समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज हेतु…

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“समता के मूल में ही समरसता है। हमें समरस हिंदू समाज खड़ा करना है अर्थात शोषणमुक्त समाज, आत्मविस्मृति-भेद-स्वार्थ-विषमता इन बातों से समाज को मुक्त करना है। किसी भी प्रकार की विषमता को हिन्दू समाज में स्थान नहीं है। “समरस समाज, समर्थ भारत” ही हमारा लक्ष्य है।” एक तथा दो दिसंबर…

बाबासाहब के ‘शहर की ओर चलो’ का अर्थ

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ग्राम विकास’ शब्द आजकल सभी ओर छाया हुआ है। भारत गांवों का देश होने के कारण यदि गांवों का विकास होगा तो देश का विकास अपने आप होगा ऐसी संकल्पना महात्मा गांधी ने पिछली सदी में रखी थी। ग्राम विकास की संकल्पना पर उनकी ‘ग्रामस्वराज’ यह पुस्तक प्रसिद्ध है।

बाबासाहब के घनिष्ठ सहयोगी

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किसी आंदोलन को प्रगतिपथ पर ले जाने का काम नेता से ज्यादा उसके सहयोगी कार्यकर्ता सक्षमता से करते हैं। कोई आंदोलन या अभियान इसलिए जोर पकड़ता है क्योंकि कार्यकर्ता विचारों का वाहक है। इसका उदाहरण है कि डॉ. आंबेडकर का आंदोलन। १९२४ से डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सामाजिक जीवन में आंदोलन जारी रहा।

वोटों की पिटारी और यूपीए

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सन 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार सत्तारूढ़ हुई। उसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार सत्ता में थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने कार्यकाल में देश को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने के भरसक प्रयास किये थे।

उद्योजक सेवा पुरुष मिलिंद कांबले

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‘नौकरी करने के लिए नहीं, नौकरी देने के लिए हम पैदा हुए हैं। उद्योग में सफलता प्राप्त करें। अपना छोटा‡बड़ा उद्योग स्थापित करें और सफल बनें। सम्मान से जीयें। नौकरी मांगते रहने की अपेक्षा नौकरी देने वाले बनें।’ यह संदेश है श्री मिलिंद कांबले का।

बाबा साहब और धम्म

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‘मनुष्य’ को ही केन्द्र में रखा। उन्होंने कर्मकाण्ड रहित धम्म को ही स्वीकार किया और देश बाह्य धर्मों को नकार दिया। तथागत द्वारा बताए गये मार्ग पर चलते हुए समाज और मनुष्य को जोड़ने का कार्य किया।

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