लौहपुरुष की स्वप्नपूर्ति

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सरदार वल्लभभाई पटेल के बिना भारत का एकीकरण असम्भव था। उस समय पूरे विश्व को लगता था कि वह एक असम्भव कार्य था, परंतु उन्होंने उसे सम्भव कर दिखाया। हालांकि आखिरी समय तक सरदार पटेल को एक बात का मलाल रहा कि कश्मीर पूरी तरह भारत का हिस्सा नहीं बन पाया।

ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

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विश्व के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि दो वस्तुएं असीमित हैं- पहला ब्रह्मांड और दूसरा मानव द्वारा की जाने वाली मूर्खताएं। भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) भी मानव के भौतिक विकास की अंधी दौड़रूपी मूर्खता का ही परिणाम है। भूमंडलीय ऊष्मीकरण का अर्

मेक इन विलेज

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ब्रीटिश शासन के पहले भारत वर्ष एक समृद्ध राष्ट्र था, भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि एवं ग्रामीण लधु उद्योगों पर आधारित थी। अधिकांश जनसंख्या की जीविका का साधन कृषि व्यवस्था थी जो कि पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर एवं परस्पर आश्रित थी। भारतीय कृषि मुख्यत: खाद्य

जातिगत आरक्षण और आधुनिकभारतीय ॠषि डॉ. आंबेडकर

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देश मेंे स्वतंत्रता के ६७वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। हमारे देश में रेल, सड़क एवं हवाई सेवाओं में वृद्धि हुई है। इंटरनेट, फेसबुक, व्हाटस्एप, ट्वीटर के इस युग में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का नारा पुष्ट हो रहा है। सारा विश्व ‘ग्लोबल विलेज’ बन गया है। हमारी वर्चुवल गतिशीलता बढ़ी है।

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