समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज हेतु…
“समता के मूल में ही समरसता है। हमें समरस हिंदू समाज खड़ा करना है अर्थात शोषणमुक्त समाज, आत्मविस्मृति-भेद-स्वार्थ-विषमता इन बातों से समाज को मुक्त करना है। किसी भी प्रकार की विषमता को हिन्दू समाज में स्थान नहीं है। “समरस समाज, समर्थ भारत” ही हमारा लक्ष्य है।” एक तथा दो दिसंबर…