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मॉडलिंग में  आना आसान  टिकना मुश्किल  – प्रवीण सिरोही

मॉडलिंग में आना आसान टिकना मुश्किल – प्रवीण सिरोही

by मुकेश गुप्ता
in फ़ैशन, फैशन दीपावली विशेषांक - नवम्बर २०१८, साक्षात्कार
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मॉडलिंग की दुनिया बड़ी चकाचौंध भरी दुनिया है। युवा इसमें आने के सपने देखते हैं, देखना भी चाहिए; लेकिन इसमें टिकने के लिए संघर्ष की कोई हद नहीं है। मॉडलिंग के पेशे पर प्रसिद्ध मॉडल व अभिनेता प्रवीण सिरोही से हुई बातचीत के अंश प्रस्तुत हैंः

आप मॉडलिंग एवं एक्टिंग के क्षेत्र में कब से कार्यरत हैं और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

विगत 18 वर्षों से मैं इस क्षेत्र में कार्यरत हूं। दिल्ली में कॉलेज के दौरान हुए फैशन शो में मैंने भाग लिया था। तब लोगों ने मुझे इसके लिए प्रोत्साहित भी किया, लेकिन तब मुझे इस क्षेत्र के बारे में जानकारी नहीं थी। मेरे दोस्त ने मेरा फोटो शूट कराया और इसके बाद मैंने कुछ एक्टिविटी शुरू की। दरअसल मेरा दोस्त मॉडलिंग किया करता था। उसके माध्यम से ही मैं इस क्षेत्र में आया और इस तरह मेरी शुरुआत हुई।

मॉडलिंग व एक्टिंग के क्षेत्र में आना आपका सपना था या आप कुछ और काम करना चाहते थे?

नहीं मेरा सपना नहीं था; क्योंकि उस समय मॉडलिंग व एक्टिंग को लेकर जागरूकता नहीं थी। तब केवल आर्मी, पुलिस, नेवी, मेडिकल, इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाने की इच्छा थी। संयोगवश मैं इस क्षेत्र में आया और मॉडलिंग की धारा में प्रवाहित होता चला गया।

इस क्षेत्र में आप स्वयं को किस ऊंचाई पर देखते हैं और कितना सफल मानते हैं?

मॉडलिंग के क्षेत्र में अपनी मेहनत की बदौलत काफी ऊंचाइयों को मैंने छुआ है। वर्ष 1998 से लेकर 2010 तक, लगभग 12 वर्षों तक बहुत ही टॉप लेवल पर ए ग्रेड में काम किया। सारे फैशन शो, मॉडलिंग, म्यूजिक वीडियो, कर्मशियल, असाइनमेंट आदि ढेर सारे काम करने के चलते बुलंदियों पर पहुंचा। इस फील्ड में फर्स्ट पर ना सही पर टॉप टेन में शामिल होना ही मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है और इसे ही में अपनी बड़ी सफलता मानता हूं।

आपकी सफलता का राज क्या है?

मैं अपने काम के प्रति समर्पण और धैर्य को अपनी सफलता का राज मानता हूं। तब सोशल मीडिया का जमाना नहीं था, हमारा सारा ध्यान अपने काम पर होता था। हम पूरी निष्ठा एवं धैर्य के साथ काम कर पाते थे। आज के समय में युवाओं में धैर्य की कमी दिखाई देती है। वे अपना सारा ध्यान व समय सोशल मीडिया में लगाते हैं। या यू कहे कि टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर रहे हैं।

इंडस्ट्री में पैर जमाने के लिए आपको कितना संघर्ष करना पड़ा?

संघर्ष करने की कहानी दो चार लाइनों में नहीं बताई जा सकती, वह एक संघर्ष गाथा है। सभी को इससे दो-चार होना ही पड़ता है। जो जितना ज्यादा संघर्ष करता है वही सफलता प्राप्त कर सकता है ऐसा मेरा मानना है। शुरुआती दिनों में इंडस्ट्री में जमने के लिए 4 से 5 वर्षों तक मैं 1000 रुपए भी कमा नहीं पाया। इससे मेरे संघर्ष का अंदाजा लगाया जा सकता है। बावजूद इसके मैंने हिम्मत नहीं हारी। सतत प्रयास और स्ट्रगल से आखिरकार मैंने अपने पैर इंडस्ट्री में जमा लिए।

गत कुछ वर्षों में देखा गया है कि इंडस्ट्री में आए हुए युवा संघर्ष करते-करते इस तरह हताश-निराश होते हैं कि वे आत्महत्या करने में भी संकोच नहीं करते, इस विषय में आपकी क्या राय है?

