डॉ. हेडगेवार ने जिस दिन सत्याग्रह किया उसी दिन शाम को संघस्थान पर स्वयंसेवकों की एक सभा हुई। उमाकांत केशव उपाख्य बाबासाहब आपटे ने वहां एकत्रित स्वयंसेवकों के बीच एक भाषण दिया।रात्रि साढ़े दस बजे ‘महाराष्ट्र’द्विसाप्ताहिक के कार्यालय में तार आया, जिसमें लिखा था कि डॉ. हेडगेवार को नौ महीने तथा अन्य लोगों को चार माह के सश्रम कारावास का दंड सुनाया गया है।
डॉ. हेडगेवार तथा उनकी टुकड़ी को यवतमाल में और डॉ. नारायण भास्कर खरे,पूनमचंद रांका, नीलकंठराव देशमुख विरुलकर,शंकर त्र्यंबक उपाख्य दादा धर्माधिकारी को नागपुर मेंगिरफ्तार करने के कारण 22 जुलाई, 1930 को नागपुर में एक बड़ी हड़ताल की गई। दोपहर में समस्त विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के छात्र जुलूस निकालकर कांग्रेस पार्क में एकत्रित होने शुरू हो गए। वहां डॉ. मुंजे की अध्यक्षता में एक जनसभा हुई, और गिरफ्तार मंडली के अभिनंदन का एवं सरकार का निषेध करनेवाला एक प्रस्ताव पारित किया गया। दोपहर में ही चिटणवीस पार्क मेंभी एक अन्य निषेध जुलूस का नेतृत्व युद्धमंडल के नवीन अध्यक्ष गणपतराव टिकेकर, पी.के. साळवे,छगनलाल भारुका,ढवले,रामभाऊ रुईकर, नंदगवली,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसेनापती मार्तंडराव जोग और अनसुया बाई कालेने किया(चौधरी, पृष्ठ 994)।