सुबह का भूला

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आरुषि अभी तक सोफे पर पड़ी सुबक रही थी। आज उसे रह-रह कर रोना आ रहा था। साथ ही उसे पछतावा भी हो रहा था कि उसने अपने पिता समान स्वसुर पर घ्ाूरते रहने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उसने तो यह भी कहा था कि वे उसके साथ कुछ गलत करना चाहते हैं।

भारतीय मजदूर आन्दोलन का चिन्तन बदल गया

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कारगिल के युद्ध के समय देश में गोला-बारूद की कमीं हो गयी थी। पुणे की आर्डिनेन्स फैक्ट्री के भा. म. संघ के कार्यकर्ताओं ने बिना साप्ताहिक अवकाश लिए, बिना घर गये 18-18 घण्टे काम करके देश की सेना को गोला बारूद की आपूर्ति की। उन्होने ओवर टाइम भत्ता भी नहीं लिया।

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