बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा हो चुकी है। चुनाव आयोग ने 6 और 11 नवम्बर को दो चरणों में चुनाव कराने का निर्णय लिया है। चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए चुनाव आयोग की 17 नई पहलों का भी उल्लेख किया है।
बिहार की राजनीतिक जमीन एक बार फिर कांप रही है। 6 और 11 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनावों के समीकरण तेजी से एनडीए के पक्ष में ढल रहे हैं। भाजपा-नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए यह चुनाव न केवल सत्ता की निरंतरता की परीक्षा है, बल्कि विपक्षी महागठबंधन की सारी कमियों को उजागर करने का सुनहरा अवसर भी। जहां एनडीए विकास, कल्याण योजनाओं और मजबूत संगठन के दम पर आगे बढ़ रहा है, वहीं आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी दलों का महागठबंधन जातिवादी राजनीति, आंतरिक कलह और अव्यवस्था की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। चुनाव आयोग की 17 नई पहलों ने भी पारदर्शिता का नया मानक गढ़ा है, जो एनडीए की पारदर्शी छवि को और मजबूत कर रहा है।
बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में वर्तमान में एनडीए के पास 131 सीटें हैं-भाजपा के 80, जेडीयू के 45, हम(एस) के 4 और दो निर्दलीय।
विपक्ष के पास मात्र 111 सीटें बची हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए की 30 सीटों की जीत ने संकेत दे दिया था कि हवा तेजी से बदल रही है। आईएएनएस-मैट्रिज के हालिया ओपिनियन पोल के अनुसार, एनडीए को 49 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 150-160 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि महागठबंधन को केवल 36 प्रतिशत वोटों के साथ 70-80 सीटें ही नसीब हो सकती हैं। भाजपा को अकेले 80-85 सीटें और जेडीयू को 60-65 सीटें मिलने की सम्भावना है। यह समीकरण एनडीए की एकजुटता और विपक्ष की टूटती नींव को साफ झलकाता है।
एनडीए की दृष्टि से देखें तो बिहार का विकास मॉडल अब परिपक्व हो चुका है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बिहार को 62,000 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है, जिसमें स्किल यूनिवर्सिटी से लेकर आधारभूत ढांचे तक का जाल बिछा दिया गया है। मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की महिलाओं-केंद्रित योजनाएं-जैसे साइकिल योजना, निःशुल्क बिजली, शौचालय निर्माण और अब 75 लाख महिलाओं को 10,000 रुपए की डीबीटी सहायता से महिलाओं का विश्वास जीत रही हैं। पोलस्टर्स (मतदान सर्वेक्षक) का कहना है कि महिलाओं का वोटर टर्नआउट पुरुषों से अधिक होने पर एनडीए को लाभ होगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, हमारा फोकस विकास और सुशासन पर है।
विपक्ष केवल नकारात्मकता फैला रहा है, लेकिन बिहारी जनता अब जाति से ऊपर उठकर विकास चुन रही है। विपक्ष की कमियों को एनडीए ने बखूबी उजागर किया है। महागठबंधन की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है उसकी जातिवादी राजनीति, जो बिहार को पिछड़ा बनाए रखने का हथियार बनी हुई है। आरजेडी का मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण-जो कुल वोटों का लगभग 30 प्रतिशत है-अब पुराना पड़ चुका है। तेजस्वी यादव भले ही युवाओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले की छाया और परिवारवाद की जकड़न से पार्टी की छवि खराब हो चुकी है। भाजपा ने अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई है, जहां 47 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है। पीएम मोदी ने पूर्णिया रैली में विपक्ष पर ‘अवैध घुसपैठियों के रक्षक’ होने का आरोप लगाया, जो एनडीए के हिंदुत्व एजेंडे को मजबूत कर रहा है।
