प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बातों पर जनता सहित देश-दुनिया को यूं ही भरोसा नहीं हुआ है, पिछले 2 कार्यकाल में उन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा करके यह सिद्ध किया है कि एक अकेला सब पर भारी है। जनता का उन्होंने जो विश्वास जीता है, वो तो अभूतपूर्व है।
2014 से पहले लगभग तीन दशक का कालखंड भारतीय राजनीति के लिए अस्थिरता देने वाला था। 2004 से 2014 तक यूपीए के दस साल के कार्यकाल के दौरान पॉलिसी पैरालिसिस यानी नीतिगत पंगुता की जोरदार चर्चा हुई। इसी पृष्ठभूमि पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने एक मजबूत और प्रगतिशील राष्ट्र निर्माण के लिए 2014 में जनता से स्पष्ट बहुमत मांगा था। मोदी के विकास के स्पष्ट संकेत ने लोगों के मन में विश्वास जगाया जो यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों, भ्रष्टाचार की नीतियों में अनिश्चितता, बढ़ती महंगाई जैसे कई मुद्दों से तंग आ चुके थे।
2014 में जनता ने ‘अबकी बार मोदी सरकार’ के नारे के साथ मोदी सरकार को चुना था। यह नारा 2019 में फिर एक बार मोदी सरकार दोहराया गया। मोदी के इन दोनों कार्यकालों को अब मिलाकर दस साल पूरे हो गए हैं। देश के लोकसभा चुनाव अप्रैल या मई के महीने में होने अपेक्षित हैं। इसी दौर में ‘मोदी की गारंटी’ शब्द भी लोकप्रिय हो रहा है। लोग मोदी की गारंटी पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। मोदी की गारंटी एकाएकनिर्माण नहीं हुई है, इसके पीछे मोदी के 10 साल की प्रभावी कार्य पद्धति है। पिछले 10 साल में ऐसा क्या हुआ कि लोग मोदी की गारंटी पर भरोसा कर रहे हैं?
हमारे देश में आज तक सिर्फ एक ही गारंटी को 100% निभाया जाता है और वो है रिजर्व बैंक द्वारा करेंसी नोटों पर दी गई गारंटी। ‘मैं भारत को 2000 रू. भुगतान करने का वादा करता हूं।’ इसके बाद लोग देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ही परफेक्ट गारंटी के रूप में देखते हैं। लोगों का भरोसा मोदी पर बढ़ता जा रहा है, लोग मोदी को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। पं. नेहरू से नरेंद्र मोदी तक के बीच भारत में अभी तक ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जिसने भारतीय राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन किया हो और वैश्विक स्तर पर भारत को महत्वपूर्ण बनाया हो, लेकिन नरेंद्र मोदी उस दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है। ब्रिटेन, रूस, स्पेन, जर्मनी, तुर्की आदि देशों ने पिछले कुछ वर्षों में यही काम किया है। इस कारण हमें अपनी ताकत बढ़ानी होगी। जब आप अपनी ताकत के बारे में आश्वस्त होते हैं, तो सामने वाले व्यक्ति से आंखों में आंखें डाल कर बात करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मीडिया ने मोदी से सवाल पूछा था, “मोदी जी, आपकी विदेश नीति क्या होगी?” उन्हें लगा कि चूंकि मोदी के पास केंद्र सरकार का कोई अनुभव नहीं है, इसलिए वे भ्रमित करने वाले जवाब देंगे। मोदी ने जवाब दिया, हम दुनिया से बात करते समय न आंखें झुकाएंगे, न उठाएंगे, हम दुनिया से आंख मिलाकर बात करेंगे। प्रधान मंत्री बनने के बाद क्या करना है, इसकी स्पष्ट तस्वीर मोदी के पास थी। प्रधान मंत्री पद की शपथ लेते समय मोदी ने संदेश दिया ‘पड़ोसी प्रथम’। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा भूटान में की। किसी भी पूर्व प्रधान मंत्री ने भूटान का दौरा नहीं किया था। भूटान एक छोटा सा देश है, जिसके एक ओर चीन और एक ओर भारत है। इस देश में विशाल जल संसाधन हैं। मोदी ने वहां के राष्ट्राध्यक्ष के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और बिजली उत्पादन परियोजनाएं शुरू कीं। यह बिजली अब भारत में आती है। पड़ोसी देशों को अपने निकट बनाए रखना चाहिए, यह मोदी की कार्य प्रणाली और रणनीति का हिस्सा था। यही सिलसिला भारत के पड़ोस के अन्य देशों से चलता रहा है।
