RSS पर बनेगी फिल्म और वेब सीरीज

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उन्होंने कहा, “4 साल पहले मुझे RSS पर फिल्म लिखने को कहा गया। इसीलिए मैंने नागपुर जाकर मोहन भागवत से मुलाकात भी की। मैं वहाँ 1 दिन रुका और पहली बार देखा-समझा कि RSS क्या है और कैसे काम करता है। मुझे काफी पश्चाताप हुआ कि मैं इतने महान संगठन से अब तक परिचित नहीं था।" उन्होंने बताया कि अब वो RSS पर फिल्म और वेब सीरीज, दोनों ही बनाने जा रहे हैं।

जंगल सत्याग्रह के सत्याग्रही डॉ. हेडगेवार

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डॉ. हेडगेवार ने जिस दिन सत्याग्रह किया उसी दिन शाम को संघस्थान पर स्वयंसेवकों की एक सभा हुई। उमाकांत केशव उपाख्य बाबासाहब आपटे ने वहां एकत्रित स्वयंसेवकों के बीच एक भाषण दिया।रात्रि साढ़े दस बजे ‘महाराष्ट्र’द्विसाप्ताहिक के कार्यालय में तार आया, जिसमें लिखा था कि डॉ. हेडगेवार को नौ महीने तथा अन्य लोगों को चार माह के सश्रम कारावास का दंड सुनाया गया है। डॉ. हेडगेवार तथा उनकी टुकड़ी को यवतमाल में और डॉ. नारायण भास्कर खरे,पूनमचंद रांका, नीलकंठराव देशमुख विरुलकर,शंकर त्र्यंबक उपाख्य दादा धर्माधिकारी को नागपुर मेंगिरफ्तार करने के कारण 22 जुलाई, 1930 को नागपुर में एक बड़ी हड़ताल की गई। दोपहर में समस्त विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के छात्र जुलूस निकालकर कांग्रेस पार्क में एकत्रित होने शुरू हो गए। वहां डॉ. मुंजे की अध्यक्षता में एक जनसभा हुई, और गिरफ्तार मंडली के अभिनंदन का एवं सरकार का निषेध करनेवाला एक प्रस्ताव पारित किया गया। दोपहर में ही चिटणवीस पार्क मेंभी एक अन्य निषेध जुलूस का नेतृत्व युद्धमंडल के नवीन अध्यक्ष गणपतराव टिकेकर, पी.के. साळवे,छगनलाल भारुका,ढवले,रामभाऊ रुईकर, नंदगवली,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसेनापती मार्तंडराव जोग और अनसुया बाई कालेने किया(चौधरी, पृष्ठ 994)।

डॉ. हेडगेवार ने छोड़ दिया था सरसंघचालक पद ?

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संघ के जो लोग आज तक आंदोलन में शामिल हुए हैं या जो लोग आज जा रहे हैं, वे सब इसी हेतु से अग्रसर हुए हैं। जेल जाना आज देशभक्ति का प्रतीक बन गया है,पर जो मनुष्य दो वर्ष जेल में रहने के लिए तैयार है उसे ही यदि कहा जाए कि घर-बार से दो वर्ष की छुट्टी लेकर देश में स्वातंत्र्योन्मुख संगठन का काम करे तो कोई तैयार नहीं होता। ऐसा क्यों होना चाहिए? ऐसा लगता है कि लोग यह बात समझने के लिए तैयार नहीं हैं कि देश की स्वतंत्रता साल-छह महीने काम करने से नहीं बल्कि वर्षानुवर्ष सतत संगठन करने से मिलेगी। जब तक हम यह मौसमी देशभक्ति नहीं छोड़ेंगे और देश के लिए मरने की सिद्धता नहीं रखेंगे और उससे भी अधिक देश की स्वतंत्रता के लिए संगठन का कार्य करते हुए जीने का निश्चय नहीं करेंगे, तब तक देश का भाग्य नहीं बदलेगा। यह वृत्ति युवकों में उत्पन्न करना तथा उनका संगठन करनाही संघ का ध्येय है”

स्वतंत्रता संग्राम में संघ का क्या योगदान है?

