राजनीति में मजबूत दावेदारी

वर्तमान मोदी सरकार ने महिलाओं को विकास के पंख दिए तो महिलाओं ने भी सपनों की ऊंची उड़ान भरनी शुरु की। राजनीति की पुरपेंच गलियों से होते हुए वो राष्ट्रपति और राज्यपाल के पद पर स्थापित हैं। वह क्षेत्र जहां अब तक केवल पुुरुषों का वर्चस्व था, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने स्वयं को स्थापित किया है।

प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘कामायनी’ में लिखा है –

‘नारी! तुम केवल श्रद्धा हो,

विश्वास-रजत-नग पगतल में।

पीयूष-स्रोत-सी बहा करो,

जीवन के सुंदर समतल में।

पूरे काव्यकृत को पढ़ा जाए तो यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं है कि कामायनी में श्रद्धा मनु की प्रेरणा है। वह मनु को जीवन के अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाती है। कई विचलनों में उसका संबल बनती है। जरा-सा कदम लड़खड़ाया तो अथाह बरगद सी मजबूत दिखती है श्रद्धा। मनु जितना कमजोर, श्रद्धा उतनी की सशक्त है। मनु में जितना विचलन, श्रद्धा में उतना ही स्थायित्व। नारी के प्रति जयशंकर प्रसाद का दृष्टिकोण कामायनी की श्रद्धा में ही दिखाई देता है। समग्रता में कहें तो कह सकते हैं कि लेखक ने श्रद्धा का चरित्र चित्रण ऐसी नारी के रूप में किया है जो पुरूष की अनुगामिनी या, सहगामिनी ही नहीं बल्कि सहगामिनी से बढ़ कर नर की जीवन यात्रा की सारथी है।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में केवल एक कामायनी ही नहीं, कई पौराणिक ग्रंथ भी महिलाओं के सामर्थ्य का पूरा बखान करते हैं। हालांकि, इसके साथ यह भी सच है कि बीते कुछ दशकों से लोगों की सोच बदली और महिलाओं को दोयम दर्जे का माना जाने लगा। कई सामाजिक क्षेत्रों में स्वीकार्यता और स्थान देने में पुरुष समाज कोताही करने लगा। हालांकि, समय कभी एक-सा नहीं रहता है। इसलिए 20वीं सदी में जिन महिलाओं को भारतीय समाज और राजनीतिक पटल पर आने में बेहद संघर्ष करना पड़ा, उनके बूते ही आज हम जैसी महिलाओं के लिए नया पथ प्रशस्त हो रहा है।

राजमाता विजयराजे सिंधिया, सुमित्रा महाजन, सुषमा स्वराज, ममता बैनर्जी, जयललिता सरीखीं नारियों ने अपने दम पर राजनीति को एक नए क्षेत्र में परिणित किया। इनके साथ ही कई अन्य महिलाओं ने राजनीति में अपना नाम कमाया। न वे अपने पति के बल पर आगे नहीं आईं और न ही दया की पात्र बनीं।

कुछ नामों को लेकर यदि प्रतीक के रूप में चर्चा करें, तो भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है। आनंदीबाई गोपालराव जोशी (1865-1887) संयुक्त राज्य अमेरिका में पश्चिमी चिकित्सा में दो साल की डिग्री के साथ स्नातक होने वाली पहली महिला चिकित्सक रही है। सरोजिनी नायडू ने साहित्य जगत में अपनी छाप छोड़ी। हरियाणा की संतोष यादव ने दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। बॉक्सर एमसी मैरी कॉम एक जाना-पहचाना नाम है। हाल के वर्षों में, हमने कई महिलाओं को भारत में शीर्ष पदों पर और बड़े संस्थानों का प्रबंधन करते हुए भी देखा है। अरुंधति भट्टाचार्य, एसबीआई की पहली महिला अध्यक्ष, अलका मित्तल, ओएनजीसी की पहली महिला सीएमडी, सोमा मंडल, सेल अध्यक्ष, कुछ नामचीन महिलाएं हैं, जिन्होनें अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

वर्तमान मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में 11 महिला मंत्री बनाकर तथा नारी शक्ति वंदन अधिनियम के द्वारा आरक्षण का प्रावधान कर महिलाओं को न्योता दिया है कि 33 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठाएं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के कार्यकाल में महिलाओं के लिए विविध योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जो महिलाओं की समाज में भागीदारी, आत्मनिर्भरता और उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखते हैं। अपने 10 साल के शासनकाल में विकास पर जोर देने के साथ-साथ महिला उत्थान पर भी बहुत ज्यादा ध्यान दिया। इस बीच मोदी सरकार ने महिलाओं को लेकर बनाई गई योजनाओं का नाम भी ऐसे रखा, जो सीधे महिलाओं के दिल को छू रही हैं। राजनीति में अधिक महिलाओं को शामिल करने के लिए, महिलाओं को आरक्षण दिया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने में सक्रिय भागीदारी कर सकें। इसके अलावा सरकार ने महिलाओं को पंचायत स्तर पर बुनियादी शिक्षा और प्रशासनिक कौशलों से जुड़े प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विविध योजनाओं की शुरुआत की है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं। मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक 8 महिला राज्यपालों और उप-राज्यपालों को नियुक्त किया है। इनमें से 5 एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। मोदी राज में मृदुला सिन्हा, किरण बेदी, आनंदीबेन पटेल, तमिलसाई सुंदरराजन, बेबी रानी मौर्य, अनुसुइया उइके और नजमा हेपतुल्ला को राज्यपाल बनाया गया। आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनी किसी भी सरकार में इतनी संख्या में महिलाओं को राज्यपाल नहीं बनाया गया था।

अब महिलाओं ने पूरी उर्जा के साथ उद्यमिता के क्षेत्र में पांव जमाए हैं। बैन एंड कंपनी और गूगल के अनुसार महिला उद्यमी 2030 तक लगभग 150-170 मिलियन नौकरियां देंगी। एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार 2018-21 तक स्टार्टअप्स द्वारा लगभग 5.9 लाख नौकरियां दी गईं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से शुरू से ही उद्यमिता के बीज बोने का सार्थक प्रयास किया जा चुका है।

जब हम बीते 10 वर्षों के केंद्र सरकार के कामकाज पर नजर डालते हैं, तो यह कहने में गर्व होता है कि महिला सशक्तिकरण केवल नारा नहीं है, बल्कि यह एक वास्तविकता है जिसे समझना और कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार ने भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति समझ और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और पहल की हैं। मोदी सरकार ने 10 वर्षों में न सिर्फ महिला सशक्तिकरण के लिए काम किया बल्कि हमारी पौराणिक संस्कृति के अनुसार महिलाओं को सम्मान भी दिया है। महिला सशक्तिकरण हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत रही है।

                                                                                                                                                                                          प्रियल भारद्वाज 

Leave a Reply