मोदी कहते हैं कि 21वीं सदी एशिया की है। इसके लिए इन सभी देशों से मित्रता की जानी चाहिए, व्यापारिक संबंध बढ़ाए जाने चाहिए, सांस्कृतिक आदान-प्रदान जारी रखा जाना चाहिए। प्राचीन काल से ही भारत के दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी देशों के साथ सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं। यहां के भारतीय व्यापारी अनेक देशों में गए। इन सभी देशों का भारत के साथ सांस्कृतिक सम्बंध है। दुर्भाग्य से, पिछले प्रधान मंत्रियों में से किसी ने भी इस सांस्कृतिक भूमिका के माध्यम से इन देशों के साथ सम्बंध नहीं बनाए और पोषित भी नहीं किए। हिंदू राष्ट्र का मतलब है कि सारी मानव जाति एक दूसरे से जुड़ी हुई है और इसमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारतीय विचार है। बेशक, यह एक ऐसा व्यापक विचार है जिसे नरेंद्र मोदी ने व्यापक अर्थों में प्रस्तुत किया है।
अनेक महापुरुषों का सपना था कि भारत विश्वगुरु के पद पर विराजमान हो। शक्ति दो प्रकार की होती है। विचार शक्ति और सामरिक शक्ति, हमारी विचार शक्ति अपार है। यह तो हमें हमारी ऋषि-मुनियों की परंपरा से मिली है परंतु अब हमें सामरिक शक्ति अर्जित करनी होगी। विश्वगुरु पद पाने के लिए अर्थशास्त्र की भाषा में कहें तो देश का आर्थिक विकास भी तेज और व्यापक होना चाहिए। आर्थिक विकास के साथ-साथ हमें रक्षा की दृष्टि से अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद भी विकसित करना होगा। भारत में उद्योगों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों में आर्थिक समृद्धि निर्माण होनी चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए देश के महामार्ग प्रत्येक राज्य, तहसील तक जुड़े और समृद्ध होने चाहिए। देश के हर राज्यों के प्रमुख शहरों में एयरपोर्ट की संख्या बढ़ानी चाहिए। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर गत 10 सालों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अत्यंत तेज गति से विकास कार्य हो रहा है। जिसका प्रभाव देश के प्रत्येक राज्य और शहर में महसूस हो रहा है।
मोदी सम्मान, संचार, समृद्धि, सुरक्षा, संस्कृति और सभ्यता जैसे शब्दों का अपने संबोधन में निरंतर उपयोग करते हैं। नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाए गए ये पांच शब्द सिर्फ शब्दों के तौर पर नहीं कहे जाते, बल्कि हर शब्द के पीछे भारतीयता है। वैश्विक राजनीति करते समय मोदी के शब्दों में कहें तो आंख से आंख मिलाकर बात करनी होगी। याचक बनकर कोई समान स्तर का मोल-तोल नहीं करता है। पिछले दस सालों में मोदी ने याचिकाकर्ता की तरह भूमिका नहीं निभाई। विदेश के साथ व्यापार समझौते के मामले में यह विनिमय होता है, आप भारत में निवेश करें ‘मेक इन इंडिया’ हमारी नीति है। आपके द्वारा लगाई गई पूंजी पर आपको रिटर्न मिलेगा। सार्थक संवाद, प्रभावी संवाद और मैत्रीपूर्ण संवाद मोदी के प्रभावी गुण हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी ने कभी भी अमेरिका को महाशक्ति के दबाव के रूप महसूस नहीं किया और अपने भारत को पिछड़े देश के रूप में प्रस्तुत नहीं किया है। पूरी दुनिया ने मोदी के इस ‘एटीट्यूड’ पर ध्यान दिया है। यही मोदी की गारंटी है जो सभी की आंखों में आंखें मिलाकर बात करती है और भारतीयों के सम्मान को बढ़ाती है।
