भारत में आए दिन सड़क दुर्घटना में लोगों की मौत होती रहती है बावजूद इसके सड़क सुरक्षा के विषय को गंभीरता से नहीं लिया जाता। ट्रॉफिक पुलिस वाहन चालकों से वसूली में जितना अधिक दिलचस्पी लेती है, यदि उतना ही यातायात नियमों का पालन कराने में भी लेने लगे तो दुर्घटनाओं में भारी कमी देखने को मिल सकती है।
भारतीय परिवहन में थल मार्ग विश्व का दूसरा सबसे सघन मार्ग है। वर्तमान में 23 एक्सप्रेस वे हैं तथा सत्रह निर्माणाधीन हैं। इन्हीं एक्सप्रेस वे में एक और नाम जुड़ गया मुंबई नागपुर एक्सप्रेसवे, जिसका आधिकारिक नाम हिंदू ह्रदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसम्बर 2018 में इसकी नींव रखी थी और इसका उद्घाटन भी मोदी ने दिसम्बर 2022 में किया।
लगभग 10 जिलों और 7 पर्यटक स्थलों से होकर गुजरने वाली समृद्धि मार्ग के अनेक सकारात्मक पक्ष है लेकिन उद्घाटन से अब तक लगभग छोटे-बड़े मिलाकर 500 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है। इसमें लगभग 40 घातक दुर्घटना थी। अब तक नब्बे लोगों की जान गई और लगभग 700 लोग घायल हैं। समृद्धि एक्सप्रेसवे पर हो रही दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इसके पीछे के वजह को जानना और समझना आवश्यक है।
हमारे देश में कुल 11% मृत्यु होती है, जिसमें 6% सड़क हादसे में होती है। भारत में यह आंकड़ा 4 लाख 80 हजार है। देश में हर वर्ष लगभग डेढ़ लाख लोग सड़क हादसे का शिकार बन जाते है और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के मुताबिक देश में सड़क दुर्घटना में रोजाना 415 लोगों की मौतें होती है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट, रोड एक्सिडेंट इन इंडिया 2021 में सामने आई है। रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए है उसके अनुसार 2021 में 4,12,432 हादसे हुए थे। इन हादसों में करीब 153972 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 384448 लोग किसी ना किसी रूप में घायल हुए थे।
बढ़ती सड़क दुर्घटना के कारण – कानून प्रवर्तन की समस्या
केंद्र सरकार ने बीते वर्ष मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर सड़क दुर्घटना को कम करने के उद्देश्य से इसके प्रवधानों को बेहद कठोर करने का प्रयास किया था, साथ ही वाहन सुरक्षा के लिए नए इंजीनियरिंग मानक लागू किए गए थे किंतु इसके बावजूद भी सड़क सुरक्षा का जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है। यह इस ओर संकेत करता है कि भारत के कानून प्रवर्तन तंत्र में कहीं न कहीं कमी विद्यमान है। कानून प्रवर्तन में राज्य सरकार इस ओर उदासीन बनी हुई है।
यातायात नियमों का उल्लंघन, आंकड़ों के मुताबिक देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76% दुर्घटनाएं ओवर स्पीडिंग और गलत साइड पर गाड़ी चलाने जैसे यातायात नियमों का उल्लंघन के कारण होती है।
ट्रैफिक इंजीनियरिंग, कुल सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, किंतु इसके बावजूद सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन के दौरान इस विषय पर ध्यान नही दिया जाता। भारत में सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन केवल सड़कों को विस्तृत करने तक ही सीमित है, जिसके कारण कई बार सड़कों और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं। ब्लैक स्पॉट वे स्थान है जहां दुर्घटना की सम्भावना सबसे अधिक होती है।
आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाओं का अभाव
देश के अधिकांश राजमार्गों में दुर्घटना स्थल पर प्राथमिक चिकित्सा और पीड़ित को अस्पताल तक ले जाने के लिए परिवहन की अव्यवस्था देखी जाती है, जिसके कारण दुर्घटना में मरने वालों की संख्या अधिक बढ़ जाती है।
निगरानी की कमी, निगरानी के बुनियादी ढ़ांचे की अनुपस्थिति के कारण हिट एंड रन से संबंधित अधिकांश मामलों में जांच ही संभव नही हो पाता है। आंकड़े बताते है कि दोपहिया वाहनों के 73% लोग हेलमेट नही होने के कारण और चारपहिया वाहन में सीट बेल्ट नही पहनने के कारण दुर्घटना में भयंकर क्षति का शिकार होते हैं।
गुणवत्तापूर्ण ड्राइविंग स्कूलों की कमी
वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली 80 प्रतिशत मौतों के लिए वाहन का चालक प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार था। यह आंकड़ा जाहिर तौर पर देश में अच्छे ड्राइविंग स्कूलों की कमी को दर्शाता है।
महाराष्ट्र राजमार्ग पुलिस के अधिकारी ने हादसों के पीछे का एक कारण सड़क सम्मोहन बताया। सड़क सम्मोहन एक ऐसी मानसिक अवस्था है, जिसमें चालक सड़क की एकरसता से सम्मोहित होकर बाहरी घटनाक्रम से प्रभावित हुए बिना काफी दूरी तक अत्यधिक तेज वाहन चलाता है। अगर सरल भाषा में समझे तो सड़क सम्मोहन यानी अच्छी सड़क देखकर ध्यान खो जाना।
एक अधिकारी ने बताया है कि यह एक दिमागी प्रकृति है। ड्राइवर जब लंबे समय तक विराम नही करता और लगातार ड्राइविंग करता है तो उसे ऐसा महसूस होता है जिसे हाईवे हिपरोसिस कहते है। ड्राइवर्स खासकर खाली हाईवे पर हाईवे हिप्रोसिस के शिकार होते है। अभी हाईवे नया होने के कारण रोड किनारे ना कोई होटल ढ़ाबा है और ना कोई होर्डिंग और न ही बिलबोर्ड जो ड्राइवर का दिमाग डिस्ट्रैक करे। कई बार वाहन चलाते वक्त एकांत में माइंड इतना शांत हो जाता है कि वो आसानी से खुले आंखों से वाहन चलाते वक्त सो जाता है और दुर्घटना का शिकार हो जाता है।
हालांकि स्टेट हाईवे पुलिस लगातार दुर्घटना के कारण को दूर करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए महामार्ग पर फ्लैग और रिफ्लेक्टर लगाए जा रहे हैं। ओवर स्पीड को कंट्रोल किया जा रहा है। इसके अलावा आवश्यकता है जगह-जगह चेक पोस्ट बनाए जाने की जो वाहनों की गुणवत्ता चेक करे, जिससे बिना गुणवत्ता के वाहन को जब्त कर अनहोनी होने से रोका जाए क्योंकि समृद्धि महामार्ग पर टायर फटने से भी कई वाहन दुर्घटना का शिकार हुए है। समृद्धि महामार्ग पर दुर्घटना पश्चात फर्स्ट एड का इंतजाम टोल प्लाजा और चेक पोस्ट दोनों जगह होना चाहिए, जिससे घायल को तुरंत रिलिफ मिल सके।
अनुपमा कुमारी