बंदउ गुरु पद कंज

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गुरु वह प्रज्ञावान, ज्ञानवान महापुरुष और श्रेष्ठ मानव होता है जो अपने ज्ञान का अभीसिंचन करके व्यक्ति में जीवन जीने तथा अपने कर्तव्य को पूरा करने में उसकी सुप्त प्रतिभा और प्रज्ञा का जागरण करता है।

गुरुवर्य नहीं होते तो मेरा जीवन अधूरा रह जाता…-

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अगर शाश्वत सत्य का परिचय करना हो तो गुरू अत्यंत आवश्यक है। ...आज मैं शाश्वत सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ा हूं और वैज्ञानिक के रूप में भी आगे बढ़ा हूं तो इन दोनों का ही श्रेय मेरे गुरू श्री साखरे महाराज को जाता है। वे न आते तो शायद मेरा जीवन अधूरा ही रह जाता।

गुरु बिनु होइ न ज्ञान

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सनातन वैदिक संस्कृति तथा जीवन पद्धति की समृद्ध परम्परा मेंगुरु का स्थान सर्वोच्च है। गुरु में दो अक्षर हैं ‘गु’ जिसका अर्थ है अन्धकार तथा ‘रु’ का अर्थ है प्रकाश! अर्थात गुरु वह तत्व है जो अन्धकार को मिटाता है और प्रकाश को फैलाता है।

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