हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
जलयुक्त शिवार की अनोखी दास्तान

जलयुक्त शिवार की अनोखी दास्तान

by राजेश प्रभू सालगावकर
in अगस्त २०१८, पर्यावरण, सामाजिक
0

                                                                                                                                                                             राजेश प्रभु सालगांवकर

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ‘जलयुक्त शिवार’ की अनोखी पहल से आज तीन साल बाद राज्य का कम बारिशवाला बड़ा इलाका सही मायने में अकालमुक्त तथा टैंकरमुक्त हो रहा है। जनसहभाग से हुआ यह कार्य पथप्रदर्शक है।

महाराष्ट्र के बहुत बड़े इलाके में पिछले कुछ दशकों से अकाल की स्थिति रही है। बारिश न होना यह एक कारण है; लेकिन जल संसाधनों की सफाई तथा रखरखाव के परंपरागत कार्य को भुलाना और इस कारण इन संसाधनों की जलधारण क्षमता में भारी कमी आना यह कारण ज्यादा महत्वपूर्ण रहा है। इस परिस्थिति का दुरुपयोग अपने धंधे के लिए करने के लिए उतावली टैंकर लॉबी और इस टैंकर लॉबी से अपने स्वार्थ के कारण जुड़े राजनेताओं के चलते राज्य की जल समस्या पर कार्य करने में ही नहीं, विचार करने में भी पूर्व सरकारें विफल रहीं। इस स्थिति में सत्ता संभाले भाजपा नेता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जलयुक्त शिवार नामक अनोखी योजना की पहल की। आज तीन साल बाद इस योजना के कारण महाराष्ट्र का कम बारिशवाला बड़ा इलाका सही मायने में अकालमुक्त तथा टैंकरमुक्त हो रहा है।

महाराष्ट्र में पिछले दशक में बहुत बड़े प्रदेश में वर्षा की कमी के कारण भारी अकाल रहा है। विशेषत: सम्पूर्ण मराठवाड़ा तथा विदर्भ के बड़े प्रदेश में अकाल का प्रभाव रहा है। अकाल के चलते अनेक किसानों ने आत्महत्याएं कीं। वर्षा की कमी अकाल का एक कारण जरूर है; लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा पानी की आपूर्ति के लिए पर्याप्त नियोजन न करना भी इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। राज्य में दशकों तक शासन करनेवाली कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस के राजनीतिक नेताओं ने पश्चिम महाराष्ट्र छोड़कर राज्य के अन्य विभागों के जल नियोजन पर कभी ध्यान नहीं दिया।

राज्य में 2014 में जब फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा सरकार अस्तित्व में आई, तब अकाल पूरे जोरों पर था। मराठवाड़ा इलाके में पांच वर्ष से बारिश नहीं हुई थी। ऐसी कठिन स्थिति में मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज्य के विविध विभागों में जल आपूर्ति कराने के लिए दूरगामी नियोजन की दृष्टि से एक अनोखी पहल की, जिसका नाम था जलयुक्त शिवार। शिवार का मतलब है गांव का खेतीवाला परिसर। उन्होंने राज्य के ग्रामीण इलाके को एक मंत्र दिया, जहां बारिश होती है, वहीं उस पानी को रोको, उसे जमीन में रिसने दो, इलाके की नदियों में तालाबों में पानी का संग्रह करो, कुएं अपने-आप पानी से भर जाएंगे।

जनसहभाग से जलयुक्त शिवार योजना प्रत्यक्ष में आने लगी। गांवों के परिसर में पानी के जितने संसाधन थे- नदी, तालाब, खेत के तालाब- इन सभी जल संसाधनों को साफ करना, उनमें जमा हुई मिट्टी तथा कीचड़ को हटाना, इन जल संचयिकाओं की गहराई को बढ़ाना ऐसे महत्वपूर्ण काम जनसहभागिता के साथ शुरू हुए। परिसर के गांवों ने अपने इलाके में इन जल संसाधनों को साफ करने की पहल की। नदी तथा तालाबों से हटाया गया कीचड़ खाद के रूप में खेतों में डाला गया। जनता ने अपने खर्चे से ये काम शुरू किए। क्योंकि, जनता को यह समझाया गया कि यह जल स्थानीय संसाधन है जिसका प्रबंधन स्थानीय जनता को ही करना है। जहां पैसों की कमी थी, वहां शासन ने पूर्ति की, यंत्र उपलब्ध कराए। शासन तथा जनता की भागीदारी से छोटे-छोटे जल संसाधनों की साफसफाई, रखरखाव पूरे ज़ोरों से शुरू हुआ। फडणवीस शासन के प्रयत्न से गांव की जनता की समझ में यह बात आ गई कि पीने तथा सिंचाई के जल की आपूर्ति स्थानीय तौर पर की जा सकती है। दूर से पानी लाने की जरूरत नहीं है।

