हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
अंतरराष्ट्रीय मीडिया के झूठे आख्यान

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के झूठे आख्यान

by रवींद्र सिंह भड़वाल
in जुलाई -२०२४, ट्रेंडींग, राजनीति, विषय
0

भारत के लोकसभा 2024 का चुनाव केवल पक्ष-प्रतिपक्ष तक ही सीमित नहीं था बल्कि विश्व की प्रभावशाली अदृश्य शक्तियों का इकोसिस्टम लगातार इसमें हस्तक्षेप करता रहा और अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत विरोधी विमर्शों को स्थापित करने में लगा रहा। इस सूचना युद्ध से निपटने हेतु भारत को भी अपना अंतर्राष्ट्रीय मीडिया तंत्र स्थापित करना चाहिए।

भारत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने लगातार तीसरी बार सरकार बना ली है। इससे पहले 18वीं लोकसभा के लिए सम्पन्न हुए चुनावी महापर्व पर न केवल भारतवासियों बल्कि पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं। अपने हितों को साधने के उद्देश्य से देश के भीतर और बाहर कई अदृश्य शक्तियां चुनावों के दौरान लगातार सक्रिय रहीं। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह ने तो अपने एक विश्लेषण में यहां तक कहा कि यह चुनाव सत्तासीन एनडीए और विपक्ष के बीच नहीं, बल्कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए और भारत से घृणा करने वाले एक प्रभावशाली इकोसिस्टम के बीच में लड़ा जा रहा है। वैश्विक मीडिया का एक वर्ग भी इसी इकोसिस्टम का हिस्सा है। पूर्वाग्रह से ग्रसित इस अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने झूठे-भ्रामक तथ्यों के आधार पर खबरें और लेख लिखकर भारत की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का कार्य किया। तथ्यों से कहीं परे झूठे आख्यानों के आधार पर खबरें चलाई गईं। एग्जिट पोल और उसके बाद चुनावों के वास्तविक नतीजे घोषित होने के बाद भी मीडिया के इस वर्ग ने भारत विरोधी विमर्शों को आगे बढ़ाने का ही कार्य किया।

किसी मीडिया संस्थान ने पिछले 10 वर्षों से सक्रिय केंद्र की शक्तिशाली सरकार को तानाशाह बताने का प्रयास किया तो किसी ने हिंदू बनाम मुस्लिम की रिपोर्टिंग के जरिए विभाजक रेखाएं खींची। कुछ मीडिया संस्थानों ने भारत के आगामी आर्थिक विकास की यात्रा को ही संदिग्ध बनाने का प्रयास किया है, जिससे भारत का आर्थिक विकास बाधित हो। इस सारी रिपोर्टिंग का एक ही उद्देश्य है भारत के प्रति नेगेटिव परसेप्शन बनाकर भारत की छवि को धूमिल करना। इसके लिए बड़ी सावधानी और बारीकी के साथ अभियान को आगे बढ़ाया गया। भारत की परिस्थितियों को भयावह बताने के लिए असहिष्णुता, इस्लामोफोबिया, कट्टर हिंदुत्व जैसे नकारात्मक शब्दों का चुन-चुन कर प्रयोग किया गया।

भारत में लोकसभा चुनावों के दौरान विश्व की सबसे जटिल चुनावी प्रक्रिया सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इस चुनावी प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का साक्षी बनने के लिए भारत ने दुनिया भर के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। इससे भारत में सशक्त होते लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति दुनिया भर में एक सकारात्मक धारणा बनी। भारत की यह बढ़ती साख पश्चिम को रास नहीं आई। इसलिए पश्चिमी समाज ने मीडिया के माध्यम से झूठे विमर्श चलाकर भारत में एक अस्थिर सरकार का गठन करवाने का अभियान चलाया। विश्व की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया को भारत के निर्वाचन आयोग ने बड़े निष्पक्ष एवं स्वतंत्र ढंग से आयोजित करवाया। विपक्ष भी चुनाव आयोग के प्रयासों से संतुष्ट हैं, लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ने इसके प्रति अविश्वास पैदा करने के अभियान से खबरें लिखीं। वाशिंगटन पोस्ट लिखता है, भारत में 7 सप्ताह तक चले मैराथन चुनाव के समाप्त होने के साथ ही अनियमितताओं की खबरें दशकों में पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं। देश भर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों पर उनके विरोधियों द्वारा स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर मतदाताओं के मतदान में बाधा डालने या विपक्षी उम्मीदवारों को मतदान से पूरी तरह हटाने का आरोप लगाया गया है। इस खबर को पढ़कर पाठक को यही प्रतीत हुआ होगा कि भारत में चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से नहीं होते। अतः यहां लोकतांत्रिक मूल्य संकट में हैं, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।

भारत का संविधान मीडिया सहित हर भारतीय नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। मगर पश्चिमी मीडिया हमेशा से यह झूठा विमर्श चलाता रहा कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला जा रहा है। यहां असहमति के लिए कोई भी स्थान नहीं है। इसके माध्यम से मीडिया लगातार भारत सरकार के प्रति दुनिया में एक नकारात्मक परसेप्शन बनाने का प्रयास करता आ रहा है। चुनाव की कवरेज के दौरान भी पश्चिमी मीडिया ने ऐसा ही एजेंडा चलाया। द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव के बाद भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर इन नतीजों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। एक दशक पहले चुने जाने के बाद से मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा ने एक शक्तिशाली जनादेश का आनंद लिया है, जबकि विपक्ष को कमजोर और पार्टी की ताकत का सामना करने में असमर्थ माना गया है। मोदी को एक लोकप्रिय मजबूत प्रधान मंत्री के रूप में देखा जाता है और उन पर अपने कार्यकाल के दौरान बढ़ती तानाशाही और असहमति पर नकेल कसने का आरोप है। इस तरह से भारत के विरुद्व दुनिया भर में गलत सूचनाएं प्रसारित की गईं।

