कम्युनिस्टों के रक्तचरित्र को बयां करती फिल्म- कोथु

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'कोथु' लाल झंडे और भगवा झंडे की निश्चित सीमाएँ लिये वो फ़िल्म है जो कन्नूर की हिंसा से जुड़ी है। कम्युनिस्टों ने बंगाल, झारखंड में हिंसा का सहारा लेकर लम्बे समय शासन किया। केरल भी अछूता नहीं रहा। जहाँ बंगाल में कम्युनिस्टों की भाषा कांग्रेस और फिर तृणमूल ने अपना…

गर्म खिचड़ी को किनारे-किनारे से खाते रहिये

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बात थोड़ी पुरानी है।2014 से पहले की।बात तब की जब कम्युनिस्ट आतंकियों ने अपने विचारधारा के अनुसार ही बस्तर को कसाईखाना (अब भी कसाईयत जारी ही है)में बदल दिया था। लगातार गरीब और वंचित आदिवासियों, निम्न-मध्य वर्ग, देश भर के गरीब किसान-मजदूर परिवार से आने वाले सुरक्षा बलों कीवे लगातार…

जावेद अख्तर का मुगलिया रंग…

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फिल्मी हस्ती जावेद अख्तर भारत में मुगल शासन को "खुशहाली का समय" मानते हैं। तुलना करते हुए वे अकबर, जहाँगीर को महान और अंग्रेजों को गया-गुजरा बताते हैं। मुख्यतः इसी मतभेद पर वे तारिक फतह को हिन्दू सांप्रदायिकों का ‘प्रवक्ता’ कहते हुए जलील कर रहे हैं। वस्तुतः मुगल काल को…

भारत विरोधी इतिहासकार रोमिला थापर

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ये रोमिला थापर है इतिहास लेखन का काम करती है. ये और इसके जैसे तमाम इतिहास लेखकों के ऊपर कोई सेंसर बोर्ड नहीं है, ये जो चाहे लिख सकते हैं, और हम तथा हमारे बच्चे इनके लिखे हुए विकृत और असत्य लेखों को दिमाग की बत्ती बंद करके पढ़ते रहते…

वामपंथियों ने की भारतीय इतिहास की हत्या

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पूरे विश्व में केवल भारत ऐसा देश है, जहां यहूदी, ईसाई, पारसी आदि विभिन्न मत-मजहबों के लोग आक्रांताओं से उत्पीडित होकर या जीविका की तलाश में अपनी धरती छोडकर यहां आए तो हिंदू धर्म की उदारता और हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण उन लोगों को भारत में ससम्मान रहने का…

कम्युनिस्टों के पितामह लेनिन का विचार कब्र में दफ़न

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आज पूरे विश्व में भगवद्गीता का प्रकाशन होता है। आज भी भारत में संत कबीर, संत रविदास, समर्थ गुरु रामदास, संत तिल्लुवल्लूवर, संत एकनाथ और संत नामदेव का नाम लिया जाता है। ये सब महात्मा झोपड़ी में रहे परंतु इनके विचार आज भी हमें प्रकाशित करते हैं। अब गरीबों की…

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