महागठबंधन की आंतरिक कलह दूसरी कमजोर कड़ी है। सीट बंटवारे पर कांग्रेस और आरजेडी के बीच खींचतान जारी है। 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन केवल 19 जीतीं। अब वे अधिक सीटें मांग रही हैं, जबकि प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तीसरा फैक्टर बनकर उभर रही है। किशोर की पार्टी 40-50 सीटों पर दावा कर रही है, जो महागठबंधन के वोट काट सकती है। एनडीए के एक नेता ने हंसते हुए कहा, विपक्ष का गठबंधन कागजों पर है, जमीन पर टूट चुका है। तेजस्वी की यात्राएं और राहुल गांधी के आरोप केवल हवा हिलाने के लिए हैं। विपक्ष ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (डखठ) को ‘वोट चोरी’ बताकर सुप्रीम कोर्ट तक का रास्ता तय किया, लेकिन अदालत ने ईसीआई के पक्ष में निर्णय दिया। तेजस्वी का फर्जी वोटर आईडी वाला दावा भी उजागर हो गया, जो उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
ये पहलें ईसीआई की निष्पक्षता को प्रमाणित करती हैं। सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा, ये कदम बिहार को लोकतंत्र का मॉडल राज्य बनाएंगे। एनएडीए के लिए यह राहत की सांस है, क्योंकि विपक्ष डखठ को ‘एनडीए का हथियार’ बता रहा था। अब यह नैरेटिव उल्टा पड़ गया है-विपक्ष फर्जीवाड़े में फंस गया।
चुनावी रणनीति में एनडीए ने जातिगत समीकरण को मजबूत किया है। जेडीयू का कुर्मी-कोएरी बेस, भाजपा का ऊपरी जाति समर्थन, एलजेपी(आर) का पासवान वोट, हम (एस) का महादलित समर्थन-सब एकजुट हैं। सीट बंटवारे में भाजपा-जेडीयू के बीच संतुलन है, जबकि जन सुराज की महत्वाकांक्षा महागठबंधन को कमजोर कर रही है।
चुनावी समीकरण को और पारदर्शी बना दिया है, चुनाव आयोग की 17 नई पहलों ने। इन 17 पहलों का विस्तार से उल्लेख करते हैं।
1. बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) का प्रशिक्षण: राजनीतिक दलों के बीएलए को मतदाता सूची तैयार करने और अपील प्रक्रिया पर विशेष ट्रेनिंग दी गई। इससे पार्टियां स्वयं प्रक्रिया की निगरानी कर सकेंगी।
2. बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) का आईआईआईडीईएम प्रशिक्षण: दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक एंड इलेक्टोरल मैनेजमेंट में 7,000 से अधिक बीएलओ और सुपरवाइजर्स को ट्रेनिंग दी गई, जिसमें बिहार के अधिकारी प्रमुख थे।
3. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (डखठ) का सफल क्रियान्वयन: 22 वर्षों बाद मतदाता सूची का विशेष संशोधन पूरा हुआ। 243 निर्वाचन क्षेत्रों में 243 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) और 90,207 बीएलओ ने लाखों फर्जी वोटरों को हटाया। विपक्ष के आरोपों के बावजूद, यह प्रक्रिया संवैधानिक साबित हुई।
4. 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग: हर पोलिंग बूथ पर पूर्ण वेबकास्टिंग होगी, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
5. ईवीएम बैलेट पेपर में सुधार: बैलट यूनिट को अधिक पढ़ने योग्य बनाया गया, पहली बार उम्मीदवारों की रंगीन फोटो लगाई गईं।
6. पोलिंग एजेंट बूथ की अनुमति: राजनीतिक दलों को पोलिंग स्टेशन से 100 मीटर दूर एजेंट बूथ लगाने की छूट, जो लोकतंत्र में जनता का विश्वास बढ़ाएगा।
7. रियल-टाइम वोटर टर्नआउट अपडेट: मतदान के दौरान तत्काल अपडेट, जो अफवाहों को रोकेगा।
8. मोबाइल फोन जमा नीति: पोलिंग बूथ पर मोबाइल जमा अनिवार्य, गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए।
9. ईसीआई नेट का विस्तार: डिजिटल प्लेटफॉर्म से मतदाता सूची प्रबंधन, जो तेज और त्रुटिरहित होगा।
10. वोटर आईडी कार्ड का निःशुल्क वितरण: नए वोटरों को मुफ्त वोटर आईडी, विशेषकर प्रवासी मजदूरों के लिए।
11. पुलिस अधिकारियों का विशेष प्रशिक्षण: 8.53 लाख पोलिंग कर्मियों सहित पुलिस को चुनावी कानूनों पर ट्रेनिंग।
12. माइक्रो ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति: 17,800 माइक्रो ऑब्जर्वर्स पोलिंग के लिए और 4,800 काउंटिंग के लिए।
13. बढ़ी हुई पारिश्रमिक: चुनाव कर्मियों को अधिक मानदेय, जो उनकी दक्षता बढ़ाएगा।
14. आधार कार्ड को आईडी प्रूफ न मानना: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आधार को वैध आईडी न गिनना, जो विवादों से बचेगा।
15. महिलाओं के लिए विशेष बूथ: महिलाओं की सुविधा के लिए अलग बूथ और सुविधाएं।
16.प्रवासी वोटरों के लिए विशेष अभियान: 75 लाख प्रवासी बिहारियों को वोट डालने के लिए ऑनलाइन सुविधा।
17. काउंटिंग में नई तकनीक: काउंटिंग प्रक्रिया में डिजिटल वेरिफिकेशन, जो तेज और सुरक्षित होगी।
- आशीष कुमार‘अंशु’