आतंकवाद की नई चुनौती

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 पाकिस्तान की बागडोर तीन शक्तियों के हाथों में होती है- वहां की सेना, आई.एस.आई. तथा आतंकवादी संगठन। आतंकवादी संगठन तो पाकिस्तानी शासन का ही एक अंग है। अमेरिका और चीन जैसे बड़े राष्ट्र अपने राष्ट्रहितों के कारण पाकिस्तान की नकेल नहीं कसते हैं। भारत को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी। कोई महाशक्ति या राष्ट्रसंघ आदि काम आएंगे इसकी कल्पना नहीं करनी चाहिए। दोनों मुल्कों में वार्ता तो होती रहनी चाहिए- दिल मिले न मिले, लेकिन हाथ मिलाते रहिए।

पठानकोट हमलामानसिकता तथा यथार्थता

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भारत में आतंकवादी, अलगाववादी, राष्ट्रद्रोही युद्ध १९५६ से चल रहा है। पूर्वोत्तर भारत का गृहयुद्ध, नक्सलवाद, पंजाब का आतंकवाद, कश्मीर का आतंकवाद इसके उदाहरण हैं। पाकिस्तान तथा चीन समर्थित, प्रोत्साहित, निर

पूर्वोत्तर का छापामार युध्द

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लेखक ने ५० वर्ष की सैन्य सेवा में से २२ वर्ष-१९६४ से २००२ के अंतराल में- पूर्वोत्तर भारत में सैन्य सेवा की है। असम, मिजोरम, नगालैण्ड में शांति स्थापना में योगदान किया है। इसलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र

जाली धन और राष्ट्रीय सुरक्षा

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जिस प्रकार युद्ध और आतंकवादी हमले से होने वाली तबाही, मानवीय, प्राकृतिक आघात हमें दिखाई देता है, उस प्रकार का आघात हमें आर्थिक आक्रमण से दिखाई नहीं देता है। इसीलिए हमारी सरकार, शासन व्यवस्था तथा जनता भी जाली मुद्रा के चलन तथा आर्थिक आक्रमण को गंभीरता से नहीं देखती है। इस दृष्टिकोण को बदलना जरूरी है।

सक्षम, सजग तथा सुरक्षित भारत (विशेष संपादकीय

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सर्वांगीण तथा एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था (Comprehnesive and Integrale National Security) के सिद्धांतों का अध्ययन तथा विश्लेषण करें तो हमें पता चलता है कि मनुस्मृति तथा चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निम्न चार प

उत्तर प्रदेश की शौर्य गाथा

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शौर्य, युद्ध शास्त्र, सुरक्षा व्यवस्था का उत्तर प्रदेश से घनिष्ठ सम्बंध रहा है। पौराणिक काल के युद्धों और राष्ट्र सुरक्षा पर गौर करें तो स्पष्ट होगा कि रामायण और महाभारत काल से ही उत्तर प्रदेश में वीरता, अन्याय पर न्याय की विजय, अराजकता पर सुराज्य की विजय की परिपाटी और मनोवृत्ति का संवर्धन हुआ है।

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