हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
शौर्य की प्रतिमूर्ति रानी दुर्गावती

शौर्य की प्रतिमूर्ति रानी दुर्गावती

by हिंदी विवेक
in अवांतर, ट्रेंडींग, महिला, महिला विशेषांक मार्च २०२४, विशेष, संस्कृति
0

इतिहास के पन्नों में अलग से रेखांकित है महानतम वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का नाम। इस साल उनका शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा हैं। जिन्होंने देश की रक्षा और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दीं। राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी और मुगलों से युद्ध करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत मां के वीर सपूतों के साथ वीरांगनाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। स्वतंत्रता की कहानी जिनके खून से लिखी गई उसमें एक नाम गढ़मंडला की वीर तेजस्वी रानी दुर्गावती का भी है। अदम्य साहस एवं वीरता पूर्वक 16 वर्ष शासन करते हुए रानी दुर्गावती ने 52 युद्धों में से 51 युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को प्रसिद्ध राजपूत चंदेल सम्राट कीरत राय के परिवार में दुर्गाष्टमी के दिन हुआ, इसलिए इनका नाम दुर्गावती रखा गया। इनके नाम की तरह ही इनका तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता को समाज ने रेखांकित किया।

भारत में शूरवीर, बुद्धिमान और साहसी कई वीरांगनाएं पैदा हुईं जिनके नाम से ही मुगल सल्तनत कांपने लगती थी। भारत की नारियों में अथाह सामर्थ्य है, अथाह शक्ति है। प्रत्येक नारी भारतीय संस्कृति के बताए हुए मार्ग के अनुसार अपनी छुपी हुई शक्ति को जाग्रत करके अवश्य महान बन सकती है।

रानी दुर्गावती को बचपन से ही तीरंदाजी, तलवारबाजी का बहुत शौक था। उनकी रुचि विशेष रूप से शेर, चीते आदि का शिकार करने में थी। उन्होंने बंदूक चलाने का भी अच्छा खासा अभ्यास किया था। रानी ने बचपन में घुड़सवारी भी सीखी थी। उनकी रुचि वीरतापूर्ण और साहस से भरी कहानी सुनने और पढ़ने में भी थी। वे अपने पिता के साथ ही अधिक समय रहतीं और उनके साथ शिकार पर भी जातीं। उन्होंने धीरे-धीरे अपने पिता से राज्य चलान के कौशल भी सीख लिए थे और बाद में वे अपने पिता के काम में हाथ भी बटांने लगीं। रानी सर्वगुण सम्पन्न थीं इसलिए उनके पिता को भी अपनी पुत्री पर गर्व था।

जब भी भारतीय महान वीरांगना नारियों की वीरगाथा की चर्चा होती है, तो सबसे पहला नाम वीरांगना रानी दुर्गावती का आता है। रानी दुर्गावती वीर और साहसी महिला थीं, जो राज्य और प्रजा की रक्षा के लिए अंग्रेजों से युद्ध करते-करते वीरगति को प्राप्त हो गईं। उन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य संभाला बल्कि राज्य की रक्षा के लिए अनेक युद्ध भी लड़े। संग्राम शाह के उत्तराधिकारियों में दलपति शाह ने सात वर्ष शांति- पूर्वक शासन किया। उनके बाद वीरांगना रानी दुर्गावती ने अदम्य साहस एवं वीरतापूर्वक 16 वर्ष (1540-1564) तक शासन किया।

पति की मृत्यु के पश्चात भी रानी दुर्गावती ने अपने राज्य को बहुत ही अच्छे से संभाला था। इतना ही नहीं रानी दुर्गावती ने मुगल शासक अकबर के आगे कभी भी घुटने नहीं टेके थे। इस वीर महिला योद्धा ने तीन बार मुगल सेना को हराया था और अपने अंतिम समय में अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने के स्थान पर उन्होंने अपनी कटार से आत्महत्या कर ली थी। उनके इस वीर बलिदान के कारण ही हम उनका इतना सम्मान करते हैं।

रानी दुर्गावती अपने पति की मृत्यु के बाद गोंडवाना राज्य की उत्तराधिकारी बनीं और उन्होंने लगभग 15 साल तक गोंडवाना में शासन किया।

रानी दुर्गावती के गोंडवाना राज्य का शासक बनने के बाद उन्होंने अपनी राजधानी को स्थानांतरित कर दिया। सिंगौरगढ़ किला वर्तमान में दमोह जिले के पास स्थित सिंग्रामपुर में है, व चैरागढ़ किला गाडरवारा वर्तमान में नरसिंहपुर जिले के पास स्थित है। उन्होंने अपने राज्य को पहाड़ियों, जंगलों और नालों के बीच स्थित कर इसे एक सुरक्षित स्थान बना लिया। वे प्रशिक्षण की संरक्षक थीं और एक बड़ी एवं सुसज्जित सेना को बनाने में सफल रहीं। उनके शासन में राज्य की सूरत बदल गई। समाज के लिए भी उन्होंने अपने राज्य में कई मंदिरों, भवनों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। पाठशालाओं के लिए राजकीय कोष से धन दिया।

शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद 1556 में सुजात खान ने मालवा को अपने अधीन कर लिया। उसके बाद सुजात खान ने रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला किया यह सोच कर कि वह एक महिला है, उसका राज्य आसानी से छीना जा सकता है। उसका उल्टा हुआ रानी दुर्गावती युद्ध जीत गईं और युद्ध जितने के बाद उन्हें देशवासियों द्वारा सम्मानित किया गया और उनकी लोकप्रियता में वृद्धि होती गई। रानी दुर्गावती का राज्य बहुत ही संपन्न था। यहां तक कि उनके राज्य की प्रजा लगान की पूर्ति स्वर्ण मुद्राओं द्वारा करने लगी। इस तरह उनका शासनकाल बहुत ही अच्छी तरह से चल रहा था।

वर्तमान में मंडला और जबलपुर के बीच स्थित बरेला में उनकी समाधि बनाई गई।

रानी दुर्गावती कीर्ति स्तम्भ, रानी दुर्गावती पर डाकचित्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, रानी दुर्गावती अभयारण्य, रानी दुर्गावती सहायता योजना, रानी दुर्गावती संग्रहालय एवं मेमोरियल, रानी दुर्गावती महिला पुलिस बटालियन की कीर्ति आज बुंदेलखण्ड से होते हुए सम्पूर्ण देश को प्रकाशित कर रही है।

चन्देलों की बेटी थी,

गौंडवाने की रानी थी,

चण्डी थी रणचण्डी थी,

वह दुर्गावती भवानी थी।

                                                                                                                                                                                       – जया  केतकी शर्मा 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
साहित्यकार राजाश्रित नहीं, राजपुरस्कृत होना चाहिए – डॉ. शीतला प्रसाद दुबे

साहित्यकार राजाश्रित नहीं, राजपुरस्कृत होना चाहिए - डॉ. शीतला प्रसाद दुबे

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0