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सबसे पहले इस प्रश्न का उत्तर कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ का क्या योगदान है? इसका यदि सीधा उत्तर देना हो तो कहा जा सकता है कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ का योगदान लगभग शून्य है,पर संघ स्वयंसेवकों का योगदान उल्लेखनीय है।इस उत्तर से अनेक पाठकों को आश्चर्य होगा।इस उत्तर का मर्म जानने के लिए सबसे पहले संघ निर्माता डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार और इसी संदर्भ में संघ की वैचारिक भूमिका थोड़ी विस्तार से समझनी होगी। ‘स्वतंत्रता कब और कैसे मिलेगी’यह प्रश्न जब सर्वत्रपूछा जा रहा हो तब ‘हम पराधीन क्यों हुए और हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण कैसे रहे’इस प्रश्न का न केवल मूलभूत चिंतन, अपितु इसके उत्तर हेतु भी डॉक्टरजीने प्रयास आरंभ कर दिए थे। डॉ हेडगेवार ने हमेशा ‘नैमित्तिक’आंदोलनात्मक कार्य तथा राष्ट्र निर्माण के ‘नित्य’कार्य को महत्व किया।इसप्रकार केआंदोलन करने की आवश्यकता ही न पड़े ऐसी परिस्थिति निर्माण करना ही वास्तव में डॉक्टरजीका दीर्घकालिकउद्देश्य था। आग लगने पर ही आग बुझाने के लिए दमकल को भेजा जाए इस पक्ष में संघ नहीं था। हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ाने पर उसका सारा जोर और ध्यान केंद्रित था।

क्या हम अपने ‘स्व’ को पहचानना नहीं चाहते?

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भारत के सिवा दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहां के समाज के मन में “हम कौन हैं? हमारे पुरख़े कौन थे? हमारा इतिहास क्या रहा है?” इस के बारे में कोई सम्भ्रम या भिन्न भिन्न मत होंगे। पर भारत में, जो दुनिया का सबसे प्राचीन राष्ट्र है और जहां सब से समृद्ध समाज रहने के बावजूद हमारी इस विषय पर सहमति नहीं है।इसका एकमात्र कारण यही दिखता है कि हम एक समाज और एक राष्ट्र के नाते अपने “स्व” को पहचानना और उसे आत्मसात् करना नहीं चाहते। कुछ उदाहरण देखें।

बंटवारे के पूर्व श्रीगुरुजी का सिंध में भाषण

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यह कल्पना करना भी कठिन है कि हमारी खंडित मातृभूमि, सिंधु नदी के बिना हमें मिलेगी। यह प्रदेश सप्त सिंधु का प्रदेश है। राजा दाहिर के तेजस्वी शौर्य का यह प्रदेश है। हिंगलाज देवी के अस्तित्व से पावन हुआ, ये सिंध प्रदेश हमें छोड़ना पड़ रहा है। इस दुर्भाग्यशाली और संकट की घड़ी में सभी हिंदुओं को आपस में मिलजुल कर, एक-दूसरे का ध्यान रखना चाहिए। संकट के यह दिन भी खत्म हो जाएँगे, ऐसा मुझे विश्वास है" "गुरुजी के इस ऐतिहासिक भाषण से सभी सुनने वालों के शरीर पर रोमांच हो उठे। हिंदुओं में एक नए जोश का संचार हो उठा।

डॉ हेडगेवारजी का स्वतंत्रता संग्राम

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अधिकांश लोगों का मानना है कि पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने बस मातृभूमि की पूजा की और भारत की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने के लिए एक प्रसिद्ध संगठन की स्थापना की। उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक और कुशल आयोजक के रूप में जाना जाता था, लेकिन वे एक महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, उत्साही वक्ता और महान विचारक भी थे। इसकी जानकारी कुछ ही लोगों को है।

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