छोटे देश अगर बड़े देशों की सीमा पर हों तो उनके मन में सुरक्षा का डर हमेशा बना रहता है। नेपाल, भूटान और बर्मा चीन से डरते हैं, ऐसे सभी देशों को भय से मुक्त करने की जरूरत है। भारत को निडर बनने के लिए सेना और हथियारों के मामले में बहुत मजबूत होने की जरूरत है। नरेंद्र मोदी ने गत 10 सालों में यही किया है। भारत को सभी छोटे पड़ोसी देशों को शरण देने वाला देश बनना है। जब मोदी सुरक्षा का विषय उठाते हैं तो उनका आशय यही होता है। हम तो ताकतवर बनना चाहते हैं, लेकिन दूसरे पर हमला करने के लिए नहीं, बल्कि दूसरे को हमले से बचाने के लिए उनके मन में सुरक्षा पैदा करने के लिए। यह भारत के पड़ोसी देशों को मिली मोदी की गारंटी है।
‘संस्कृति और सभ्यता’ ये दोनों शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। संस्कृति और सभ्यता को शक्ति का आधार मिलना आवश्यक है और आज के वैश्विक परिदृश्य में शक्ति का मतलब केवल सैन्य शक्ति होना काफी नहीं है बल्कि आर्थिक शक्ति होना भी उतना ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। जब तक आर्थिक समृद्धि न हो, देश में शक्ति नहीं आती। इसलिए मोदी की नीति का मुख्य सूत्र देश का आर्थिक विकास है। विदेश नीति और आर्थिक नीति को एक दूसरे का पूरक बनना होगा। मोदी ऐसे प्रयास बहुत ईमानदारी से करते दिख रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य आपसी विश्वास और सहयोग के साथ-साथ राजनीति, व्यापार, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, शिक्षा, ऊर्जा, संचार, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र में विकास लाना है। उपरोक्त सभी क्षेत्रों में मोदी के प्रयासों से गत 10 सालों में आमूलचूल परिवर्तन देश की जनता को महसूस हो रहा है।
भारत में अमीर-गरीब, जाति जातियों में जो अंतर है, उसे मिटाने हेतु और सबको राष्ट्र के विकास में सम्मिलित करने के उद्देश्य से उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया और लागू किया।
भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों को दुनिया तक ले जाना है। मोदी ये काम अपने तरीके से करते हैं। जब मोदी दूसरे देशों में जाते हैं, तो वे सिर्फ हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करते, वे सर्वसमावेशी हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं। अबू धाबी के राजकुमार ने हिंदू मंदिर बनाने के लिए जमीन दी। ऐसा किसी भी अरब देश में संभव नहीं है। लेकिन यहां ‘मोदी है तो मुमकिन है’ कहना आवश्यक है। वे ऐसा कैसे कर सके? 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधान मंत्री बने, नरेंद्र मोदी की पहचान क्या है? वे किस विचारधारा से प्रभावित हैं? इसे समझे बिना उनकी राष्ट्र विषयक नीति को समझना मुश्किल है। नरेंद्र मोदी रा. स्व. संघ के स्वयंसेवक हैं और उन्होंने प्रचारक के रूप में दशकों कार्य किया है। 1987 में प्रचारक रहते हुए ही उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में भेजा गया। प्रधान मंत्री के रूप में सकारात्मक कार्य करते हुए नरेंद्र मोदी ने भारत सहित संपूर्ण विश्व को एहसास कराया कि संघ शाखा और प्रचारक जीवन की ताकत क्या होती है?
