त्योहारों का समय न केवल खुशियों और उत्सव का होता है, बल्कि इस दौरान हमारे समाज में एक बड़ी समस्या सामने आती है – रेल टिकट की मारामारी। लाखों लोग अपने परिवार और दोस्तों से मिलने के लिए यात्रा करते हैं, लेकिन टिकट की कमी के कारण उन्हें बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह समस्या न केवल यात्रियों की असुविधा का कारण बनती है, बल्कि रेलवे प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती होती है। आइए, इस समस्या के विभिन्न पहलुओं को समझते हुए इसका निराकरण सुझाते हैं।
1. समस्या का स्वरूप
त्योहारों के समय में, विशेषकर दिवाली, होली, छठ पूजा, और अन्य प्रमुख त्योहारों तथा शादी विवाह के सीजन के अवसर पर एवं गर्मियों की छुट्टियों में, बड़ी संख्या में लोग अपने कार्यस्थल से घर की ओर रुख करते हैं। इस दौरान अधिकांश ट्रेनों में सीटों की संख्या यात्रियों की तुलना में बहुत कम होती है, जिसके कारण रेलवे टिकट की मांग में अचानक वृद्धि होती है। लोग पहले से बुकिंग करते हैं, लेकिन कई बार सारे टिकट बुक हो जाने के कारण अंतिम समय में यात्रा करना कठिन हो जाता है। यही कारण है कि त्योहारों के दौरान टिकटों की मारामारी एक प्रमुख समस्या बन जाती है।
2. अतिरिक्त शुल्क और दलालों की समस्या
टिकट की कमी के कारण लोग दलालों का सहारा लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जो इस अवसर का फायदा उठाकर यात्रियों से अधिक पैसा वसूलते हैं। दलालों के जरिए टिकट बुक करना अवैध है, लेकिन लोग यात्रा की मजबूरी में अतिरिक्त पैसे देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। इससे यात्रा की लागत बढ़ जाती है और कई बार लोग अपने निर्धारित बजट से अधिक खर्च करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसके अलावा, दलालों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे कई बार फर्जी टिकट भी तैयार कर लेते हैं, जिससे यात्रियों को नुकसान होता है और उनकी यात्रा में अनचाहा विघ्न भी पड़ता है।
3. तकनीकी समस्याएं
त्योहारों के दौरान, जैसे ही बुकिंग की प्रक्रिया शुरू होती है, वेबसाइट का ट्रैफिक बढ़ जाता है और सर्वर ओवरलोड हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वेबसाइट धीमी हो जाती है या पूरी तरह से ठप हो जाती है, जिससे बुकिंग करना मुश्किल हो जाता है। कई बार लोग घंटों प्रयास करते रहते हैं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाता। यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए तनावपूर्ण होती है, बल्कि रेलवे की तकनीकी व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है।
4. रेलवे प्रशासन की असमर्थता
हर वर्ष त्योहारों के दौरान बढ़ने वाले यात्री संख्या के बावजूद, रेलवे प्रशासन इस समस्या का समुचित समाधान निकालने में सक्षम नहीं हो पाता है। रेलवे के पास सीमित संसाधन होते हैं, और वह हर यात्री को यात्रा सुविधा नहीं प्रदान कर पाता। इसके साथ ही, कई बार अतिरिक्त ट्रेनें भी पर्याप्त नहीं होती हैं और इस कारण लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। कई बार तो रेलवे अतिरिक्त ट्रेन चलता है लेकिन इसका पर्याप्त प्रचार प्रसार न हो पाने से यात्रियों को इसकी जानकारी ही नहीं मिल पाती। यह अतिरिक्त ट्रेन प्रायः देरी से चलती है, इसका आवागमन सिर्फ शेड्यूल में होता है जबकि वास्तविकता में इसका कोई निश्चित शेड्यूल नहीं होता। यह ट्रेन न टप-टप तो अपने गंतव्य पर निश्चित समय पर पहुंच पाती है और ना ही निश्चित समय पर रवाना हो पाती है। ऐसी स्थिति में यात्री अतिरिक्त ट्रेन में सफर करना कम पसंद करते हैं जिसकी वजह से नियमित ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ अपेक्षाकृत अधिक होती है।
5. वैकल्पिक परिवहन का अभाव
छोटे कस्बों और गांवों के यात्रियों के पास अन्य परिवहन साधनों का विकल्प सीमित होता है। वे बसों या निजी वाहनों का सहारा नहीं ले सकते, क्योंकि यह सुविधाएं उनके गंतव्य तक नहीं पहुंच पातीं। इसलिए, वे रेलवे पर ही निर्भर रहते हैं। जब उन्हें टिकट नहीं मिलता, तो उनकी यात्रा में बाधा आती है।
6. यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा की कमी
अत्यधिक भीड़ के कारण ट्रेनों में न केवल असुविधा होती है, बल्कि दुर्घटना का भी खतरा बढ़ जाता है। कई बार लोग टीटीई को रिश्वत देकर बिना टिकट यात्रा करते हैं, जिससे ट्रेनों में भीड़ और भी बढ़ जाती है और सुरक्षा में कमी आती है। इसके अलावा, अत्यधिक भीड़ के कारण यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा का अनुभव नहीं होता। इतना ही नहीं रेलवे प्लेटफार्म पर भी भारी भीड़ होने की वजह से चोरों और जेब कतरों की बन आती है वह यात्रियों को अपना शिकार बनाते हैं।
समस्या का निराकरण
समस्या के उपरोक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, इसका निराकरण निम्नलिखित उपायों से किया जा सकता है:
1. अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था: त्योहारों के दौरान रेलवे को अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन करना चाहिए। रेलवे प्रशासन को यात्रा की मांग के आधार पर विशिष्ट मार्गों पर अधिक ट्रेनों की योजना बनानी चाहिए, जिससे लोगों को सुगमता से यात्रा करने का अवसर मिले। इसके साथ ही पूरे यात्रा रूट पर यह व्यवस्था करनी चाहिए कि विशेष ट्रेन अनावश्यक रूप से कहीं भी अधिक देर तक न रोकी जाए। वह समय पर अपने गंतव्य पर अवश्य पहुंचे। इससे यात्रियों का विश्वास अतिरिक्त ट्रेन अथवा विशेष ट्रेन के प्रति बढ़ेगा।
2. वैकल्पिक रूट की योजना: मुख्य मार्गों पर भीड़ को कम करने के लिए रेलवे को वैकल्पिक मार्गों की पहचान करनी चाहिए और वहां पर अतिरिक्त ट्रेनों का संचालन करना चाहिए। इससे मुख्य मार्गों पर यात्री संख्या में कमी आएगी और लोगों को आसानी से यात्रा का अवसर मिलेगा।
3. ऑनलाइन बुकिंग प्रणाली में सुधार: तकनीकी समस्याओं से बचने के लिए रेलवे को अपनी बुकिंग वेबसाइट और सर्वर की क्षमता बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, ऑनलाइन बुकिंग के दौरान कैप्चा प्रणाली में सुधार किया जा सकता है ताकि दलालों द्वारा टिकट बुक करने की समस्या कम हो।
4. अस्थायी दलाल विरोधी अभियान: त्योहारों के दौरान दलालों पर सख्त निगरानी रखी जानी चाहिए। रेलवे प्रशासन और पुलिस को मिलकर ऐसे दलालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आम यात्रियों को अधिक कीमत चुकाने की मजबूरी न हो।
5. ध्यानपूर्वक योजना के साथ अग्रिम बुकिंग: रेलवे को अग्रिम बुकिंग की प्रक्रिया को और सुव्यवस्थित करना चाहिए। इसे दो चरणों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहले चरण में केवल उन्हीं लोगों को बुकिंग का मौका मिले जो त्योहारों के समय में नियमित रूप से यात्रा करते हैं, जबकि दूसरे चरण में आम जनता के लिए बुकिंग उपलब्ध हो।
6. वैकल्पिक परिवहन साधनों को बढ़ावा: छोटे कस्बों और गांवों के लिए बस और अन्य परिवहन सेवाओं का विस्तार करना चाहिए, ताकि लोग केवल रेलवे पर निर्भर न रहें। राज्य सरकारें भी इस दिशा में कदम उठा सकती हैं और त्योहारों के समय विशेष बस सेवा प्रदान कर सकती हैं।
7. यात्रा के अनुभव में सुधार: ट्रेनों में सुरक्षा और सुविधाओं का स्तर बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए अतिरिक्त टीटीई की नियुक्ति की जा सकती है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और बिना टिकट यात्रा करने वाले लोगों पर सख्ती बरती जा सके।
त्योहारों के दौरान रेल टिकट की मारामारी एक गंभीर समस्या है, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। उपरोक्त सुझावों को लागू करके इस समस्या को कम किया जा सकता है। रेलवे प्रशासन को तकनीकी, संसाधनों और योजना के स्तर पर सुधार करते हुए यात्रियों के लिए एक सुगम यात्रा का वातावरण बनाना चाहिए। यात्रियों को भी अपनी यात्रा की योजना समय पर बनानी चाहिए ताकि वे आखिरी क्षण की असुविधा से बच सकें। यदि सभी पक्षों का सहयोग मिले, तो त्योहारों का यह समय सुकूनभरा और आनंददायक हो सकता है।
-लवकुश तिवारी