लातूर की यशोगाथा

महाराष्ट्र के दक्षिण मराठवाड़ा प्रदेश का लातूर जिला सबसे बड़ा अकालग्रस्त इलाका माना जाता है। इस इलाके में बहुत कम बारिश पिछले कुछ वर्षों में दर्ज हुई है। भूतपूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का शहर होते हुए भी लातूर में पानी की बड़ी किल्लत रही है। दूर-दूर से पानी के टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ती थी। लोगों ने बिना शासकीय मंजूरी के सैंकड़ों बोअर वेल, वह भी सैकड़ों ़फुट गहरे खोदे थे। भूजल स्तर नीचे चला जा रहा था। एक समय ऐसा आया कि महीनों तक लातूर शहर को मिरज से ट्रेन से लाकर पानी की आपूर्ति करनी पड़ी।

ऐसी स्थिति में लातूर शहर के कुछ कार्यकर्ताओं ने जलयुक्त लातूर संकल्पना पर जनसहभागिता से काम शुरू किया। लातूर के परिसर में मांजरा नामक नदी है। उस पर बांध भी है। लेकिन यह नदी तथा बांध मिट्टी तथा कीचड़ से भर गए थे, जिससे जलसंचयन में कमी आई थी। रा.स्व. संघ के कार्यकर्ता डॉ. कुकडे जी के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई, जिसने मांजरा नदी की सफाई की पहल की। इस समिति में लातूर के सर्वदलीय कार्यकर्ता थे। श्री श्री रविशंकरजी के आर्ट ऑफ लिविंग का बड़ा सहभाग इस कार्य में रहा। जनता से चंदा जमा किया गया। लोगों ने लाखों रुपये दिए, श्रमदान के लिए समय दिया। कुछ महीनों के काम के बाद पंद्रह किमी दूर तक मांजरा नदी की गहराई दस मीटर से बढ़ गई थी। जो सैकड़ों टन कीचड़ तथा नदी की मिट्टी निकली वह खेतों में डाली गई। मांजरा नदी की जलधारण क्षमता में सैकड़ों गुना बढ़ोतरी हुई। लगभग दस महीने चले इस कार्य के कारण पहली ही बारिश में मांजरा नदी में लगभग तीन टीएमसी पानी भर गया। प.पू.सरसंघचालक डॉ.मोहनराव भागवत जी के हाथों मांजरा नदी का जलपूजन किया गया।

पिछले वर्ष जब बारिश हुई तो लातूर की जीवनदायिनी कहलानेवाली मांजरा नदी पूरी क्षमता से भर गई। लातूर शहर के लिए कम से कम दो वर्ष पीने के पानी की आपूर्ति हो सके इतना जलसंचयन मांजरा नदी में अब है। लातूर जिले में सभी गावों में जलयुक्त शिवार योजना के अंतर्गत नदी तथा तालाबों सफाई की गई है। इस कार्य में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का तथा स्थानीय सर्वदलीय कार्यकर्ताओं का सहभाग महत्वपूर्ण है। छोटे-छोटे नहरों, तालाबों, छोटी नदियों की गहराई तथा चौड़ाई बढ़ने से जलधारण क्षमता में सैकड़ों गुना वृद्धि हुई है।

 

 

    विकास एक नजर में

कुल गांव            :   16,521

पूर्ण हुए कार्य                 4,98,206

कार्य सम्पन्न हुए कुल गांव   ः   12,000

जल संचयन निर्मिति   ः   17,27,229 वर्ग टीएमसी

कुल निर्मित सिंचाई क्षमताः   22,74,733 हेक्टर

मंजूर कुल राशि       ः   7,258 करोड़ रु.

जनसहभाग से पूरे हुए कार्यः 10,522

जन योगदान         ः   630 एवं 62 करोड़ रु.

 

 

जल शिवार में टैंकरमुक्त हुए गांवों की संख्याः

          वर्ष          टैंकर

          2015      6140

          2016      1379

          2017      366

          2018      152

 

 

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: biodivercityecofriendlyforestgogreenhindi vivekhindi vivek magazinehomesaveearthtraveltravelblogtravelblogger

राजेश प्रभू सालगावकर

Next Post
विश्व मूल निवासी दिवस: अमरीका की जनजातियों की ऐतिहासिक शोकांतिका

विश्व मूल निवासी दिवस: अमरीका की जनजातियों की ऐतिहासिक शोकांतिका

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0