विदेशी मीडिया ने मतदाताओं में विभाजन पैदा करने और एनडीए नेतृत्व वाली भारत सरकार को अस्थिर करने के लिए इसे मुस्लिम विरोधी बताने का विद्वेषपूर्ण अभियान चलाया। द गार्जियन लिखता है, मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा अनियमितताओं और मुस्लिम मतदाताओं के दमन के आरोपों से प्रभावित चुनाव के बाद देश के दो बार के मजबूत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को तीसरी बार जीतने की उम्मीद है। मोदी के उदय के दौरान, उन्होंने भारत के अपने छद्म-सत्तावादी, हिंदू समर्थक दृष्टिकोण के बारे में रणनीतिक रूप से चुप रहना चुना है, लेकिन इस चुनावी मौसम में उनके बयानबाजी में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है। मुस्लिम विरोधी बयानों की ओर, जैसे कि हाल ही में एक अभियान भाषण जिसमें उन्होंने झूठा दावा किया कि उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी मुसलमानों को धन का पुनर्वितरण करेगी और मुस्लिम नागरिकों को घुसपैठिए के रूप में संदर्भित किया। इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए सीएनएन ने भी ऐसी ही रिपोर्टिंग की। मोदी के आलोचकों और विरोधियों के लिए, भारत एक वास्तविक एक-पक्षीय राज्य बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा था। आलोचकों का यह भी कहना है कि मोदी के शासन के एक दशक में धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ा है, इस्लामोफोबिया ने देश के 200 मिलियन से ज्यादा मुसलमानों को हाशिए पर धकेल दिया है और साम्प्रदायिक तनाव के लम्बे इतिहास वाले देश में धार्मिक हिंसा भड़क उठी है। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी पर बार-बार अपने समर्थकों को भड़काने के लिए इस्लामोफोबिक संदेशों का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया। उन्होंने नफरत भरे भाषण को लेकर विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने मुसलमानों, जो सदियों से भारत का हिस्सा रहे हैं, पर  घुसपैठी होने का आरोप लगाया। मगर इन अखबारों ने यह तथ्य नहीं बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी या फिर भारत सरकार जब मुसलमानों को घुसपैठिया बताती है तो वह बांग्लादेश या म्यांमार से अवैध रूप से भारत में घुसपैठ करने वाले घुसपैठियों के लिए यह शब्द प्रयोग करती है। इस प्रकार की रिपोर्टिंग के माध्यम से समाज में लगातार भेद पैदा करने के प्रयास किए गए।

चीन और भारत के बीच लम्बे समय से स्पर्धा जारी है। भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत से चीन चिंतित है। विश्व के अन्य देशों में पिछले एक दशक में भारत की चीन की अपेक्षा कहीं अधिक साख बढ़ी है। इसका भारत की आर्थिक प्रगति पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। चीन ने भारत की इस आर्थिक प्रगति को बाधित करने के लिए भारत के प्रति दुनिया भर का दृष्टिकोण बदलने का प्रयास किया। चुनावी परिणाम सामने आने के पश्चात भी चीनी मीडिया ने अपने इस अभियान को आगे बढ़ाने का एक अवसर माना। भारत में चुनावी परिणाम घोषित होने के पश्चात चीन के मीडिया संस्थान ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर तीसरी बार जीत का दावा किया। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि मोदी की चीनी विनिर्माण के साथ प्रतिस्पर्धा करने और भारत के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी की भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद सीटें नहीं मिल पाईं, इसलिए प्रधान मंत्री के लिए आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा, लेकिन राष्ट्रवाद का कार्ड खेलना सम्भव है। इस रिपोर्ट के माध्यम से चीनी मीडिया ने यह समझाने का प्रयास किया है कि भारत में अब एक कमजोर सरकार का शासन होगा। यह सरकार आर्थिक सुधार की दिशा में सक्षम नहीं होगी। इसलिए विश्व के अन्य देश भारत में निवेश या अन्य रूपों में व्यापारिक एवं आर्थिक सम्बंधों को आगे बढ़ाने के बारे में विचार ना करें। हो सकता है कि आने वाले समय में इस तरह की रिपोर्टिंग का भारत के अन्य देशों के साथ व्यापारिक सम्बंधों पर दुष्प्रभाव भी पड़े।

भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की ओर से भारत पर सूचनाओं के हमले निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। ये हमले विमर्श और धारणाओं को बदलते हुए विश्व समुदाय में भारत की छवि को धूमिल कर रहे हैं। इस संकट से निपटने के लिए भारत को अपना एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान स्थापित करने की आवश्यकता है। भारत का अपना यह मीडिया संस्थान पूरी दुनिया को भारत और यहां पर हो रही विभिन्न घटनाओं के बारे में प्रामाणिक एवं सटीक सूचनाएं देने में सक्षम होगा। वहीं, पश्चिमी मीडिया प्रायोजित सूचनाओं के युद्ध से निपटने में भी इससे सहायता मिलेगी।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #india #modi #media #world #hindu #hindivivek

रवींद्र सिंह भड़वाल

Next Post
एनडीए 3.0

एनडीए 3.0

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0