भारत से दूरियां रखने वाले चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में नरेंद्र मोदी की कार्य पद्धति के तारीफों के पुल बांधे हुए हैं। भारत मोदी की अगुवाई में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को अहम बताते हुए ग्लोबल टाइम्स अपने आलेख में आगे लिखता है, भारत के आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक और विदेश नीति में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। भारत का दुनिया में कद बढ़ रहा है। भारत एक ताकतवर देश के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत रणनीति के रूप में भरोसे से भरा हुआ है। भारत से स्पर्धात्मक शत्रुता रखने वाले चीन द्वारा इस प्रकार से नरेंद्र मोदी के कार्य पद्धति पर विशेष टिप्पणी करना यह मोदी के नेतृत्व में भारत के बढ़ते कदम को स्पष्ट करने वाली बात है, जो वैश्विक स्तर पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की गारंटी को प्रमाणित करता है।
मोदी सिर्फ शब्द बोलते नहीं, बल्कि बोले गए शब्दों पर अमल भी करते हैं। मोदी ऐसे प्रधान मंत्री हैं जो भारतीय पहचान को प्रभावशाली ढंग से प्रकट करते हैं। वे विश्व नेताओं को अपनी भगवद्गीता उपहार स्वरूप देने में संकोच नहीं करते हैं। उन्हें मंदिर जाकर पूजा करने में कोई परेशानी महसूस नहीं होती। वे गंगा की आरती में लीन हो जाते हैं। नरेन्द्र मोदी करोड़ों भारतीयों की सोई हुई आत्मा को जागृत करते हैं। उनका यह व्यवहार, उनके प्रति भारतीय जनमानस में सांस्कृतिक सम्मान की गारंटी निर्माण करता है। मोदी का जनसमुदाय को संबोधित करने का आत्मीय तरीका है, “मेरे प्यारे देशवासियों, भाइयों और बहनों”। इसके पूर्व कोई प्रधान मंत्री जनता को भाई बहन कहकर संबोधित नहीं करते थे। मोदी एक संबोधन से लाखों का दिल जीत लेते हैं। इससे अपनत्व की गारंटी निर्माण हो जाती है।
नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिशें जारी रखीं, लेकिन पाकिस्तानी सेना ऐसा नहीं चाहती थी। इसलिए पाकिस्तान के आतंकियों ने पहले पठानकोट आर्मी बेस और फिर उरी पर आतंकी हमले किए। पुलवामा पर भीषण हमला हुआ। इसमें हमारे वीर जवान शहीद हो गए। भारत की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक हुई, इसमें सैकड़ों पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी मारे गए। भारत ने पाकिस्तानी आतंकियों को अपनी ताकत दिखाई। मोदी ने यह सही समय पर किया। पुलवामा हमले के बाद अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने अपनी कविता में भारतीय जनता को गारंटी दी थी कि ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।’ ये कविता मोदी गारंटी का प्रमाण थी। पुलवामा हमले के बाद, मोदी ने बालाकोट पर अपने जांबाज सैनिकों द्वारा हमला करवाकर लगभग 300 आतंकियों को मार दिया। भारत की सुरक्षा पर कोई हमला करेगा तो भारत जवाबी कार्रवाई करेगा। मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि रोने-पीटने के दिन अब खत्म हो गए। इससे विश्व के सामने नरेंद्र मोदी की छवि एक मजबूत नेता की बन गई है। इसी कारण रूस के राष्ट्रपति पुतिन कहते हैं कि मोदी को डराना संभव नहीं।