मॉडलिंग व एक्टिंग क्षेत्र में सफल होना एक बड़ी चुनौती है। चकाचौंध भरी इस दुनिया में जितना अच्छा दिखता है उतना अच्छा होता नहीं है। लाखों लोग अपना सपना पूरा करने के लिए माया नगरी में आते हैं लेकिन बहुत कम लोग ही सफल हो पाते हैं और जो इस क्षेत्र में अपनी जगह नहीं बना पाते वे इस तरह गहरे अंधकार में गुम हो जाते हैं कि उससे बाहर निकलना उनके लिए मुश्किल होता है। आर्थिक  एवं भावनात्मक स्थैर्य ना होने के कारण तथा महत्वाकांक्षाओं को पूरा न कर पाने की कसक के चलते वे जल्दी टूट जाते हैं और आगे जाकर आत्महत्या करने जैसा आत्मघाती निर्णय करते हैं।

फिल्मी व मॉडलिंग की चकाचौंध से आकर्षित होकर आने वाले छोटे-छोटे शहरों के युवाओं को आप क्या मार्गदर्शन देना चाहेंगे?

यही मार्गदर्शन करना चाहूंगा कि इस इंडस्ट्री में आना आसान है किंतु इस क्षेत्र में टिकना बड़ा मुश्किल है। यदि आपकी आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत है और सालों- साल संघर्ष करने की मानसिकता व जज्बा है तो आप आए और अपनी किस्मत आजमाए। कुछ वर्षों में आप सफल नहीं हुए तो किसी अन्य क्षेत्र में चले जाए। यदि यह सारी तैयारी नहीं है तो इस क्षेत्र में न आए यही आपके लिए अच्छा होगा।

आप अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए क्या करते हैं?

मैं अपनी फिटनेस को प्राकृतिक रूप से बनाए रखने के लिए  खानपान पर अधिक ध्यान देता हूं। बड़ी रिसर्च करने के बाद डाइट प्लान तैयार किया है और उसके अनुरूप ही भोजन करता हूं। मेरा ऐसा मानना है कि हमारा स्वास्थ्य उत्तम रखने हेतु पोषण में विटामिन से भरपूर आहार 95 फीसदी तथा शारारिक श्रम (कसरत) का योगदान 5 फ़ीसदी होता है। पहले के लोग पारंपरिक खान-पान के चलते बड़े ही मजबूत होते थे। आज भी 70 से 90 वर्ष के आयु वाले कई बड़े बुजुर्ग वर्तमान के युवा पीढ़ी पर भारी पड़ते दिखाई देते हैं। जिसे देख कर लोग कहते हैं कि इसने बहुत कुछ अच्छा-खासा खाया होगा। इसलिए आज भी यह बेहद मजबूत व सेहतमंद है।

आप हमारे पाठकों को फैशनेबल दिखने के लिए क्या सलाह देंगे?

मेरी ओर से लोकप्रिय हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के प्रबुद्ध पाठकों को यही सलाह है कि हम फैशन के युग में जी रहे हैं। हर चीज, पदार्थ, प्रोडक्ट, व्यंजन, कला, कपड़े, ज्वेलरी आदि अनेक प्रकार के उत्पादों को फैशन के रूप में ही हमें परोसा जाता है। इसलिए हम फैशनेबल पहले से ही हैं। बस हमें यह मानना है और स्वयं पर विश्वास करना है कि हम जो भी परिधान कर रहे हैं वह बेहद सुंदर व अच्छी क्वालिटी का हो। हम पर बहुत जँच रही है, पहले से हम सुंदर है और अब यह अलंकार पहनने से और अधिक आकर्षक लग रहे हैं। यदि हमने यह सोच विकसित कर ली तो स्वाभाविक रूप से हम बेहद सुंदर फैशनेबल व आकर्षक दिखने लगेंगे।

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Tags: artbeautydress materialfashionfashion blogfashion bloggerfashion postfashionablefollow memodel

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