देश के साथ विश्वासघात

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1991 का पूजा स्थल अधिनियम भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यह मुस्लिमों के वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार देता है। इसके तहत यदि वक्फ बोर्ड किसी जमीन पर अनाधिकार कब्जा करता है तो उसके लिए उसे कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि पीड़ित पक्ष को साबित करना होता है कि वह सम्पत्ति उसकी है। इस तरह के एकतरफा कानून की समीक्षा होनी चाहिए।

आजादी का 75वां वर्ष न्याय-व्यवस्था की दिशा व दशा

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भारत की न्यायपालिका की संवेदना भारत के जनमानस के साथ जुड़ी दिखाई नहीं देती। उसका अपना एक सामंती चरित्र है, जो हर प्रकार से शक्तियों से परिपूर्ण किन्तु किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है और बड़ी आत्ममुग्ध और स्व-संचालित है। वह अपने बारें में किसी समीक्षा को पसंद नहीं करता। 

 कानून व्यवस्था और अपराध

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भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत ’पुलिस’ और  ’लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं और इसलिए अपराध रोकने, पता लगाने, दर्ज करने और जांच-पड़ताल करने तथा अपराधियों के विरुद्ध अभियोजन चलाने की मुख्य जिम्मेदारी, राज्य सरकारों पर है। जाहिर है जैसे राज्य की व्यवस्था और उसके नियामक होंगे, राज्य या उसका कोई क्षेत्र उसी तरह का होगा।

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