गोयन्का गुरुजी का धम्मदान

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भगवान बुद्ध कहते हैं, ‘सब्बदानं धम्मदानं जिनासि’। इसका अर्थ है, सब दानों में धर्म का दान श्रेष्ठतम है। दान की महिमा का वर्णन अपने धर्मशास्त्रों में बहुत प्रकार से किया गया है।

बलशाली राष्ट्र निर्माण ही सेवा कार्यों का लक्ष्य

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य और लौकिक रूप से जिसे ‘सेवा कार्य’ कहा जाता है, ये दो बातें पृथक मानना ठीक नहीं है। क्या अपने राष्ट्र के पोषण और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता की मनुष्यशक्ति खड़ी करना सेवा कार्य नहीं है? सब से मौलिक तरह का यह सेवा कार्य संघ पिछले 86 वर्षों से निरंतर कर रहा है।

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