दुनिया आज कई संकटों से गुजर रही है। युद्ध, असुरक्षा, भुखमरी, गरीबी, उचित शिक्षा का अभाव, युद्ध के कारण पलायन आदि अनेक समस्या मानव जाति के सामने हैं। इन सबका जवाब भारतीय सनातन संस्कृति में निहित है। अब समय है उन मूल्यों को दुनिया को देने का। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पूरी ताकत से यह काम कर रहे हैं और दुनिया इसे स्वीकार कर रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले कुछ समय में वह अपनी जन्मभूमि भारत को विश्वगुरु भारत के रूप में प्रस्तुत करेंगे। भारतीयों की इस खोज का नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी की गारंटी सिर्फ चुनाव को लेकर निश्चित नहीं है तो यह गारंटी भारत के प्रत्येक नागरिक के साथ विश्व के प्रत्येक नागरिक को विश्वास देने वाली गारंटी है। यह बात नरेंद्र मोदी के व्यवहार से और उन्हें विश्व में मिल रहे समर्थन से महसूस हो रही है।
विश्व नेताओं का सर्वेक्षण हर साल किया जाता है। राष्ट्राध्यक्षों की वैश्विक नेतृत्व रैंकिंग में नरेंद्र मोदी हमेशा शीर्ष पर रहे हैं। विश्व रैंकिंग में मोदी की गिनती विश्व नेता के रूप में की जाती है। भारत विश्वगुरु पद की ओर अग्रसर हो चुका है। यह राह कठिन है और विश्वगुरु के पद तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा। भारत की जनता मोदी की अपार उपलब्धियों को देखकर यह बयान दे रही है कि भविष्य काल का समय मोदी के नेतृत्व में होना चाहिए, तो 2024 के चुनाव में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाकर उन्हें सुरक्षित जीवन का उपहार दिया है। कश्मीर के लाल चौक पर 31 दिसंबर का जश्न मना रहे स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों को देख कर पूरा देश कश्मीर में सकारात्मक परिवर्तन को महसूस कर रहा है। 370 कलम पर कानून की प्रक्रिया के माध्यम से सफलतापूर्वक व्यवस्था लाने वाले मोदी सरकार को भारतीय जनता सलाम कर रही है। जनता को मोदी की गारंटी पर भरोसा है इसीलिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तीन राज्यों में जीत हासिल हुई और बीजेपी सत्ता में आई।
चाहे नए साल में शुरू होने वाली राहुल गांधी की न्याय यात्रा हो या नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल का बीजेपी विरोधी मोर्चा हो। साथ ही, इंडिया नाम का नाराज और अस्थिर राजनीतिक विपक्षी दलों का संगठन हो, जो अभी तक किसी भी स्थिर विचार पर नहीं आया है। राम मंदिर पूरे देश में एक खुशी का माहौल बना रहा है। जम्मू और कश्मीर, लद्दाख का विभाजन किया गया। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पारित किया गया। दिल्ली में एक नया भव्य संसद भवन बनाया गया। जी-20 के सफल आयोजन से दुनिया में भारत का मान बढ़ा। देश के 80 करोड़ गरीबों को अगले पांच साल तक मुफ्त राशन की व्यवस्था, केंद्र ने गरीबों की झुग्गियों में उज्ज्वला गैस पहुंचाई, प्रधान मंत्री निवास योजना से चार करोड़ लोगों को उनके हक की छत मिली। नरेंद्र मोदी के सकारात्मक एवं प्रभावशाली विकास कार्यों के कारण विपक्षी पार्टियों के बेजान आंदोलनों का भारतीय जनमानस पर कोई असर नहीं हो रहा है। उनके मुताबिक, मोदी की गारंटी एक सुरक्षित शब्द है और इसका असर 2024 के चुनाव में बहुत प्रभावी ढंग से पड़ना तय है। इस बार देश के जागृत मतदाता माई वोट फॉर माय नेशन के मूड़ में है, ऐसा माहौल देश में महसूस किया जा रहा है। मोदी की गारंटी के साथ देश की जनता की गारंटी भी मेल खाने वाली है। भारत की जनता अपने वोट के माध्यम से देश का भविष्य उज्ज्वल करने वाली है। कुल मिलाकर भारत का भविष्य उज्ज्वल होने वाला है