सत्ता का केन्द्र उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश उत्तर वैदिक काल में ब्रह्मर्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल में कई महान ऋषियों, मुनियों जैसे भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि आदि की तपोभूमि रहा।
उत्तर प्रदेश उत्तर वैदिक काल में ब्रह्मर्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। यह वैदिक काल में कई महान ऋषियों, मुनियों जैसे भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि आदि की तपोभूमि रहा।
बिहार का नाम आते ही हमारे मन में हिंसा, संस्थानिकीकरण, अपहरण, गुंडई, रंगदारी, पिछड़ापन, बेरोजगारी, उद्योग रहित और एक जातिग्रस्त राज्य की कल्पना मन में आती है। भारतीय रेलें बिहारी पहचान की सबसे बड़ी वाहक हैं।
‘माय होम इंडिया’ स्वयंसेवी संस्था है, जिसका संकल्प पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच पारस्परिक भाईचारे और अपनत्व की भावना को और सशक्त बनाना है।
पूरा देश दम साधे उत्तर प्रदेश चुनावों की ओर टकटकी लगाए देख रहा था। 6 मार्च को देश में अन्य चार राज्यों मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड और पंजाब के चुनाव नतीजे भी घोषित हुए लेकिन जो चुनावी जुनून उत्तर प्रदेश के नतीजों को लेकर देश में था, उसके आगे सारे समाचार फीके हो गए। उत्तर प्रदेश की राजनीति ने हमेशा से देश की राजनीति को प्रभावित किया है।
आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के नाते, लोकसभा में 80 और राज्यसभा में 39 सांसद उत्तर प्रदेश से जाते रहे हैं, और हमेशा उसकी खनक केन्द्र की सत्ता में दिखी है। देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री इसी राज्य ने दिये हैं।