहित करती है। चार सालके अल्प समय में भारत विकास परिषद की पनवेल शाखा ने अपना अस्तित्व दिखाया है और पनवेलवासी हमारी संस्था को जानने लगे हैं। समृद्ध और प्रबद्ध लोगों का यह संगठन इसी भांति बढ़ता चला जायेगा और भारत विकास परिषद के स्वस्थ, समर्थ तथा संस्कारित भारत का सुनहरा सपना एक दिन अवश्य पूरा होगा।

                                                                                                                                                                                      डॉ. कीर्ति समुद्र 

Leave a Reply